प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर

इनके द्वाराElizabeth Coon, MD, Mayo Clinic
द्वारा समीक्षा की गईMichael C. Levin, MD, College of Medicine, University of Saskatchewan
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जुल॰ २०२३

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर कुछ और नहीं बल्कि ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम द्वारा नियंत्रित कई प्रक्रियाओं (जैसे कि ब्लड प्रेशर का नियंत्रण) का डिसफंक्शन है। यह घातक नहीं है।

  • प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर, मस्तिष्क में साइन्यूक्लीन के असामान्य संचय के कारण होता है।

  • लोगों के खड़े होने पर ब्लड प्रेशर कम हो सकता है, उन्हें पसीना कम आ सकता है और आँखों की समस्या हो सकती है, पेशाब रुक सकता है, कब्ज हो सकता है, या मल त्याग पर उनका नियंत्रण नहीं रह सकता है।

  • ऑटोनोमिक खराबी के संकेतों का पता लगाने के लिए डॉक्टरों द्वारा शारीरिक जांच और परीक्षण किए जाते हैं।

  • उपचार लक्षणों से राहत देने पर केंद्रित होता है।

(ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम का विवरण भी देखें।)

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर में (जिसे पूर्व में आइडियोपैथिक ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन या ब्रैडबरी-एगलस्टन सिंड्रोम कहा जाता था), ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम द्वारा नियंत्रित कई प्रक्रियाएँ गड़बड़ा जाती हैं। ये प्रक्रियाएँ इसलिए गड़बड़ हो जाती हैं क्योंकि उन्हें नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। प्रभावित कोशिकाएँ स्पाइनल कॉर्ड के दोनों में किसी भी तरफ के क्लस्टर में (जिन्हें ऑटोनोमिक गैन्ग्लिया कहा जाता है) या आंतरिक अंगों में या इसके समीप स्थित होती हैं। केवल ऑटोनोमिक गैन्ग्लिया प्रभावित होते हैं। कोई अन्य तंत्रिका प्रभावित नहीं होती है, साथ ही, मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड भी प्रभावित नहीं होते हैं।

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर से महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं, और यह उम्र के 40वें या 50वें दशक में शुरू होता है। इससे मृत्यु नहीं होती है।

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर, साइन्यूक्लीन (मस्तिष्क में पाया जाने वाला वह प्रोटीन जो तंत्रिका कोशिकाओं को संचार करने में मदद करता है, लेकिन जिसका क्रियाकलाप अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है) के असामान्य संचय के कारण होता है। साइन्यूक्लीन उन लोगों में भी संचित होता है जिन्हें पार्किंसन रोग, मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी या लेवी बॉडी युक्त डिमेंशिया है। प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर से ग्रस्त कुछ लोगों में अंततः मल्टीपल सिस्टम एट्रॉफी या लेवी बॉडी युक्त डिमेंशिया का विकास पाया जाता है।

रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर से ग्रसित लोगों सहित अल्फा साइन्यूक्लीन के संचय वाले विकार से पीड़ित लोगों में देखा जाता है।

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर के लक्षण

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर का सर्वाधिक सामान्य लक्षण निम्नलिखित है

लोगों से पसीना कम निकलना, और उनके द्वारा गर्मी को न सह पाना।

प्यूपिल सामान्य रूप से चौड़ी (बड़ी) और संकीर्ण (संकुचित) नहीं हो सकती हैं। नज़र धुंधली हो सकती है।

लोगों को ब्लैडर खाली करने में कठिनाई हो सकती है (यूरिनरी रीटेंशन)। मूत्राशय संभवतः अनैच्छिक रूप से सिकुड़ सकता है, जिससे यूरिनरी इनकॉन्टिनेन्स (मूत्र की अनियंत्रित हानि) हो सकता है। उन्हें कब्ज की शिकायत हो सकती है या पेट की हलचल पर उनका नियंत्रण नहीं रहता है (फ़ेकल इनकॉन्टिनेन्स)। पुरुषों को इरेक्शन शुरू करने और बनाए रखने में कठिनाई (इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन) हो सकती है।

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए परीक्षण

डॉक्टरों द्वारा शारीरिक जांच के दौरान और अन्य परीक्षणों के जरिए ऑटोनोमिक डिसफंक्शन के संकेतों की तलाश की जाती है।

यदि लोगों को ऑटोनोमिक डिसफंक्शन के कारण REM स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर तथा ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन है, तो वे संभवतः प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर से पीड़ित है।

डॉक्टर द्वारा नॉरएपीनेफ़्रिन के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण किया जा सकता है। नॉरएपीनेफ़्रिन, तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा एक-दूसरे के साथ संचार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले केमिकल मैसेंजर (न्यूरोट्रांसमीटर) में से एक है। इस रक्त परीक्षण के जरिए प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर को समान लक्षण दर्शाने वाले अन्य ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम के विकारों से पृथक किया जा सकता है। नॉरएपीनेफ़्रिन का निम्न स्तर प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर को इंगित करता है।

प्योर ऑटोनोमिक फैल्यर का उपचार

  • लक्षणों में राहत

इसके लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, अतः इसके लक्षणों से राहत पर ध्यान दिया जाता है:

  • ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन: ब्लड प्रेशर में अचानक परिवर्तन को स्थिर करने के उपाय किए जाते हैं। अधिक नमक और पानी का सेवन करने से रक्त की मात्रा बढ़ सकती है और इस प्रकार ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में मदद मिलती है। व्यक्ति के खड़े होने पर ब्लड प्रेशर बहुत अधिक या बहुत तेज़ी से कम हो सकता है, अतः इसे रोकने के लिए उचित होगा कि धीरे-धीरे खड़ा हों; जैसा कि एब्डॉमिनल बाइंडर या कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनने से हो सकता है। ये वस्त्र पैरों से हृदय तक रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर ब्लड प्रेशर को बनाए रखने में मदद करते हैं, और इस प्रकार बहुत अधिक रक्त को पैरों में बने रहने (पूलिंग) से रोकते हैं। बिस्तर के सिर वाले हिस्से को लगभग 4 इंच (10 सेंटीमीटर) ऊपर उठाने से व्यक्ति के लेटने पर ब्लड प्रेशर को बहुत अधिक बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है। फ्लुड्रोकोर्टिसोन को मुंह से लिया जा सकता है। यह शरीर में नमक और पानी बनाए रखने में मदद करता है, और इस प्रकार व्यक्ति के खड़े होने पर आवश्यकतानुसार ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। मुंह से ली जाने वाली दूसरी दवाएँ, जैसे कि मिडोड्राइन या ड्रॉक्सीडोपा भी मददगार हो सकती हैं।

  • कब्ज: फ़ाइबर की पर्याप्तता वाले आहार और स्टूल सॉफ्टनर की अनुशंसा की जाती है। यदि कब्ज की समस्या बनी रहती है, तो एनिमा की आवश्यकता हो सकती है।

  • यूरिनरी रीटेंशन: जरूरत पड़ने पर लोग स्वयं से अपने ब्लैडर में कैथेटर/नली (पतली रबर ट्यूब) डालना सीख सकते हैं। वे इसे दिन में कई बार डाल सकते हैं। इसे मूत्रमार्ग के जरिए डाला जाता है, जिससे ब्लैडर में जमा मूत्र बाहर निकल जाता है। ब्लैडर के खाली होने के बाद कैथेटर/नली निकाल लेना चाहिए। इस उपाय के द्वारा ब्लैडर के फैलाव के साथ ही मूत्र पथ के संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। हाथों को धोना, मूत्रमार्ग के आसपास के क्षेत्र को स्वच्छ रखना, और स्टराइल या स्वच्छ कैथेटर/नली का उपयोग करने से भी संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। समन्वय के बिगड़ने पर कैथेटर/नली लगाना अधिक कठिन हो जाता है। कभी-कभी ब्लैडर के संकुचन को स्टिम्युलेट करने के लिए बीथानोकॉल जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है और इस तरह ब्लैडर को खाली करने में मदद मिलती है।

  • मूत्र असंयम: अतिसक्रिय ब्लैडर की मांसपेशियों को आराम देने के लिए, (मुंह से लिए जाने वाले) ऑक्सिब्यूटाइनिन, मिराबेग्रोन, टामसुलोसिन या टोलटेरोडीन का उपयोग किया जा सकता है। यदि इनकॉन्टिनेन्स बना रहता है, तो ब्लैडर में डाले गए कैथेटर/नली के उपयोग से मदद मिल सकती है। लोग इसे स्वयं से डालना सीख सकते हैं।

  • पसीना संबंधी असामान्यताएं: यदि पसीना कम हो रहा है या तनिक भी नहीं हो रहा है, तो लोगों को गर्म वातावरण से बचना चाहिए ताकि उनका शरीर अधिक गर्म न हो।

  • इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन: सिल्डेनाफ़िल जैसी दवाएँ ज़रूरत के मुताबिक मुंह से ली जाती हैं या फिर दिन में एक बार टेडेलाफ़िल ली जा सकती है, लेकिन ये दवाएँ ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन को और बदतर बना सकती हैं।

quizzes_lightbulb_red
अपना ज्ञान परखेंएक क्वज़ि लें!
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
अभी डाउनलोड करने के लिए कोड को स्कैन करेंiOS ANDROID