अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों में एक तिहाई से अधिक लोग बुजुर्ग होते हैं। और ज़्यादातर समय, अस्पताल में भर्ती लगभग आधे लोग 65 या उससे अधिक उम्र के होते हैं। इमरजेंसी डिपार्टमेंट में डॉक्टर को दिखाने आने वाले बुजुर्ग लोगों में से लगभग आधे अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं।
जब कई बुजुर्ग लोग अस्पताल छोड़ते हैं, तो उनकी हालत बीमार होने से पहले से भी बदतर हो सकती है। इस खराब हालत का एक कारण यह भी होता है कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले से ही, उन्हें लंबे समय से चले आ रहे गंभीर और दुर्बल करने वाले विकार होते हैं। (अस्पताल में भर्ती होने के कारण होने वाली समस्याएं भी देखें।)
हालांकि, सिर्फ अस्पताल में भर्ती होना एक वजह हो सकती है, जिससे किसी भी उम्र के व्यक्ति को समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं। बुजुर्ग लोगों में पहले से ही इन समस्याओं के होने या ऐसा होने की संभावना अधिक होती है और परिणामों के गंभीर होने की संभावना निम्नलिखित कारणों से अधिक हो सकती है:
भ्रम: बढ़ती उम्र के साथ होने वाले बदलावों के कारण, उनके अचानक और साफ़ तौर पर भ्रमित (डेलिरियम होने की) होने की संभावना अधिक होती है।
डिहाइड्रेशन: युवाओं की तुलना में बुजुर्ग लोगों को कम बार या कम तीव्रता से प्यास लगती है। इसलिए वे कम पानी पीते हैं, विशेषकर जब ऐसी परिस्थितियां हों जिनमें पानी मिलना ज़्यादा कठिन हो जाता है, जैसा कि अस्पताल में होता है।
गिरना: बुजुर्ग लोगों के गिरने की संभावना अधिक होती है और अगर वे गिरते हैं, तो उन्हें हड्डी टूटने जैसी गंभीर चोट लगने की संभावना अधिक होती है।
इनकॉन्टिनेन्स: सर्जरी के बाद, बुजुर्ग लोगों को अस्पताल के ऊंचे बिस्तर से नीचे उतरने में कठिनाई हो सकती है, खास तौर पर तब, जब उन्हें कोई गंभीर विकार हो या उनसे कई उपकरण जुड़े हुए हों। ऐसा होने पर, वे समय पर शौचालय नहीं पहुंच पाते हैं।
खुलकर कुछ करने की आज़ादी न होना: अस्पताल में रहने के दौरान, बुजुर्ग लोग खुद की देखभाल करने में असमर्थ हो सकते हैं, इसलिए उनकी ऐसी देखभाल (जैसे नहलाना) अस्पताल के कर्मचारी करते हैं।
मांसपेशियों के ऊतक की हानि: जब वे बिस्तर में बहुत अधिक समय बिताते हैं या चलने-फिरने में असमर्थ होते हैं, तब उनकी मांसपेशियों के ऊतकों में काफ़ी कमी आ जाती है और वे जल्दी-जल्दी कम होते हैं।
दबाव के कारण छाले: चूंकि बुजुर्ग लोगों की त्वचा के नीचे वसा कम होता है और त्वचा में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, इसलिए उन्हें दबाव पड़ने से होने वाले घाव होने का खतरा बना रहता है। अगर उनमें प्रेशर सोर बन जाते हैं, तो अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उन्हें अपने घर के बजाय नर्सिंग होम भेजा जा सकता है।
दवाइयों के दुष्प्रभाव: अस्पताल में भर्ती होने से पहले, बहुत से बुजुर्ग लोग कई दवाइयाँ ले रहे होते हैं (यह भी देखें बुढ़ापा और दवाइयाँ)। अस्पताल में, डॉक्टर कुछ और दवाइयाँ लिख सकते हैं। लोग जितनी अधिक दवाइयाँ लेते हैं, उनके दुष्प्रभाव होने और दूसरी दवाओं, सप्लीमेंट या खाने-पीने की चीज़ों के साथ उनके इंटरैक्शन की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। इसके अलावा, बुजुर्ग लोग कई दवाइयों के असर को लेकर अधिक संवेदनशील होते हैं।
कुपोषण: उम्र से संबंधित शारीरिक बदलाव, भूख या पोषक तत्वों के अवशोषण को कम कर सकते हैं, जैसा कि कुछ विकारों के दौरान ऐसा (दांतों की समस्याओं सहित) और दवाइयाँ लेने पर हो सकता है।
कई बुजुर्ग लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के अनुभव के साथ-साथ अपने विकार से मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से पहले जैसा होने में कठिनाई होती है।
इससे बचने के लिए उपाय
कुछ अस्पतालों ने ऐसे कुछ तरीके तैयार किए हैं, जो बुजुर्ग लोगों के अस्पताल में भर्ती होने पर उनमें उन समस्याओं को होने से रोक सकते हैं, जो उन्हें अस्पताल में भर्ती होने पर हो सकती हैं। इन तरीकों को बुजुर्ग लोगों की मदद करने के लिए इस तरह तैयार किया गया है कि वे बाद में भी उसी तरह से रह सकें, जैसे वे बीमार होने से पहले थे।
एक इंटरडिसिप्लिनरी टीम: इस टीम में ऐसे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर शामिल होते हैं, जो बुजुर्ग लोगों की देखभाल करने के लिए मिलकर काम करते हैं। टीम के सदस्य रोगी की ज़रूरतों का मूल्यांकन करते हैं और अस्पताल में रोगी की देखभाल करने में मदद करते हैं। टीम के सदस्य संभावित समस्याओं के बारे में पता लगाते हैं और उन्हें ठीक करते हैं या उनकी रोकथम करते हैं।
एक वन-फोकस टीम: यह टीम किसी खास समस्या, जैसे कि कम-पोषण या प्रेशर सोर को रोकने और प्रबंधित करने पर ध्यान देती है। ऐसी टीमें अक्सर एक नर्स की देख-रेख में काम करती हैं, यह नर्स समस्या के लिए व्यक्ति की जांच करती है और एक केयर प्लान तैयार करती है।
जेरिआट्रिशियन: इन डॉक्टरों को खास तौर पर बुजुर्ग लोगों की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है और वे उनमें हो सकने वाली आम समस्याओं को रोकने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जेरिआट्रिशियन उन दवाइयों या दवाइयों के संयोजनों को लिखने से बचते हैं, जिनसे बुजुर्ग लोगों में समस्या होने की संभावना अधिक होती है और ऐसी दवाइयाँ बंद करा सकते हैं, जिनसे मिलने वाले लाभ कम होते हैं या जिनके संभावित दुष्प्रभाव होते हैं (यह भी देखें बुढ़ापा और दवाइयाँ)।
दिशानिर्देश: अस्पताल, बुजुर्ग लोगों के लिए खास तौर पर तैयार किए गए देखभाल (प्रोटोकॉल) संबंधी दिशानिर्देशों का भी पालन कर सकते हैं।
एक नर्स को नियुक्त किया जाता है: कभी-कभी एक नर्स को रोगी की देखभाल की प्राथमिक ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है। इस नर्स का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि स्टाफ के बाकी सदस्य भी रोगी की उपचार योजना को सही तरीके से समझें।
जेरिएट्रिक नर्सिंग यूनिट: ये यूनिट बुजुर्ग लोगों के लिए डिज़ाइन की गई होती हैं और उनकी देखभाल करने के लिए इनमें प्रशिक्षित कर्मचारियों को रखा जाता है। इन यूनिट में, बुजुर्ग लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे जल्द से जल्द बिस्तर से बाहर निकलें। उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है कि वे हर सुबह कपड़े पहनें, अपनी सामान्य दिनचर्या का ज़्यादा से ज़्यादा पालन करें और ग्रुप डाइनिंग रूम में खाना खाएं। अगर बुजुर्ग लोग लंबे समय तक अस्पताल में रहने वाले हैं, तो उन्हें अपने कमरे में अपनी पसंद की तस्वीरें, तकिए और अपनी बाकी पसंदीदा चीज़ें रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्टाफ के सदस्य, परिवार के सदस्यों और दोस्तों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि वे भी रोगी की देखभाल में शामिल हों।
उपचार
अस्पताल में किसी विकार का इलाज कितनी तेज़ी से किया जाता है, यह उम्र पर निर्भर नहीं होना चाहिए। परिवार के सदस्यों और बुजुर्ग लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से बात करनी चाहिए कि इलाज के विकल्प विकार की गंभीरता पर आधारित हों, उम्र पर नहीं। हालांकि, कम आक्रामक इलाज कभी-कभी बुजुर्ग लोगों के लिए लाभदायक हो सकते हैं और यह उनकी इच्छाओं और दृष्टिकोण पर निर्भर करता है—मतलब विकार के बढ़ने की गति कितनी हो सकती है और उनका अनुमानित जीवन-काल कितना हो सकता है। अग्रिम निर्देश बनाना, जिसमें यह लिखा होता है कि व्यक्ति किस प्रकार की स्वास्थ्य देखभाल पाना चाहता है, बुजुर्ग लोगों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है।