स्कूल न जाना स्कूल-आयु वर्ग के बच्चों को प्रभावित करने वाला एक विकार है, जो चिंता, डिप्रेशन या सामाजिक कारकों के कारण, स्कूल जाने से बचते हैं क्योंकि हाजिरी तनाव का कारण बनती है।
कुछ मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक स्कूल न जाने का कारण बन सकते हैं।
बच्चे झूँठ की बीमारियां बता सकते हैं और स्कूल जाने से बचने के लिए बहाने बना सकते हैं।
स्कूल में नियमित हाजिरी को फिर से सुनिश्चित करने के लिए, बच्चे, माता-पिता और स्कूल के कर्मचारियों के बीच एक खुली बातचीत का सुझाव दिया जाता है।
कभी-कभी मनोवैज्ञानिक थेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है।
सभी स्कूल-आयु वर्ग के लगभग 5% बच्चे स्कूल जाने से बचते हैं तथा यह लड़कियों और लड़कों दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। यह सामान्यतः 5 और 11 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों में होता है।
स्कूल न जाने का कारण अक्सर अस्पष्ट होता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक कारक (जैसे तनाव, चिंता, और डिप्रेशन—बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों का विवरण भी देखें) तथा सामाजिक कारक (जैसे कोई मित्र न होना, हम उम्र के बच्चों द्वारा बहिष्कृत महसूस करना, या तंग किया जाना) जिम्मेदार हो सकते हैं। यदि स्कूल न जाना उस स्तर तक पहुंच जाता है जब बच्चा अधिकांश समय तक स्कूल से गायब रहता है, तो यह अधिक गंभीर समस्या जैसे डिप्रेशन का विकार या एक अथवा अधिक चिंता के विकार, विशेषकर सामाजिक चिंता का विकार, अलग होने की चिंता का विकार, तथा/अथवा दहशत के विकार का संकेत हो सकता है। ये अन्य विकार स्कूल न जाने के व्यवहार से भिन्न होते हैं क्योंकि वे उन समस्याओं का कारण भी बनते हैं जो स्कूल से संबंधित नहीं हैं।
संवेदनशील बच्चे शिक्षक की सख्ती या फटकार के डर से संवेदनशील प्रतिक्रिया कर सकते हैं। छोटे बच्चे स्कूल जाने से बचने के लिए झूठी बीमारी का बहाना या अन्य बहाने बनाते हैं।
बच्चे पेट दर्द, मतली, या अन्य लक्षणों की शिकायत कर सकते हैं जो घर पर उनके रहने की सही वजह बनते हैं। कुछ बच्चे सीधे स्कूल जाने से मना कर देते हैं। वैकल्पिक रूप से, बच्चे बिना किसी कठिनाई के स्कूल जा सकते हैं, लेकिन स्कूल के दिन के दौरान चिंतित हो जाते हैं या विभिन्न लक्षण विकसित कर लेते हैं, जिससे अक्सर नियमित रूप से नर्स के कार्यालय में जाना पड़ता है। यह व्यवहार उन किशोरों से विपरीत है, जो स्कूल नहीं जाने का फैसला कर सकते हैं (जिसे बिना अनुमति के स्कूल से गैरहाजिर रहना या "स्कूल से दूर रहना" कहा जाता है— देखें किशोरों में स्कूल से जुड़ी समस्याएं)। जो बच्चे अक्सर स्कूल से गायब रहते हैं, उनमें अक्सर आचरण विकार होता है।
जिन बच्चों में गंभीर मनोवैज्ञानिक विकार नहीं होते है, उनमें स्कूल न जाने के ये कारण होते हैं
खराब शैक्षिक प्रदर्शन
पारिवारिक कठिनाइयां
साथियों के साथ कठिनाइयां
अधिकांश बच्चों में स्कूल न जाने की आदत ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ में वास्तविक बीमारी या छुट्टी के बाद फिर से विकसित हो जाती है।
आमतौर से घर पर पढ़ाना समाधान नहीं है। स्कूल न जाने वाले बच्चों को तुरंत स्कूल जाना चाहिए, ताकि वे अपने स्कूल के काम में पीछे न रहें। यदि स्कूल न जाना इतना बढ़ गया है कि यह बच्चे की गतिविधि को प्रभावित कर रहा है और यदि बच्चा माता-पिता या शिक्षकों द्वारा आसान से आश्वासन का जवाब नहीं देता है, तो बच्चे को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक को दिखाने की जरूरत पड़ सकती है।
(बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याओं का विवरण भी देखें।)
उपचार
स्कूल के स्टाफ के साथ बातचीत
स्कूल में हाजिरी
कभी-कभी थेरेपी
स्कूल न जाने के उपचार में माता-पिता और स्कूल के स्टाफ के बीच बातचीत, स्कूल में नियमित हाजिरी और कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक के साथ परिवार और बच्चे को शामिल करने वाली थेरेपी शामिल होनी चाहिए।
थेरेपी में बुनियादी विकारों का उपचार, सीखने की अक्षमता या अन्य विशेष शिक्षा की जरूरत वाले बच्चों के लिए स्कूल पाठ्यक्रम का अनुकूलन, और स्कूल में तनाव दूर करने के लिए व्यवहार संबंधी तकनीकें शामिल होती हैं।