पित्ताशय की पथरियों के कारण होने वाले दर्द के समान दर्द ऐसे लोगों में होता है जिनको पित्ताशय की कोई पथरी नहीं होती है या जिनके पित्ताशय की पथरी इतनी छोटी होती हैं जिसका अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से पता नहीं लगाया जा सकता है। इसे एकैल्कुलस बिलियरी दर्द कहा जाता है।
पित्ताशय एक छोटी, नाशपाती के आकार की थैली होती है, जो लिवर के नीचे स्थित होती है। यह पित्त को स्टोर करता है, जो एक तरल है जिसकी उत्पत्ति लिवर द्वारा की जाती है और इससे पाचन में सहायता मिलती है। जब पित्त की आवश्यकता होती है, जैसे जब लोग खाते हैं, तो पित्ताशय संकुचित होता है, और वह पित्त नलियों से पित्त को छोटी आंत में धकेलता है। (पित्ताशय और पित्त की नली के विकार का विवरण और चित्र लिवर और पित्ताशय का अवलोकन भी देखें।)
एकैल्कुलस बिलियरी दर्द युवा महिलाओं में सर्वाधिक आम होता है।
यह विकार उस समय पैदा होता है जब पित्त (जिसे पित्ताशय द्वारा तैयार किया जाता है) उस रूप में नलिकाओं से छोटी आंत में नहीं जाता, जैसे उसे जाना चाहिए। निम्नलिखित के कारण पित्त का प्रवाह धीमा या अवरूद्ध हो सकता है
पित्ताशय की पथरी, जो कि बहुत छोटी हैं जिनका अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से पता नहीं लग सकता है।
अज्ञात कारणों से, पित्ताशय सामान्य रूप से खाली नहीं होता है।
बिलियरी पथ या छोटी आंत ज़रूरत से अधिक संवेदनशील है।
सामान्य पित्त और पैंक्रियाटिक नलियां और छोटी आंत (ऑड्डी का स्फिंक्टर) के बीच में रिंग के आकार की मांसपेशी दुष्क्रिया करती हैं।
पित्ताशय पथरी के कारण नलिकाएं अवरूद्ध हो सकती हैं, फिर उनका पता लगने से पहले वे निकल जाती हैं।
डॉक्टर इस विकार का संदेह करते हैं यदि बिलियरी दर्द से पीड़ित लोगों की अल्ट्रासोनोग्राफ़ी में कोई पथरी नज़र नहीं आती है।
निदान की पुष्टि करने का सर्वाधिक बेहतर तरीका अस्पष्ट है। आमतौर पर, अल्ट्रासोनोग्राफ़ी या एंडोस्कोपिक अल्ट्रासोनोग्राफ़ी की जाती है। कभी-कभी एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी (ERCP) भी की जा सकती है। कभी-कभी, कोलेस्सिंटीग्राफ़ी, एक प्रकार की रेडियोन्यूक्लाइड इमेजिंग उस समय की जाती है जब लोगों को वो दवा दी जाती है जिससे पित्ताशय संकुचित हो जाता है। यदि पित्ताशय पूरी तरह से संकुचित नहीं होता है, तो पित्ताशय को हटाने से ऐसे लक्षण हो सकते हैं जिनको दूर किया जा सकता है।
कभी-कभी लेपैरोस्कोप नामक लचीली देखने वाली ट्यूब का इस्तेमाल करके पित्ताशय को सर्जरी करके हटाया जाता है (कोलेसिस्टेक्टॉमी), हालांकि इससे लक्षणों में आराम नहीं मिलता है। पेट में छोटे चीरे लगाने के बाद, इन चीरों के माध्यम से लेपैरोस्कोप तथा सर्जिकल उपकरण को अंदर डाला जाता है। फिर डॉक्टर पित्ताशय को हटाने के लिए उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।
कोलेसिस्टेक्टॉमी के कारण ऐसे लक्षण ठीक हो सकते हैं जो ऐसी पित्ताशय पथरियों के कारण हुए थे जो इतनी छोटी हैं कि उनका अल्ट्रासोनोग्राफ़ी से पता नहीं लगाया जा सकता है।
दवाई की थेरेपी का कोई प्रमाणित लाभ नहीं है।
अधिक जानकारी
निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।
इंटरनेशनल फाउंडेशन फ़ॉर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर्स (IFFGD): एक विश्वसनीय स्रोत जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार से पीड़ित लोगों की अपने स्वास्थ्य की देखरेख करने में सहायता करता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायबिटीज एण्ड डाइजेस्टिव एण्ड किडनी डिजीज़ (NIDDK): पाचन प्रणाली किस तरह से काम करती है तथा शोध से लेकर उपचार विकल्पों तक सभी संबंधित विषयों के लिंक से संबंधित व्यापक जानकारी।