बेशेट रोग

(बेशेट रोग)

इनके द्वाराAlexandra Villa-Forte, MD, MPH, Cleveland Clinic
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

बेशेट रोग रक्त वाहिकाओं की क्रोनिक जलन (वैस्कुलाइटिस) होता है जिसके कारण मुंह में दर्द और जननांगों पर छाले, त्वचा के घाव, और आँख की समस्याएँ हो सकती हैं। जोड़ों, तंत्रिका तंत्र, और पाचन तंत्र में भी जलन हो सकती है।

  • सामान्यतः, मुंह, जननांगों और त्वचा में छाले उभरते हैं, चले जाते हैं, और फिर से उभरते हैं।

  • डॉक्टर स्थापित मानदंडों के आधार पर निदान करते हैं।

  • इलाज प्रभावित क्षेत्रों पर आधारित होता है लेकिन सामान्यतः उसमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड और कभी-कभी दूसरी दवाएँ शामिल होती हैं जो इम्यून प्रणाली का शमन करती हैं।

(वैस्कुलाइटिस का विवरण भी देखें।)

बेशेट रोग दुनियाभर में होता है लेकिन मेडिटेरेनियन से चीन तक सिल्क रूट के क्षेत्र में सबसे आम होता है। यह अमेरिका में अपेक्षाकृत कम आम है। यह पुरुषों और स्त्रियों में लगभग बराबरी से होता है, सामान्यतः 20 की आयु के दौरान शुरू होता है, लेकिन पुरुषों में अधिक गंभीर होता है। कभी-कभी, सिंड्रोम बच्चों में विकसित होता है। बेशेट रोग का कारण अज्ञात है। विशिष्ट आनुवंशिक विशेषताओं वाले लोगों, जैसे HLA-B51 नामक जीन धारण करने वाले लोगों, में इसका जोखिम अधिक दिखाई देता है।

बेशेट रोग के लक्षण

बेशेट रोग से पीड़ित लगभग सभी व्यक्तियों को बार-बार, मुंह के दर्द भरे छाले होते हैं, जो कैंकर छालों (बार-बार होने वाला एपैथस स्टोमाटाइटिस) के समान होते हैं। मुंह के छाले आमतौर पर बेशेट रोग का पहला लक्षण होते हैं। छाले मुंह में कहीं भा हो सकते हैं, जैसे जीभ, मसूडों, और मुंह की परत पर, और अक्सर समूह में होते हैं। छाले गोल या अंडाकार, व्यास में आधे इंच से कम और 4 इंच (लगभग 1 से 10 सेंटीमीटर) तक होते हैं, और पीले से केंद्र के साथ उथले या गहरे होते हैं। छाले 1 से 2 सप्ताह तक रहते हैं।

हालांकि दूसरे प्रकार के मुंह के छाले बहुत आम (उदाहरण के लिए, हर्प्स सिंप्लेक्स वायरस के कारण होने वाले ठंडे छाले) होते हैं, लेकिन बेशेट रोग के कारण पैदा हुए छालों की प्रवृत्ति अधिक लंबे समय तक रहने और गंभीर होने की होती है।

बेशेट रोग में मुंह और जननांगों के छाले
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मुंह के छाले (बाएँ) आमतौर पर बेशेट रोग का पहला लक्षण होते हैं। छाले जननांगों पर भी उभर सकते हैं (दाएँ)।
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छाले जननांगों पर भी उभर सकते हैं। लिंग, वृषणकोष, या योनिमुख के छाले दर्द भरे होते हैं। योनि में हुए छाले दर्द-रहित हो सकते हैं।

बेशेट रोग में एरिथेमा नोडोसम
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जिन लोगों को बेशेट रोग हो उन्हें एरिथेमा नोडोसम (त्वचा के नीचे लाल उभार) हो सकता है।
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लोगों को बुखार आ सकता है और एक सामान्य अस्वस्थता का अनुभव (मेलेइस) हो सकता है। अन्य लक्षण दिनों से लेकर वर्षों बाद तक दिखाई देते हैं:

  • आँखें: 25 से 75% लोगों में आँखों पर प्रभाव पड़ता है। आँख के किसी भाग में रुक-रुक कर जलन होती है। यह जलन (रिलैप्सिंग इरिडोसायक्लाइटिस यूवेआईटिस) के कारण आँख का दर्द, लाल होना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, और धुँधली दृष्टि होते हैं। आँख की कई और समस्याएँ हो सकती हैं। यदि इलाज न हो, तो अंधापन विकसित हो सकता है।

  • त्वचा: लगभग 80% लोगों में त्वचा के छाले और मवाद भरे मुंहासे विकसित हो जाते हैं। कोई छोटी सी चोट, यहाँ तकि कि किसी हाइपोडर्मिक सुई के छिद्र के कारण भी, छोटे लाल या मवाद भरे उभार बन सकते हैं। पैरों पर एरिथेमा नोडोसम नामक लाल-बैंगनी लगने वाले दर्द भरे उभार हो सकते हैं।

  • जोड़ों: लगभग आधे प्रभावित लोगों में, घुटने और दूसरे बड़े जोड़ों में दर्द हो जाता है। यह अपेक्षाकृत हल्की जलन (अर्थराइटिस) बढती नहीं या ऊतकों को क्षतिग्रस्त नहीं करती है।

  • रक्त वाहिकाएं: पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं की जलन (वैस्कुलाइटिस) के कारण धमनियों में खून के थक्के और कमज़ोर हो गई रक्त वाहिकाओं की भित्तियों में उभार (एन्यूरिज्म) पैदा हो सकते हैं। यदि दिमाग को जाने वाली धमनियाँ प्रभावित होती हैं तो वैस्कुलाइटिस के परिणाम से स्ट्रोक हो सकता है। इसके कारण किडनी की क्षति हो सकती है यदि किडनी की धमनियों पर प्रभाव पड़ा हो। यदि फेफड़े के भीतर की धमनियाँ प्रभावित होती हैं, तो खून बह सकता है, और लोगों को खाँसी में खून आ सकता है।

  • पाचन तंत्र: लक्षणों में पेट में तकलीफ़ और दर्द, ऐंठन होना, डायरिया, और आँतों में छाले शामिल होते हैं। लक्षण इन्फ़्लेमेटरी बाउल रोग (क्रोन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस) के लक्षणों के समान हो सकते हैं।

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र: दिमाग या स्पाइनल कॉर्ड की जलन कम आम होती है लेकिन उसके गंभीर परिणाम होते हैं। लोगों को पहले सिरदर्द हो सकता है। दूसरे लक्षणों में बुखार और ऐंठी हुई गर्दन (मेनिनजाइटिस के लक्षण), भ्रम, और समन्वय की कमी शामिल होते हैं। व्यक्तित्व में बदलाव और याददाश्त की कमी वर्षों बाद विकसित हो सकती है।

बेशेट रोग का निदान

  • स्थापित मानदंड

  • रक्त की जाँच

प्रयोगशाला का कोई परीक्षण बेशेट रोग की पुष्टि नहीं कर सकता, लेकिन डॉक्टर स्थापित मानदंडों के आधार पर निदान कर सकते हैं। डॉक्टर उन लोगों में विकार का संदेह करते हैं, जो विशेषकर युवा हैं, जिन्हें 1 वर्ष में 3 बार मुंह के छाले हुए हों और नीचे दिए गए मानदंडों में से 2 चीज़ें हुई हों:

  • बार-बार होने वाले जननांग के छाले

  • विशिष्ट लक्षणों वाली आँख की समस्याएँ

  • त्वचा के घाव जो त्वचा के नीचे उभार जैसे, एक्ने, या अल्सर जैसे लगते हैं

  • एक हल्की सी चोट से शुरू हो जाने वाले त्वचा के उभार या छाले

हालांकि, लक्षण कई अन्य विकारों के लक्षणों जैसे लग सकते हैं, जिनमें रिएक्टिव अर्थराइटिस (जिसे पहले राइटर सिंड्रोम कहा जाता था), ल्यूपस (सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस), क्रोन रोग, हर्प्स, और अल्सरेटिव कोलाइटिस शामिल हैं। निदान में महीनों लग सकते हैं क्योंकि सिंड्रोम की पहचान में मदद के लिए डॉक्टर ऐसे लक्षणों की खोज करते हैं जो कम हो जाते हैं (रिमिशन कहा जाता है) और लौट आते हैं (रिलैप्स कहा जाता है)। मुंह के छाले, अन्य, अधिक आम छालों से मिलते जुलते हो सकते हैं, जैसे बुखार के छाले (जो हर्प्स सिंप्लेक्स वायरस के कारण होते हैं)।

खून के परीक्षण किए जाते हैं। वे रोग की पहचान नहीं कर सकते लेकिन जलन के मौजूद होने की पुष्टि कर सकते हैं।

बेशेट रोग के निदान की पुष्टि करना तब मुश्किल होता है जब लोगों को केवल मुंह के छाले हुए हों और संभवतः उनके जननांगों या त्वचा पर छाले हुए हों। निदान करना तब अधिक आसान होता है जब दूसरे लक्षण, जैसे आँखों या रक्त वाहिकाओं की जलन मौजूद हों।

बेशेट रोग के लिए पूर्वानुमान

बेशेट रोग के लक्षण अनिश्चित ढंग से आ और जा सकते हैं, और बहुत हानिकारक हो जाते हैं। लक्षण या लक्षण-मुक्त समयावधि (रिमिशन) कई सप्ताह, वर्षों, या दशकों तक रह सकती है। कई लोग अंततः रिमिशन में चले जाते हैं। कभी-कभी, तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, या रक्त वाहिकाओं की क्षति जानलेवा होती है। युवा पुरुषों और धमनियों के रोग वाले या जिनको अधिक संख्या में दौरे आते हैं उन लोगों के लिए मृत्यु का जोखिम सबसे अधिक होता है। समय के साथ, रोग कम होने लगता है।

बेशेट रोग का इलाज

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड और अन्य इम्यूनोसप्रेसेंट

  • अन्य दवाएँ, लक्षणों के आधार पर

कोई उपचार नहीं है, लेकिन बेशेट रोग का इलाज आमतौर पर विशिष्ट लक्षणों को दूर कर सकता है। कौनसी दवाओं का उपयोग किया जाता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रभावित अंग कौनसा है और रोग कितना गंभीर है। उदाहरण के लिए, इन चीज़ों का उपयोग किया जा सकता है:

  • जलन भरी आँखों और त्वचा के छालों के लिए: आँखों या त्वचा में कॉर्टिकोस्टेरॉइड (जलन कम करने के लिए उपयोग किया जाता है) लगाया जा सकता है। एज़ेथिओप्रीन (एक दवा जो इम्यून प्रणाली का शमन करती है [इम्युनोसप्रेसेंट]) दृष्टि की स्पष्टता को सुरक्षित रखने में मदद करती है, आँख के नए छाले बनने से रोकती है और मौजूदा छालों को ठीक करने में मदद करती है। खाई जाने वाली मीथोट्रेक्सेट आँख की जलन कम करने में मदद कर सकती है। इंटरफ़ेरॉन अल्फ़ा और ट्यूमर नेक्रोसिस फ़ैक्टर (TNF)–रोकने वाली इंजेक्शन से दी जाने वाली दवाएँ उन लोगों की मदद कर सकती है जिन्हें आँख की समस्याएँ हों।

  • आँखों या तंत्रिका तंत्र की गंभीर जलन के लिए: इम्युनोसप्रेसेंट साइक्लोस्पोरिन का उपयोग तब किया जा सकता है जब आँख की जलन गंभीर हो या जब कॉर्टिकोस्टेरॉइड प्रेडनिसोन लक्षणों को पर्याप्त रूप से नियंत्रित न करे।

  • मुंह और जननांग के छालों और जोड़ के दर्द के लिए: कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम, लोकल एनेस्थेटिक मिश्रण, और सुक्राल्फ़ेट को छालों पर लगाया जा सकता है। नए छालों को रोकने के लिए कोल्चीसिन (गठिया के इलाज के लिए उपयोग की जाती है) खाई जा सकती है और जोड़ का दर्द कम कर सकती है। डेप्सन खाई जाती है और मुंह और जननांग के छालों की संख्या को कम कर सकती है और उनके रहने के समय को कम कर सकती है। एज़ेथिओप्रीन को खाया जाता है और वह मुंह और जननांग के छालों को ठीक करने और जोड़ के दर्द को कम करने में भी मदद कर सकती है। इतानर्सेप्ट, जो एक ट्यूमर नेक्रोसिस फ़ैक्टर इन्हिबिटर है (और इसलिए इम्यून प्रणाली का शमन करती है), नए छालों को रोकने में मदद करती है। इसे इंजेक्शन से दिया जाता है। कभी-कभी इतानर्सेप्ट के बदले किसी अन्य ट्यूमर नेक्रोसिस फ़ैक्टर इन्हिबिटर (इन्फ़्लिक्सीमेब या संभवतः एडैलिमुमेब) का उपयोग किया जाता है। इंटरफ़ेरॉन अल्फ़ा भी इंजेक्शन से दी जा सकती है यदि कोल्चीसिन से मदद न मिल सके। दर्द और मुंह के छालों की संख्या को कम करने में एप्रेमिलास्ट का उपयोग किया जा सकता है। थैलिडोमाइड, जिसका उपयोग बहुत कम किया जाता है, खाई जा सकती है और मुंह, जननांग, और त्वचा के छालों को ठीक करने में मदद कर सकती है, लेकिन दवा को बंद करने पर छाले लौट सकते हैं।

साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड और क्लोरैम्बुसिल का उपयोग तब किया जाता है जब दूसरी दवाएँ अप्रभावी हों या जब प्राणघाती या गंभीर आँख या तंत्रिका तंत्र की जटिलताएँ विकसित हो जाती हैं।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Vasculitis Foundation: रोगियों के लिए वैस्कुलाइटिस के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें डॉक्टर को ढूँढने, अनुसंधान अध्ययनों के बारे में जानने, और रोगी समर्थक समूहों से जुड़ने के तरीके शामिल होते हैं

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