अलग होने की चिंता और अजनबी के होने की चिंता

इनके द्वाराDeborah M. Consolini, MD, Thomas Jefferson University Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया नव॰ २०२२

    शिशु के बौद्धिक तथा भावनात्मक विकास के साथ-साथ, वे शीघ्रतापूर्वक पहचान करना सीखते हैं और माता-पिता या प्राथमिक देखभालकर्ताओं के साथ रिश्ता कायम कर लेते हैं। जैसे जैसे यह रिश्ता मजबूत होता है, शिशु अक्सर उनके माता-पिता से दूर होने पर या किसी अजनबी के उनके सामने आने पर चिंतित हो जाते हैं या वे डर जाते हैं। ये डर शिशु के विकास का सामान्य हिस्सा हैं तथा समय के साथ इनका समाधान होना चाहिए।

    अलग होने की चिंता

    अलग होने की चिंता सामान्य विकास का चरण है। इस चरण के दौरान, बच्चों को उस समय चिंता हो जाती है, जब वे अपने माता-पिता या प्राथमिक देखभालकर्ता से अलग हो जाते हैं। अलग होने की चिंता की खास तौर पर शुरुआत उस समय होती है जब बच्चे लगभग 8 महीने के होते हैं तथा यह 10 से 18 महीनों की आयु में सबसे ज्यादा हो जाती है। जब वे अपने माता-पिता या देखभालकर्ताओं से अलग होते हैं, खास तौर पर जब वे घर से दूर होते हैं, तो वे डर और असुरक्षा महसूस करते हैं। वे अपने माता-पिता तथा देखभालकर्ताओं से सुरक्षा और आश्वासन की आशा करते हैं। ऐसे बच्चे जो माता-पिता या देखभालकर्ताओं के कमरे से बाहर जाने पर रोते हैं, वे "बिगड़े हुए" नहीं होते हैं। बल्कि, रोना यह संकेत करता है कि बच्चों ने अपने माता-पिता और देखभालकर्ताओं के प्रति एक लगाव की भावना विकसित कर ली है। इस स्थिति में रोना एक सकारात्मक प्रतिक्रिया है।

    माता-पिता या देखभालकर्ता इस उम्र के बच्चों के साथ पीक-आ-बू खेलने की कोशिश कर सकते हैं ताकि बच्चों को आश्वस्त किया जा सके कि दृष्टि से ओझल होने का मतलब हमेशा के लिए चले जाना नहीं है।

    बच्चों के 24 महीनों की आयु तक पहुंचने तक अलग होने की चिंता जारी रहती है। इस उम्र तक बच्चे वस्तु स्थायित्व को विकसित कर लेते हैं और उनमें विश्वास की भावना पैदा हो जाती है। वस्तु स्थायित्व वह ज्ञान है कि कोई चीज (जैसे उनके माता-पिता) अगर दिखाई नहीं दे रही या उसकी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही तो भी वो मौजूद है। अलग होने की चिंता का समाधान हो जाता है क्योंकि बच्चों ने यह सीख लिया है कि न दिखने पर भी उनके माता-पिता या देखभालकर्ता अभी भी मौजूद हैं। बच्चों ने अपने माता-पिता या देखभालकर्ताओँ के प्रति यह भरोसा विकसित कर लिया है कि वे आखिरकार वापस आ ही जाएंगे।

    आमतौर पर, अलग होने की चिंता, घबराने की बात नहीं होती है और इसका मूल्यांकन डॉक्टर द्वारा किए जाने की ज़रूरत नहीं होती है।

    अलग होने की चिंता, पृथकता चिंता विकार से भिन्न होती है जो छोटे बच्चों में होती है। इस विकार से पीड़ित बच्चे खास तौर पर स्कूल या प्रीस्कूल जाने से इंकार करते हैं। यदि यह गंभीर है, तो पृथकता चिंता विकार बच्चे के सामान्य विकास में बाधा कर सकता है।

    माता-पिता को बच्चे की अलग होने की चिंता के प्रतिक्रिया स्वरूप अपनी अलग होने की गतिविधियों को सीमित या बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बच्चे की परिपक्कवता तथा विकास बाधित हो सकता है।

    जब माता-पिता बाहर जाने के लिए तैयार हों या बच्चे को शिशु देखभाल केंद्र में छोड़ते हैं, तो वे निम्नलिखित का प्रयास कर सकते हैं:

    • यह सुनिश्चित करें कि कोई अस्थाई देखभाल करने वाला बच्चे से परिचित हो

    • बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति को बच्चे का ध्यान खिलौनो, या गेम या किसी अन्य गतिविधि की तरफ आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहित करना जब माता-पिता छोड़ कर जाते हैं

    • जाने से पहले बच्चे के रोने पर प्रतिक्रिया को सीमित करना

    • शांत और आश्वस्त बने रहना

    • बच्चे की चिंता को कम करने के लिए अलग होने संबंधी दिनचर्या स्थापित करना

    • जाने से पहले बच्चे को फीड कराना और बच्चे को नींद पूरी करने देना (क्योंकि अलग होने की चिंता उस समय बदतर हो सकती है जब बच्चा भूखा है या थका हुआ है)

    जब माता-पिता घर के दूसरे कमरे में जाते हैं और बच्चा रोता है, तो माता-पिता को बच्चे को दूसरे कमरे से पुकारना चाहिए, न कि तत्काल बच्चे को सहज बनाने के लिए कमरे में वापस आ जाना चाहिए। इस प्रकार की प्रतिक्रिया से बच्चे को यह शिक्षा मिलती है कि माता-पिता अभी भी मौजूद हैं, भले ही बच्चा उन्हें नहीं देख पाता है।

    2 वर्ष की आयु के बाद तक बनी रहने वाली अलग होने की चिंता से समस्या हो सकती है अथवा नहीं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि इसका बच्चे के विकास में कितना हस्तक्षेप होता है। उदाहरण के लिए, अधिकांश बच्चे प्रीस्कूल या किंडरगार्टन शुरु करने पर कुछ डर महसूस करते हैं। यदि वे प्रोग्राम में भाग ले पाते हैं और समय के साथ उनका डर कम हो जाता है, तो इस डर को अलग होने की चिंता नहीं माना जाता। लेकिन, ऐसी अलग होने की चिंता जिसके कारण बच्चा शिशु देखभाल या प्रीस्कूल या सामान्य रूप से समकक्ष आयु के बच्चों के साथ खेलता-कूदता नहीं है, तो यह पृथकता चिंता विकार का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में, बच्चों को डॉक्टर के मूल्यांकन की ज़रूरत होती है।

    अपरिचित व्यक्ति संबंधी चिंता

    ऐसे बच्चे जो 8 महीने से 18 महीने के होते हैं, वे अक्सर उस समय डर जाते हैं जब वे नए लोगों से मिलते हैं या नई जगहों पर जाते हैं। जब कोई अजनबी व्यक्ति पास में आता है तो अपरिचित व्यक्ति संबंधी चिंता के कारण बच्चे रो सकते हैं। यह चिंता सामान्य होती है जब

    • इसकी शुरुआत 8 से 9 महीनों में होती है।

    • 2 वर्ष की आयु तक इसका समाधान हो जाता है।

    अपरिचित व्यक्ति संबंधी चिंता का संबंध शिशु द्वारा परिचित और अपरिचित व्यक्ति में अंतर करना सीखने से संबंधित होती है। यह कितनी तीव्र है और यह कितने समय तक बनी रहती है, यह अलग-अलग बच्चों में बहुत अलग-अलग होती है।

    कुछ शिशु तथा छोटे बच्चे किसी खास आयु में माता या पिता में से किसी एक प्रति मजबूत संबंध दर्शाते हैं। अचानक वे दादा-दादी या नाना-नानी को अपरिचित व्यक्ति के तौर पर देख सकते हैं। माता-पिता को यह समझना चाहिए कि इस व्यवहार की उम्मीद की जा सकती है तथा दादा-दादी या नाना-नानी को भी यह बात बता देनी चाहिए। इस प्रकार, बच्चे के व्यवहार को गलत समझने से बचा जा सकता है। बच्चे को सहज बनाना तथा ऐसे व्यवहार के संबंध में ज़रूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया करने से बचना एकमात्र आवश्यक उपचार होता है।

    यदि कोई नया सिटर आ रहा है, तो सिटर को जिस दिन से आना है, उससे थोड़ा पहले परिवार के साथ कुछ समय बिताना एक अच्छा विचार है। जब वह दिन आ जाता है, तो माता-पिता को जाने से पहले बच्चे और सिटर के साथ कुछ समय बिताने की योजना बनानी चाहिए। उसी तरह से, जब माता-पिता घर पर नहीं हैं, और दादा-दादी या नाना-नानी कुछ दिनों के लिए बच्चे की देखभाल करने आ रहे हैं, तो उन्हें एक या दो दिन पहले पहुंच जाना चाहिए।

    यदि बच्चे के नैदानिक परीक्षण करवाने हैं या उसे अस्पताल में भर्ती करना है, तो बच्चे को यह देखने के लिए डॉक्टर के ऑफिस या अस्पताल में पहले से ही ले जाने से ये जानने में सहायता मिलती है कि वहां बच्चा कैसी प्रतिक्रिया करता है। माता-पिता को यह भी आश्वासन बच्चे को देना चाहिए कि वे आसपास ही इंतजार कर रहे हैं तथा स्पष्ट रूप से यह बताना चाहिए कि कहां पर वे इंतजार करेंगे।

    यदि अपरिचित व्यक्ति संबंधी चिंता बहुत ज्यादा है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह सामान्य चिंता का संकेत हो सकता है। ऐसे मामलों में, डॉक्टर द्वारा तत्काल बच्चे को देखना चाहिए। डॉक्टर परिवार की स्थिति, पालन पोषण की तकनीक तथा बच्चे की समग्र भावनात्मक स्थिति का मूल्यांकन करते हैं।