इओसिनोफिलिक फ़ैसाइटिस एक दुर्लभ सिस्टेमिक रूमैटिक रोग है, जिसमें बांह और पैर की त्वचा और त्वचा के नीचे स्थित ऊतक तेज़ी से सूज जाते और सख्त हो जाते हैं।
कारण अज्ञात है, लेकिन पर्यावरणीय कारक, बीमारी या दवाइयों से ट्रिगर हो सकते है।
इसके लक्षणों में, त्वचा और त्वचा के नीचे के ऊतकों में दर्द, सूजन और जलन शामिल होते हैं।
जांच और परीक्षण के लिए ऊतक निकालने के लिए बायोप्सी की जाती है।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड और कभी-कभी अन्य इम्यूनोसप्रेसेंट मददगार होते हैं।
इओसिनोफ़िलिक शब्द का अर्थ है कि इसमें शुरुआत में रक्त में एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं, जिन्हें इयोसिनोफिल कहा जाता है, की मात्रा बढ़ जाती है। फ़ैसाइटिस का मतलब है कि इसमें फ़ैसिया में जलन उत्पन्न हो जाती है, फ़ैसिया एक मज़बूत रेशेदार ऊतक होता है, जो मांसपेशियों के ऊपर और उनके बीच में मौजूद होता है।
इओसिनोफिलिक फ़ैसाइटिस का कारण अज्ञात है, लेकिन ज़ोरदार व्यायाम या चोट, लाइम रोग या कुछ खास दवाइयों और पदार्थों के संपर्क में आने से यह ट्रिगर हो सकता है। इओसिनोफिलिक फ़ैसाइटिस कुछ ऐसे लोगों में हो सकता है, जिन्हें कोई रक्त विकार है, जैसे लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने में विफलता (जिसे एप्लास्टिक एनीमिया कहा जाता है), या बोन मैरो में प्लाज़्मा कोशिकाओं का कैंसर (मल्टीपल माइलोमा)।
यह विकार मुख्यतः अधेड़ उम्र के पुरुषों को होता है, लेकिन महिलाओं और बच्चों को भी हो सकता है।
इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस के लक्षण
त्वचा में और ख़ासतौर पर बाँहों के अंदर तथा पैरों के अगले भाग में दर्द, सूजन और जलन का होना, इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस के शुरुआती सामान्य लक्षण होते हैं। चेहरे, छाती और पेट की त्वचा शायद ही कभी प्रभावित होती है, और अंगुलियां और पैर की अंगुलियां प्रभावित नहीं होतीं।
इसके लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। कई सप्ताह बाद, प्रभावित त्वचा कठोर होने लगती है और बाद में संतरे के छिलके जैसी हो जाती है। कुछ लोगों को उन क्षेत्रों पर एक रेखीय गड्ढा दिखाई दे सकता है, जहां शिराएं, त्वचा की सतह के पास होती हैं, आमतौर पर जब उनका हाथ या पैर ऊपर उठा होता है।
त्वचा जैसे-जैसे कठोर होती जाती है, बाँहों और पैरों को हिलाना वैसे-वैसे मुश्किल होता जाता है। अंत में, अगर इस रोग का उपचार जल्दी न किया जाए, को बाँहें और पैर असामान्य स्थिति में हमेशा के लिए जम जाते हैं (क्रॉन्ट्रेक्चर)। आमतौर पर मांसपेशियों की शक्ति तो कम नहीं होती है, लेकिन मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द हो सकता है। कभी-कभार, अगर बांहें प्रभावित होती हैं, तो उस व्यक्ति में कार्पल टनल सिंड्रोम भी विकसित हो सकता है।
वजन कम होना और थकान आना सामान्य होता है।
इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस का निदान
बायोप्सी
रक्त की जाँच
इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस का पता डॉक्टर द्वारा एकत्रित की गई पूरी जानकारी, जैसे कि लक्षण, शारीरिक जांच के परिणामों और सभी परीक्षणों के परिणामों के आधार पर लगाया जाता है।
प्रभावित त्वचा और फ़ैसिया की बायोप्सी लेकर और सैंपल की जांच करके, निदान की पुष्टि की जाती है। बायोप्सी नमूने में मांसपेशी तक त्वचा की सभी परतें शामिल होनी चाहिए।
खून के परीक्षण भी किए जाते हैं। रक्त परीक्षणों से यह पता चलता है कि रक्त में इयोसिनोफिल की संख्या और एरिथ्रोसाइट की अवक्षेपण दर (ESR) बढ़ गई है। (ESR, जलन का पता लगाने वाला परीक्षण होता है और इससे पता चलता है कि रक्त से भरी टेस्ट ट्यूब में लाल रक्त कोशिकाएँ किस दर से नीचे बैठती हैं।) इस दर का बढ़ना, जलन होने का संकेत होता है। हालांकि रक्त परीक्षण के परिणामों से डॉक्टर्स के लिए इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस का पता लगाना आसान हो जाता है, लेकिन इनसे इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस की पक्की पुष्टि नहीं की जा सकती, क्योंकि इससे पता चली असामान्यताएँ स्वस्थ लोगों या अन्य विकारों से पीड़ित लोगों में भी मौजूद होती हैं।
मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) से भी इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन इससे भी बायोप्सी जैसी पक्की जांच नहीं होती है।
इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस का उपचार
कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स
निशानों, ऊतक क्षय (एट्रॉफ़ी) और क्रॉन्ट्रेक्चर से बचने के लिए, इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस का उपचार जल्द से जल्द शुरू कर दिया जाना चाहिए।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड प्रेडनिसोन (एक प्रकार का इम्यूनोसप्रेसेंट) की उच्च खुराक दिए जाने पर अधिकांश लोगों में तेज़ी से सुधार होता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड, उस ऊतक को ठीक नहीं करते हैं, जिसमें पहले ही एट्रॉफ़ी हो चुकी हो और जिस पर निशान पड़ चुके हों। खुराक धीरे-धीरे कम की जाती है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साथ संयोजन में अन्य इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं (जैसे कि मीथोट्रेक्सेट, या फिर एज़ेथिओप्रीन या माइकोफ़ेनोलेट मोफ़ेटिल) का उपयोग भी किया जा सकता है।
क्रॉन्ट्रेक्चर और कार्पल टनल सिंड्रोम का उपचार सर्जरी से करना पड़ सकता है।
फिजिकल थेरेपी क्रॉन्ट्रेक्चर को कम कर सकती है और ज़्यादा क्रॉन्ट्रेक्चर का होना रोक सकती है।
डॉक्टर, रक्त परीक्षण के ज़रिए पीड़ित लोगों की निगरानी जारी रखते हैं, ताकि अगर कोई रक्त विकार उत्पन्न हो जाए, जो उसका पता चल सके और उसका जल्द से जल्द उपचार किया जा सके।
इम्यूनोसप्रेसेंट ले रहे लोगों को संक्रमणों, जैसे कि न्यूमोसिस्टिस जीरोवेकिआय फंगस से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए दवाइयां (देखें कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में निमोनिया की रोकथाम) और सामान्य संक्रमणों, जैसे कि निमोनिया, इन्फ़्लूएंज़ा और कोविड-19 के खिलाफ़ टीके दिए जाते हैं।
इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस के लिए पूर्वानुमान
दीर्घावधि परिणाम अलग-अलग होते हैं, लेकिन तुरंत उपचार लेने पर इओसिनोफ़िलिक फ़ैसाइटिस ठीक हो सकता है।