किसी बच्चे द्वारा उपभोग की गई खाने की मात्रा हर दिन अलग होती है। ये छोटे-छोटे बदलाव आम बात हैं तथा इन पर तभी चिंता करनी चाहिए, जब बच्चे में बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं या विकास में बदलाव नज़र आएं, खासतौर पर वज़न के परसेंटाइल में कोई फर्क नज़र आता है (लंबाई और ऊंचाई देखें)।
आमतौर पर, नवजात शिशुओं का वज़न जन्म के ठीक बाद कम हो जाता है, लेकिन ऐसे शिशु जिनका वज़न पहले सप्ताह में 5 से 7% तक कम हो जाता है, वे अल्पपोषित होते हैं और उनमें फीडिंग (पोषण ग्रहण करने संबंधी) समस्या हो सकती है। यदि नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाया जा रहा है, तो जन्म के समय उनका वज़न 2 सप्ताह में, और यदि वे फ़ॉर्मूला-आहार ले रहे हैं, तो जन्म के बाद लगभग 10 दिनों में उनका वज़न फिर से वापस आ जाता है। उसके बाद, पहले कुछ महीनों के दौरान उनका वजन 20 से 30 ग्राम (1 आउंस) हर रोज़ बढ़ना चाहिए। लगभग 5 महीनों की आयु तक सामान्यतः नवजात शिशु का वज़न जन्म के वज़न से दुगुना होना चाहिए।
सामान्य नवजात शिशुओं में सक्रिय रिफ़्लेक्सेज़ होते हैं, जिससे उन्हें चूचुक को खोजने और दूध पीने में सहायता मिलती है। ये रूटिंग और सकिंग रिफ़्लेक्सेज़ हैं। रूटिंग रिफ़्लेक्स में, जब उनके मुंह की दोनों साइड में से किसी एक या होठ पर स्ट्रोक का असर होता है, तो नवजात शिशु अपने सिर को उस तरफ मोड लेते हैं और अपना मुंह खोलते हैं। इस रिफ़्लेक्स से नवजात शिशुओं को चूचुकों को खोजने में मदद मिलती है। सकिंग रिफ़्लेक्स में, जब उनके मुंह में किसी वस्तु को रखा जाता है, तो नवजात शिशु तत्काल चूसना शुरु कर देते हैं। इन रिफ़्लेक्सेज़ के कारण नवजात शिशु तत्काल स्तनपान करना शुरू कर देते हैं, इसलिए डॉक्टर नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद मां की छाती के पास रखने का सुझाव देते हैं। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो फ़ीडिंग को जन्म के कम से कम 4 घंटों में शुरू कर देना चाहिए। फ़ॉर्मूला फ़ीडिंग भी एक विकल्प है।
अधिकांश शिशु दूध के साथ हवा को भी निगल लेते हैं। शिशु आमतौर पर अपने आप डकार नहीं ले सकते हैं, इसलिए माता-पिता को सहायता करनी पड़ती है। शिशुओं को सीधा पकड़ा जाना चाहिए, और माता-पिता को उनको अपने सीने के साथ लगाना चाहिए, और उनका सिर, माता-पिता के कंधे पर होना चाहिए, और माता-पिता को उनकी पीठ पर हल्की थपकियां देनी चाहिए। थपथपाने और कंधे पर दबाव डालने पर, डकार आती है और उसकी आवाज़ भी सुनाई देती है, जिसके साथ अक्सर थोड़ी मात्रा में दूध बाहर निकल आता है।
ठोस आहार शुरू करने का समय शिशु की ज़रूरतों और तत्परता पर निर्भर होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तथा अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) लगभग 6 महीनो तक एकमात्र स्तनपान का सुझाव देते हैं, और फिर ठोस आहार की शुरुआत करनी चाहिए। दूसरे संगठन यह सुझाव देते हैं कि 4 से 6 महीने की आयु के बीच में ठोस आहार की शुरुआत करनी चाहिए, और साथ ही स्तनपान करवाना या बोतल से फ़ीड कराना जारी रखा जाना चाहिए। बच्चा ठोस आहार के लिए तैयार है इसके संकेतों में सिर और गर्दन पर अच्छा नियंत्रण, सहारा देने पर सीधा बैठने की क्षमता, खाने में रुचि, चम्मच से खाना देने पर मुंह खोलना, और खाना बाहर वापस निकालने की बजाय उसे निगलना शामिल हैं। अधिकतर बच्चे 6 महीने की आयु तक इन संकेतों को दिखाना शुरू कर देते हैं। 4 महीने की आयु से पहले ठोस आहार देने की सिफ़ारिश नहीं की जाती है।