उम्र के बढ़ने के साथ हृदय में परिवर्तन होते हैं। कई परिवर्तन हृदय के विकारों के विकसित होने के कारण होते हैं, जो उम्र के बढ़ने के साथ अधिक आम हो जाते हैं। अन्य परिवर्तन स्वयं उम्र बढ़ने के कारण होते हैं। (हृदय का जीव विज्ञान भी देखें।)
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हृदय आकार में थोड़ा सा बढ़ने लगता है, उसकी दीवारें मोटी हो जाती हैं और कक्षों का आकार थोड़ा बढ़ जाता है। आकार में वृद्धि मुख्य रूप से हृदय की मांसपेशी की कोशिकाओं के आकार में वृद्धि के कारण होती है। मोटी दीवारें कड़ी भी हो जाती हैं, जिसके कारण प्रत्येक निलय के पंप करने से पहले उसमें पर्याप्त रक्त नहीं भर पाता है। हृदय के उम्र से संबंधित कड़ेपन के कारण बायां निलय ठीक तरह से नहीं भरता है और इससे कभी-कभी हार्ट फेल्यूर उत्पन्न होता है (जिसे डायस्टोलिक हार्ट फेल्यूर या संरक्षित इजेक्शन फ्रैक्शन वाला हार्ट फेल्यूर कहते हैं), खास तौर से वृद्ध लोगों में जिन्हें उच्च रक्तचाप, मोटापा, और मधुमेह जैसे अन्य रोग होते हैं।
विश्राम के दौरान, वृद्ध हृदय लगभग युवा हृदय की तरह ही काम करता है, सिवाय इसके कि हृदय दर (हृदय एक मिनट के भीतर जितनी बार धड़कता है) थोड़ी सी धीमी होती है। इसके अलावा, कसरत के दौरान, वृद्ध लोगों की हृदय दर युवा लोगों की हृदय दर जितनी नहीं बढ़ती है।
धमनियों और धमनिकाओं की दीवारें मोटी हो जाती हैं, और धमनियों के भीतर का स्थान थोड़ा सा फैलता है। धमनियों और धमनिकाओं की दीवारों का इलास्टिक ऊतक गायब हो जाता है। साथ मिलकर, ये परिवर्तन वाहिकाओं को कड़ा और कम लोचदार बनाते हैं (चित्र देखें एथेरोस्क्लेरोसिस)। चूंकि धमनियां और धमनिकाएं कम लचीली हो जाती हैं, इसलिए लोगों के खड़े होने पर ब्लड प्रेशर शीघ्रता से समायोजित नहीं हो पाता है, और वृद्ध लोगों के अचानक खड़े होने पर उन्हें चक्कर आने या कभी-कभी बेहोश होने का जोखिम होता है।
क्योंकि लोगों की उम्र के बढ़ने के साथ धमनियाँ और धमनिकाएं कम इलास्टिक हो जाती हैं, वे हृदय की लयबद्ध पंपिंग के दौरान शीघ्रता से शिथिल नहीं होती हैं। फलस्वरूप, हृदय के संकुचित होने पर (सिस्टोल के दौरान) रक्तचाप युवा लोगों की बनिस्बत अधिक–-कभी-कभी सामान्य से ऊपर––बढ़ता है। डायस्टोल के दौरान सामान्य रक्तचाप के साथ-साथ सिस्टोल के दौरान असामान्य रूप से उच्च रक्तचाप वृद्ध लोगों में अधिक आम है। इस विकार को आइसोलेटेड सिस्टॉलिक हाइपरटेंशन कहते हैं। (रक्त वाहिकाओं का जीव विज्ञान भी देखें।)
हृदय और रक्त वाहिकाओं पर उम्र के बढ़ने के कई प्रभावों को नियमित कसरत द्वारा कम किया जा सकता है। कसरत लोगों की उम्र के बढ़ने के साथ उनकी कार्डियोवैस्कुल तंदरुस्ती और मांसपेशियों की तंदरुस्ती को कायम रखने में मदद करती है। कसरत हमेशा लाभदायक होती है उसे शुरू करने की आयु चाहे कुछ भी हो।