पित्त नलियों तथा पित्ताशय के ट्यूमर

इनके द्वाराYedidya Saiman, MD, PhD, Lewis Katz School of Medicine, Temple University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग॰ २०२३

पित्त नलियों या पित्ताशय में कैंसर-रहित या कैंसरयुक्त बहुत ही कम होते हैं।

  • अल्ट्रासोनोग्राफ़ी या MRI/MRCP से पित्त नलियों या पित्ताशय में ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है।

  • आमतौर पर ये कैंसर प्राणघातक होते हैं, लेकिन लक्षणों का उपचार किया जा सकता है।

पित्त वह तरल है जिसे लिवर द्वारा तैयार किया जाता है और यह पाचन में सहायक होता है। पित्त का परिवहन छोटी नलियों (बाइल डक्ट्स) द्वारा किया जाता है, जो पित्त को लिवर से लेकर और फिर लिवर से पित्ताशय और छोटी आंत तक ले जाती हैं। पित्ताशय एक छोटी, नाशपाती के आकार की थैली होती है जो लिवर के नीचे स्थित होती है, और जिसमें पित्त को स्टोर किया जाता है तथा जब इसकी आवश्यकता होती है, यह इसे छोड़ता है। (पित्ताशय और पित्त की नली के विकार का विवरण और चित्र लिवर और पित्ताशय का अवलोकन भी देखें।)

पित्त नलियों का कैंसर (कोलेंजियोकार्सिनोमा) बहुत कम होता है। यह पित्त नलियों में कहीं भी हो सकता है, खासतौर पर लिवर के बाहर स्थित पित्त नलियों में। वृद्धावस्था या प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस होने की वजह से इस कैंसर को विकसित करने का जोखिम अधिक होता है।

पित्ताशय का कैंसर भी बहुत कम होता है। लगभग हर ऐसा व्यक्ति जिसे पित्ताशय का कैंसर है, उसे पित्ताशय की पथरी भी होती है। इस कैंसर के होने के बाद अनेक लोग केवल कुछ महीने ही जीवित रहते हैं। यह कैंसर अमरीकी भारतीयों, ऐसे लोग जिनमें पित्ताशय की बड़ी पथरी होती है, तथा ऐसे लोग जिनके पित्ताशय में बड़े पैमाने पर स्कारिंग होती है, जो गंभीर क्रोनिक कोलेसिस्टाइटिस में हो सकती है, में अधिक आमतौर पर पाया जाता है।

पोलिप्स, जो कि ऊतकों का कैंसर-रहित (मामूली) विकास होता है, पित्ताशय में विकसित हो सकता है। इनकी वजह से बहुत ही कम लक्षण होते हैं या उपचार की आवश्यकता पड़ती है। अल्ट्रासोनोग्राफ़ी के दौरान इनको 5% लोगों में पाया जाता है। बड़े पोलिप्स को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।

कभी-कभी कैंसर पित्त के प्रवाह को रोक सकता है, लेकिन अधिकांश अवरोध पित्ताशय की पथरी के कारण होता है। हालांकि ऐसा कम होता है, लेकिन कैंसर शरीर में किसी अन्य जगह से आसपास की अवसंरचनाओं या समीपवर्ती लसीका ग्रंथियों में फैल सकता है (मेटास्टेसाइज़), जिसके कारण अवरोध हो सकता है। पित्त नलियों में कैंसर-रहित ट्यूमर भी अवरोध पैदा कर सकते हैं।

पित्त की नलियों और पित्ताशय के ट्यूमर्स के लक्षण

प्रारम्भिक लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

  • बदतर होने वाला पीलिया (त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद होना)

  • पेट में असुविधा

  • भूख नहीं लगना

  • वज़न का घटना

  • खुजली

लक्षण धीरे-धीरे बदतर हो जाते हैं। पेट में दर्द उत्तरोत्तर गंभीर तथा निरन्तर हो सकता है। आमतौर पर दर्द पित्त नलियों के अवरोध के कारण होता है। मल पीला हो सकता है। लोग थकान और असुविधा महसूस करते हैं। उनको अपने पेट में एक मॉस (पिंड) महसूस हो सकता है।

पित्ताशय की अधिकांश पोलिप्स के कारण कोई लक्षण नहीं होते हैं।

पित्त नली तथा पित्ताशय ट्यूमर का निदान

  • अल्ट्रासोनोग्राफ़ी, जिसके बाद इमेजिंग परीक्षण किए जाते हैं

  • कभी-कभी एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी (ERCP) या ऊतक का नमूना लेना

डॉक्टर उस समय पित नली या पित्ताशय के कैंसर का संदेह करते हैं जब पित्त की नली अवरूद्ध होती है तथा किसी अन्य कारण की पहचान नहीं की गई है। पित्त नली कैंसर का संदेह खासतौर पर उन लोगों में होता है जो प्राथमिक स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (PSC) से पीड़ित हैं। यदि लोगों को PSC है, तो इस कैंसर की जांच करने के लिए समय-समय पर ट्यूमर द्वारा स्रावित तत्वों (ट्यूमर मार्कर) की माप करने के लिए रक्त परीक्षण किए जाते हैं।

निदान की पुष्टि इमेजिंग परीक्षणों से की जाती है। आमतौर पर, पहले अल्ट्रासोनोग्राफ़ी की जाती है। कभी-कभी कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) की जाती है, लेकिन अक्सर परिणाम निर्णायक नहीं होते हैं। CT कोलेंजियोग्राफ़ी (शिरा में रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेंट को लगाने के बाद पित्त नलियों की CT की जाती है) या आमतौर पर मैग्नेटिक रीसोनेंस कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी (MRCP)की आवश्यकता होती है।

यदि इमेजिंग परीक्षणों के परिणाम अस्पष्ट हैं, एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी (ERCP) की जाती है। इस प्रक्रिया में, एक लचीली देखने वाली ट्यूब (एंडोस्कोप) को मुंह के ज़रिए छोटी आंत तक अंदर डाला जाता है। एंडोस्कोप के ज़रिए एक पतली ट्यूब (कैथेटर) को अंदर डाला जाता है, और रेडियोपैक कंट्रास्ट एजेन्ट, जिसे एक्स-रे में देखा जा सकता है, को कैथेटर के ज़रिए पित्त की नलियों में इंजेक्ट किया जाता है। फिर किसी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए एक्स-रे किये जाते हैं। इस प्रोसीजर से डॉक्टर इमेज और माइक्रोस्कोप के ज़रिए जांच करने के लिए ऊतक के नमूने प्राप्त कर पाते हैं (चित्र एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी को समझना देखें)।

यदि इन परीक्षणों से किसी ट्यूमर का पता लगता है, लेकिन ये निर्णायक नहीं हैं, तो डॉक्टर असामान्य माने जाने वाले हिस्से में त्वचा के ज़रिए एक पतली सुई अंदर डालते हैं, ताकि ऊतक का नमूना प्राप्त किया जा सके। सुई को निर्देशित करने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफ़ी या CT का प्रयोग किया जाता है।

यह तय करने के लिए कि कैंसर कितना विस्तृत है, डॉक्टर को सीधे उसी हिस्से की जांच करने के लिए सर्जरी करने की आवश्यकता हो सकती है (एक प्रक्रिया जिसे नैदानिक लेपैरोस्कोपी या ओपन लेपैरोटॉमी कहा जाता है)।

पित्त नली तथा पित्ताशय ट्यूमर का उपचार

  • अवरूद्ध पित्त नलियों में स्टेंट डालना

  • कभी-कभी ट्यूमर हटाने की सर्जरी

अधिकांश पित्त नली और पित्ताशय के कैंसर प्राणघातक होते हैं, लेकिन उपचार से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

नली में डाली गई ट्यूब (स्टेंट) से पित्त अवरोध से परे प्रवाहित हो जाता है। इस प्रक्रिया से दर्द को नियंत्रित करने और खुजली से राहत प्राप्त करने में मदद मिलती है। एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैनक्रिएटोग्राफ़ी (ERCP) के दौरान स्टेन्ट डाले जा सकते हैं।

कैंसरयुक्त ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है, लेकिन ट्यूमर को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता है। कोलेंजियोकार्सिनोमा के लिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। यदि ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्से से फैला है (मेटास्टेसाइज़), तो कीमोथेरेपी लक्षणों में कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन उत्तरजीविता में कोई बहुत बड़ा सुधार नहीं होता है।

बहुत ही प्रारम्भिक अवस्था में पित्ताशय कैंसर की जानकारी पित्ताशय पथरी की सर्जरी के दौरान लगती है, और पित्ताशय को हटा कर अक्सर इसका उपचार किया जा सकता है।

यदि पित्त नली का कैंसर लिवर के निचले हिस्से तक सीमित है (जहां पर लिवर के बार के पित्त की नलियां, लिवर के अंदर की पित्त की नलियों से जुड़ती हैं), तो लिवर ट्रांसप्लांट एक उपचारात्मक विकल्प हो सकता है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. इंटरनेशनल फाउंडेशन फ़ॉर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर्स (IFFGD): एक विश्वसनीय स्रोत जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार से पीड़ित लोगों की अपने स्वास्थ्य की देखरेख करने में सहायता करता है।

  2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डायबिटीज एण्ड डाइजेस्टिव एण्ड किडनी डिजीज़ (NIDDK): पाचन प्रणाली किस तरह से काम करती है, से संबंधित व्यापक जानकारी तथा संबंधित विषयों जैसे शोध और उपचार विकल्पों के लिंक।

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