हॉर्नर सिंड्रोम

(हॉर्नर सिंड्रोम)

इनके द्वाराElizabeth Coon, MD, Mayo Clinic
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जुल॰ २०२३

हॉर्नर सिंड्रोम से चेहरे के एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होता है, जिससे पलक लटक/झुक जाती है, प्यूपिल छोटी (संकुचित) हो जाती है, और पसीना कम निकलता है। इसका कारण मस्तिष्क को आँख से जोड़ने वाली तंत्रिका तंतुओं का क्षतिग्रस्त होना है।

  • हॉर्नर सिंड्रोम अपने आप या किसी ऐसे विकार के चलते हो सकता है जो मस्तिष्क को आँख से जोड़ने वाले तंत्रिका तंतुओं को बाधित करता है।

  • इसके लक्षणों में शामिल हैं, ऊपरी पलक का झुकना/लटकना, प्यूपिल का छोटा होना, और चेहरे के प्रभावित हिस्से में कम पसीना आना।

  • डॉक्टर यह जानने के लिए प्यूपिल का परीक्षण करते हैं कि यह बड़ा हो सकता है या नहीं, और वे (डॉक्टर) कारण का पता लगाने के लिए इमेजिंग परीक्षण भी कर सकते हैं।

  • कारण की अगर पहचान की जाती है, तो इसका इलाज किया जाता है।

(ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम का विवरण भी देखें।)

हॉर्नर सिंड्रोम किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।

हॉर्नर सिंड्रोम के कारण

आँखों और मस्तिष्क को जोड़ने वाले कुछ तंत्रिका तंतुओं का मार्ग घुमावदार होता है। ये मस्तिष्क से होकर स्पाइनल कॉर्ड में नीचे की ओर जाते हैं। वे छाती में स्पाइनल कॉर्ड से बाहर निकलते हैं, फिर गर्दन से पीछे की ओर कैरोटिड धमनी के बगल से खोपड़ी में जाते हैं, जहाँ पर ये आँखों से जुड़ते हैं। यदि इन तंत्रिका तंतुओं का मार्ग कहीं भी बाधित होता है, तो हॉर्नर सिंड्रोम हो जाता है।

हॉर्नर सिंड्रोम अपने आप या किसी अन्य विकार के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, यह सिर, मस्तिष्क, गर्दन, छाती या स्पाइनल कॉर्ड के विकारों के कारण हो सकता है, जैसे कि निम्नलिखित:

हॉर्नर सिंड्रोम की मौजूदगी जन्म के समय से हो सकती है (जन्मजात)।

हॉर्नर सिंड्रोम के लक्षण

हॉर्नर सिंड्रोम से आँख का वह हिस्सा प्रभावित होता है जिस तरफ के तंत्रिका तंतु बाधित होते हैं।

हॉर्नर सिंड्रोम के लक्षणों में ऊपरी पलक का झुकना/लटकना (पीटोसिस) और प्यूपिल में संकुचन (मियोसिस) शामिल हैं। कुछ लोगों में, प्यूपिल के संकुचित होने पर अंधेरे में देखने की क्षमता दुष्प्रभावित होती है। हालांकि, ज़्यादातर लोग अपनी नज़र के इस अंतर को महसूस नहीं कर पाते हैं।

हो सकता है कि चेहरे के प्रभावित हिस्से में सामान्य से कम या बिल्कुल भी पसीना न आए, और विरले मामलों में, यह फूला हुआ दिखता है।

जन्मजात रूप में, प्रभावित आँख की आइरिस नीले-भूरे रंग की होती है।

हॉर्नर सिंड्रोम का निदान

  • आई ड्रॉप परीक्षण

  • कारण का पता लगाने के लिए मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग या कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी

लक्षणों के आधार पर हॉर्नर सिंड्रोम का संदेह व्यक्त किया जाता है।

हॉर्नर सिंड्रोम के निदान की पुष्टि करने तथा समस्या की जगह निर्धारित करने के लिए डॉक्टर दो हिस्सों में परीक्षण करते हैं:

  • सबसे पहले, वे दोनों आँखों में आई ड्रॉप डालते हैं जिनमें थोड़ी मात्रा में कोकीन या एक और दवाई (एप्राक्लोनिडाइन) होती है।

  • अगर हॉर्नर सिंड्रोम की संभावना का पता चलता है, तो डॉक्टर 48 घंटे बाद एक और टेस्ट करते हैं। वे दोनों आँखों में हाइड्रॉक्सीएम्फ़ेटामाइन ड्रॉप डालते हैं।

प्यूपिल पर दवाओं की प्रतिक्रिया इंगित करती है कि हॉर्नर सिंड्रोम होने की संभावना है या नहीं, साथ ही, इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि समस्या कहां है।

अगर हॉर्नर सिंड्रोम की संभावना हो, तो मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड, छाती या गर्दन की मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) या कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) की जाती है ताकि ट्यूमर का पता लगाने के साथ ही मस्तिष्क और आँख को जोड़ने वाले तंत्रिका तंतुओं को बाधित कर सकने वाले दूसरे गंभीर विकारों का पता लगाया जा सके।

हॉर्नर सिंड्रोम का उपचार

  • कारण की पहचान होने पर उसका उपचार

हॉर्नर सिंड्रोम के कारण की पहचान होने पर इसका उपचार किया जाता है। हालांकि, हॉर्नर सिंड्रोम के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। प्रायः किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि आम तौर पर पलक बहुत ही कम झुकती/लटकती है।

quizzes_lightbulb_red
अपना ज्ञान परखेंएक क्वज़ि लें!
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
अभी डाउनलोड करने के लिए कोड को स्कैन करेंiOS ANDROID