एलपोर्ट सिंड्रोम

(आनुवंशिक नेफ्रिटिस)

इनके द्वाराFrank O'Brien, MD, Washington University in St. Louis
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अग॰ २०२३

एक आनुवंशिक (जीन संबंधी) बीमारी है एलपोर्ट सिंड्रोम, जिसके कारण ग्लोमेरुलोनेफ़्राइटिस होता है जिसमें किडनी ठीक से कम नहीं कर पाती है, पेशाब में खून आता है, और कभी-कभी बहरापन और आँखों की असामान्यताएं आ जाती हैं।

(किडनी फ़िल्टरिंग से जुड़ी बीमारियों और ग्लोमेरुलोनेफ़्राइटिस के बारे में जानकारी भी देखें।)

एलपोर्ट सिंड्रोम आमतौर पर X-क्रोमोसोम (फ़ीमेल सेक्स क्रोमोसोम) पर एक आनुवंशिक म्यूटेशन की वजह से होता है, लेकिन कभी-कभी यह किसी असामान्य जीन या नॉनसेक्स (ऑटोसोमल) क्रोमोसोम की वजह से होता है। इस म्यूटेशन की वजह से ग्लोमेरुलस के बेसमेंट मेम्ब्रेन में एक असामान्यता हो जाती है, जिससे मूत्र में रक्त कोशिकाएं और प्रोटीन लीक होने लगता है। दूसरे कारक इस बात को प्रभावित करते हैं कि आनुवंशिक म्यूटेशन से पीड़ित व्यक्ति में विकार कितना गंभीर है। यह एलपोर्ट सिंड्रोम क्रोनिक किडनी बीमारी का कारण बन सकता है, कभी-कभी किडनी ज़्यादातर कामकाज (किडनी में ख़राबी) करना बंद कर देती है।

एलपोर्ट सिंड्रोम के लक्षण

जिन महिलाओं के दो X क्रोमोसोम में से किसी एक पर आनुवंशिक म्यूटेशन होता है उनमें आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होता है, हालांकि हो सकता है कि उनकी किडनी सामान्य से कुछ कम असरदार तरीके से काम करे। इनमें से ज़्यादातर महिलाओं के पेशाब में कुछ खून आता है। कभी-कभी, किसी महिला में किडनी ज़्यादातर काम करना बंद (गुर्दे की विफलता) कर देती हैं।

जिन पुरुषों के एक X क्रोमोसोम पर आनुवंशिक म्यूटेशन होता है उनमें कहीं ज़्यादा गंभीर समस्याएं विकसित हो जाती हैं, क्योंकि इस खराबी की भरपाई करने के लिए पुरुषों के पास दूसरा X क्रोमोसोम नहीं होता। पुरुषों में किडनी की खराबी आमतौर पर 20 से 30 साल की उम्र के बीच होती है, लेकिन कुछ पुरुषों में आनुवंशिक म्यूटेशन की वजह से 30 साल की उम्र से पहले किडनी खराब नहीं होती।

एलपोर्ट सिंड्रोम दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। सुनने संबंधी समस्याओं में आमतौर पर उच्च आवृत्तियों में ध्वनियों को सुनने में असमर्थता आम है। मोतियाबिंद भी हो सकता है, हालांकि सुनने संबंधी समस्या कम ही होती है। कभी-कभी कॉर्निया, लेंस या रेटिना में असामान्यताएं अंधापन का कारण बनती हैं।

एलपोर्ट सिंड्रोम का निदान

  • सीरम क्रेटिनाइन लेवल

  • यूरिनेलिसिस

  • किडनी बायोप्सी

  • आण्विक आनुवंशिक विश्लेषण

सीरम क्रेटिनाइन लेवल किडनी के प्रकार्य का आकलन करने के लिए जांचा जाता है। यूरिन टेस्ट। निदान का सुझाव उन लोगों में दिया जाता है जिनके पेशाब में खून आता है, खासकर अगर सुनने या नज़र संबंधी असामान्यता या क्रोनिक किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा हो।

किडनी बायोप्सी की जाती है।

जिन लोगों के परिवार के सदस्यों को एलपोर्ट सिंड्रोम है उनमें कभी-कभी बायोप्सी करके यह देखा जाता है कि क्या उनमें भी किडनी में होने वाली बेसमेंट मेम्ब्रेन असामान्यताओं जैसा कुछ तो मौजूद नहीं है।

आमतौर पर, जेनेटिक टेस्टिंग उनका होता है जिनके परिवार में किडनी की बीमारी का कोई पारिवारिक इतिहास हो।

एलपोर्ट सिंड्रोम का इलाज

  • डायलिसिस

इसकी कोई खास थेरेपी नहीं है। जिन लोगों की किडनी ख़राब हो जाती है उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है।

quizzes_lightbulb_red
अपना ज्ञान परखेंएक क्वज़ि लें!
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
मैनुअल'  ऐप को निः शुल्क डाउनलोड करेंiOS ANDROID
अभी डाउनलोड करने के लिए कोड को स्कैन करेंiOS ANDROID