मुंह के छाले और सूजन

(स्टॉमैटाइटिस)

इनके द्वाराBernard J. Hennessy, DDS, Texas A&M University, College of Dentistry
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जन॰ २०२४

मुंह के छाले और सूजन अपनी दिखावट और आकार में भिन्न होते हैं और होंठ के साथ-साथ मुंह के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं (देखें होंठ के छाले और सूजन)।

रोगी के मुंह की अंदरूनी परत पर सूजन और लालपन या अलग-अलग, दर्द वाले अल्सर हो सकते हैं। अल्सर एक छाले की तरह है जो मुंह की सतह पर उस समय एक छेद बनाता है जब कोशिकाओं की ऊपरी परत टूट चुकी होती है। कई अल्सर लाल दिखाई देते हैं, लेकिन कुछ मृत कोशिकाओं और बीच के हिस्से के अंदर खाने के बचे अंश के कारण सफेद होते हैं। फफोले ऐसे छाले होते हैं जो उभरे हुए होते हैं और साफ़ दिखने वाले तरल पदार्थ से भरे होते हैं (उन्हें आकार के आधार पर वेसिकल्स vesicles या बुलाई bullae कहा जाता है)। शायद ही कभी, लोगों में मुंह में सूजन के लक्षण होने के बावजूद मुंह सामान्य दिखता है (बर्निंग माउथ सिंड्रोम).

कैंसर न करने वाले (बिनाइन) अल्सर आमतौर पर दर्द करने वाले होते हैं जब तक कि उनका सही तरह से इलाज नहीं किया जाता। दर्द होने से खाना मुश्किल हो जाता है, जिससे कभी-कभी शरीर में पानी की कमी और कम-पोषण जैसी समस्याएं होती हैं। कुछ छाले मिट जाते हैं लेकिन दोबारा बनते हैं।

मुंह के छाले और सूजन होने की वजहें

मुंह के छाले कई तरह के हो सकते हैं और ये कई कारणों से हो सकते हैं। मुंह के छाले एक संक्रमण, एक पूरे शरीर की (प्रणालीगत) बीमारी, एक शारीरिक या रासायनिक इररिटेंट, या किसी एलर्जी वाली प्रतिक्रिया के कारण हो सकते हैं (मुंह के छालों के कुछ कारण टेबल देखें). ज़्यादातर मामलों में इसकी वजह का पता नहीं लग पाता। आमतौर पर, चूंकि लार का सामान्य प्रवाह मुंह की अंदरूनी परत की रक्षा करने में मदद करता है, इसलिए लार बनने को कम करने वाली कोई भी स्थिति होने पर मुंह में छाले होने की संभावना बढ़ जाती है (देखें मुँह सूखना).

मुंह में छाले होने की सबसे आम वजहें हैं

वायरल संक्रमण

मुंह में संक्रमण के माध्यम से होने वाले छाले अक्सर वायरस की वजह से होते हैं। होंठ के जलन करने वाले छाले और कुछेक मामलों में, हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस से तालू पर होने वाले अल्सर शायद सबसे आम तरह के संक्रमण हैं। हालांकि, कई अन्य वायरस भी मुंह में छाले कर सकते हैं। वेरिसेला-ज़ॉस्टर, जो कि चिकनपॉक्स के साथ-साथ शिंगल्स जैसे दर्द वाले त्वचा में विकार पैदा करने वाला वायरस है, जिससे मुंह में एक तरफ कई छाले हो सकते हैं। ये छाले वायरस के भड़कने पर बनते हैं, जो हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस की तरह ही शरीर को कभी नहीं छोड़ता है। कभी-कभी, कई महीनों या वर्षों तक या छाले ठीक होने के बाद भी, मुंह में हमेशा के लिए दर्द बना रहता है।

अन्य संक्रमण

बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने से मुंह में घाव और सूजन हो सकती है। ये संक्रमण आमतौर पर मुंह में मौजूद जीवों के ज़्यादा बढ़ने या नए जीवों के बनने के कारण हो सकता है, जैसे ऐसे बैक्टीरिया जिनसे सिफलिस या प्रमेह बीमारी होती है। दांतों या मसूड़ों से बैक्टीरिया से हुआ संक्रमण फैलकर एक संक्रमण वाली मवाद से भरी थैली (ऐब्सेस) बना सकता है या बड़े पैमाने पर सूजन का कारण बन सकता है (सेल्युलाइटिस)।

सिफ़िलिस होने पर एक लाल, दर्द रहित घाव (शैन्कर) बन सकता है जो संक्रमण के शुरुआती चरण के दौरान मुंह में या होंठों पर बनता है। ये छाले आमतौर पर कई हफ्तों के बाद ठीक हो जाते हैं। अगर सिफलिस का इलाज नहीं किया जाता है, तो लगभग 4 से 10 सप्ताह बाद होंठ पर या मुंह के अंदर एक सफेद भाग (म्यूक्स पैच) बन सकता है। दोनों शैन्कर और म्यूकस पैच बहुत संक्रामक होते हैं, और इन स्टेजों के दौरान चूमने से रोग फैल सकता है। लेट-स्टेज सिफलिस में, तालू या जीभ में एक छेद (गुम्मा) दिखाई दे सकता है। इस स्टेज पर रोग संक्रामक नहीं होता है।

यीस्ट कैंडिडा एल्बिकान्स आमतौर पर मुंह में ही रहता है। हालांकि, यह उन लोगों में बढ़ सकता है जिन्होंने एंटीबायोटिक्स या कॉर्टिकोस्टेरॉइड लिया है या जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है, जैसे कि एड्सके मरीज। कैंडिडा सफेद, पनीर जैसे धब्बे बना सकते हैं जिन्हें हटाए जाने पर वे मुंह की अंदरूनी परत के ऊपरी भाग को नष्ट कर देते हैं (थ्रश)। कभी-कभी केवल सपाट, लाल धब्बे दिखाई देते हैं।

चोट या जलन

मुंह को किसी भी प्रकार की क्षति या चोट, उदाहरण के लिए, जब गाल के अंदर गलती से काट लिया जाता है या टूटे हुए या जैग्ड दांतों या खराब-फिटिंग डेन्चर द्वारा रगड़ लग जाती है, तो मुंह में फफोले (वेसिकल्स vesicles या बुलाई bullae) या अल्सर बन सकते हैं। आमतौर पर, फफोलों की सतह जल्दी से टूट जाती है (फट जाती है), जिससे अल्सर बन जाता है।

कई खाद्य पदार्थ और रसायन एक प्रकार की एलर्जी वाली प्रतिक्रिया को भड़का सकते हैं या ट्रिगर कर सकते हैं, जिससे मुंह के छाले हो सकते हैं। टूथपेस्ट, माउथवॉश, कैंडी और गम जैसे आम पदार्थों के कुछ संघटकों की तरह ही, खासतौर पर एसिडिक खाद्य पदार्थ, सिनामन (दालचीनी) फ्लेवरिंग, या एस्ट्रिन्जेन्ट से मुँह में परेशानी हो सकती है।

तंबाकू

तंबाकू के सेवन से मुंह के छाले हो सकते हैं। छाले होने की सबसे ज़्यादा संभावना तंबाकू उत्पादों में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले जलन करने वाले पदार्थ, विषाक्त पदार्थ और कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आने से होती है, लेकिन मुंह की अंदरूनी परत पर सूखने के प्रभाव, मुंह में उच्च तापमान, मुंह की अम्लता में परिवर्तन, या वायरल, बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण के प्रतिरोध में कमी के परिणामस्वरूप भी हो सकती है।

दवाएं और रेडिएशन थेरेपी

मुंह के छाले पैदा करने वाली सबसे आम दवाओं में कैंसर की कुछ कीमोथेरेपी दवाएं शामिल हैं। रेडिएशन थेरेपी भी मुंह में छाले होने का एक सामान्य कारण है। गोल्ड वाली दवाएं लेने से, जिन्हें कभी रूमैटॉइड अर्थराइटिस और कुछ अन्य ऑटोइम्यून विकारों के इलाज के लिए उपयोग किया गया था, मुंह के छाले हो सकते हैं, लेकिन इन दवाओं का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है क्योंकि अब इनसे ज़्यादा सुरक्षित और ज़्यादा प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं। शायद ही कभी, एंटीबायोटिक्स लेने के बाद मुंह में छाले होते हैं।

प्रणालीगत विकार

कई बीमारियां शरीर के अन्य हिस्सों के साथ मुंह को भी प्रभावित करती हैं। बेशेट रोग, जोकि शरीर में सूजन बढ़ाने वाला रोग है और आंखों, जननांगों, त्वचा, जोड़ों, रक्त वाहिकाओं, मस्तिष्क और जठरांत्र संबंधी मार्ग सहित कई अंगों को प्रभावित करता है, बार-बार होने वाले, दर्द भरे मुंह के छालों का कारण बन सकता है। स्टीवंस-जॉनसन सिंड्रोम भी, जोकि एक प्रकार की एलर्जी वाली प्रतिक्रिया है, त्वचा के फफोले और मुंह के छाले का कारण बनता है। कुछ लोगों में `इंफ्लेमेटरी बाउल रोग होने पर भी मुंह में छाले बन सकते हैं। जिन लोगों को सीवियरसीलिएक रोग–जो ग्लूटेन (गेहूं और कुछ अन्य अनाजों का एक घटक) को सहन न कर पाने के कारण होता है, उनमें अक्सर मुंह के छाले हो जाते हैं। लाइकेन प्लेनस, जोकि एक त्वचा रोग है, शायद ही कभी मुंह के छालों का कारण बन सकता है, हालांकि आमतौर पर ये छाले उतना परेशान नहीं करते जितना त्वचा पर होने वाले फफोले करते हैं। बुलस पेम्फिगॉइड और पेम्फिगस वल्गेरिस, ये दोनों त्वचा रोग हैं और इनसे मुंह में छाले भी हो सकते हैं।

पोषक तत्वों जैसे कि आयरन, नियासिन (विटामिन B3), विटामिन B6, विटामिन B12, और विटामिन C की कमी होने पर भी मुंह में छाले हो सकते हैं।

मुंह के छाले और सूजन का मूल्यांकन

मुंह के सभी छालों का डॉक्टर द्वारा तुरंत मूल्यांकन कराने की आवश्यकता नहीं होती है। आगे की जानकारी लोगों को यह तय करने में मदद कर सकती है कि किसी डॉक्टर के मूल्यांकन की आवश्यकता है या नहीं और यह जानने में उनकी मदद कर सकती है कि मूल्यांकन के दौरान क्या अपेक्षा की जानी चाहिए।

चेतावनी के संकेत

जिन लोगों को मुँह में छालों की समस्या होती है उनके लिए, कुछ लक्षण और विशेषताएं प्रणालीगत विकारों की दृष्टि से चिंताजनक हो सकते हैं। उनमें शामिल हैं

  • बुखार

  • त्वचा पर फफोले

  • आंख की सूजन

  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में छाले (जैसेकि HIV संक्रमण से पीड़ित लोग)

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए

जिन लोगों को चेतावनी के संकेत हों उन्हें तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। जिन लोगों में चेतावनी के कोई संकेत नहीं है, लेकिन उन्हें बहुत दर्द हो, आम तौर पर बीमार जैसा महसूस करते हों, और/या खाने में परेशानी होती हो, वे थोड़े समय के बाद भी डॉक्टर से मिल सकते हैं। 10 दिनों या उससे ज़्यादा समय तक छाला बना रहने पर, रोगी को डॉक्टर या दांतों के डॉक्टर द्वारा जांच करानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि कहीं यह छाला कैंसर करने वाला तो नहीं है।

डॉक्टर क्या करते हैं

डॉक्टर सबसे पहले व्यक्ति के लक्षण और चिकित्सा इतिहास के बारे में सवाल पूछते हैं। डॉक्टर लोगों से भोजन, दवाओं और अन्य पदार्थों (जैसे तंबाकू, केमिकल, टूथपेस्ट, माउथवॉश, मैटल, धुआँ या धूल) के सेवन या संपर्क में आने के बारे में पूछते हैं। डॉक्टरों को वर्तमान में ज्ञात उन सभी स्थितियों के बारे में जानना ज़रूरी होता है जिनसे मुंह में छाले हो सकते हैं (जैसे हर्पीस सिंप्लेक्स, बेशेट रोग, या इंफ्लेमेटरी बाउल रोग), ऐसी स्थितियां जो मुंह के छालों के लिए जोखिम कारक हैं (जैसे कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, कैंसर, या HIV संक्रमण), और व्यक्ति के यौन संबंधों का इतिहास।

उसके बाद डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण करते हैं। मुंह का निरीक्षण किया जाता है, छाला किस तरह का है और किस जगह पर है यह देखते हुए। इसके बाद, डॉक्टर मुंह को प्रभावित करने वाले प्रणालीगत विकारों के संकेतों को देखने के लिए एक सामान्य जांच करते हैं। किसी भी छाले, फफोले या चकत्ते के लिए त्वचा, आंखों और जननांगों की जांच की जाती है।

मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक जांच में जो बातें डॉक्टरों को पता लगती हैं, वे अक्सर मुँह के छालों की समस्या का कारण बता देती हैं और यह भी पता लग जाता है कि किन जांचों को करवाया जाना ज़रूरी है।

टेबल
टेबल

परीक्षण

  • कभी-कभी लैब में कल्चर जांच, रक्त जांच या बायोप्सी करके

जांच की आवश्यकता इस पर निर्भर करती है कि डॉक्टरों को इतिहास और शारीरिक परीक्षण के दौरान क्या मिलता है, विशेष रूप से यदि चेतावनी के चिह्न मौजूद हैं। जिन लोगों में मुंह के घाव कुछ समय के लिए रहे हैं और प्रणालीगत बीमारी के लिए कोई लक्षण या जोखिम कारक मौजूद नहीं हैं उनके लिए कोई जांच नहीं करनी पड़ती। जिनके मुंह में कई बार छाले होते रहे हैं उन लोगों में, वायरल और बैक्टीरियल कल्चर की और कई रक्त जांच की जाती हैं। ऐसे ज़िद्दी बने रहने वाले घावों–जिनके बनने का कोई स्पष्ट कारण मालूम न हो–के लिए बायोप्सी की जा सकती है।

एक-एक करके, आहार से खाद्य पदार्थों को हटाना या टूथपेस्ट, च्युइंग गम, या माउथवॉश का ब्रैंड बदल-बदल कर इस्तेमाल करने से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि क्या ये छाले किसी खास भोजन या मुंह की देखभाल में उपयोग होने वाले प्रॉडक्ट की वजह से हो रहे हैं।

मुंह में छाले और सूजन होने का इलाज

  • कारण का इलाज

  • जलन/रगड़ करने वाले खाद्य पदार्थों और पदार्थों से परहेज़ करके

  • टॉपिकल उपचार

डॉक्टर कारण का इलाज करते हैं, अगर कारण मालूम हो। उदाहरण के लिए, लोगों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। मुंह में छाले बनाने वाले किसी भी पदार्थ या दवाओं से बचने की सलाह दी जाती है। कई-कई बार, टूथब्रश से हल्के-हल्के दांतों को साफ़ करने और नमक-पानी से कुल्ला करने से छालों में संक्रमण होने से बचाने में मदद मिल सकती है।

एसिडिक या बहुत ज़्यादा नमकीन खाद्य पदार्थों और जलन/रगड़ करने वाले किसी भी अन्य पदार्थ से बचकर दर्द से राहत पाई जा सकती है।

टॉपिकल उपचार

टॉपिकल ट्रीटमेंट ऐसे पदार्थ हैं जो शरीर के प्रभावित हुए हिस्से पर सीधे लगाए जा सकते हैं। मुंह के घावों के टॉपिकल ट्रीटमेंट में शामिल हैं

  • एनेस्थेटिक्स

  • सुरक्षात्मक कोटिंग्स

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स

  • लेजर या केमिकल से जलाकर

माउथ रिन्ज़ के रूप में एक एनेस्थेटिक जैसे डाइक्लोनिन या लिडोकेन का उपयोग किया जा सकता है। चूंकि ये माउथ रिन्ज़ मुँह और गले को सुन्न कर देते हैं और इससे निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए उनका उपयोग करने वाले बच्चों में यह ध्यान देना चाहिए कि कहीं खाना अटक तो नहीं रहा है। एक गाढ़े प्रिपरेशन (चिपचिपा लिडोकेन) में लिडोकेन को भी रुई के फ़ाहे से सीधे मुंह के छाले पर लगाया जा सकता है। जो लोग ऐसी सफाई का उपयोग करते हैं उन्हें विषाक्त प्रभावों से बचने के लिए केवल अनुशंसित खुराक में ही उपयोग करना चाहिए।

सुक्रालफेट वाले सुरक्षात्मक लेप और एल्यूमीनियम-मैग्नीशियम एंटासिड से कुल्ला करने से भी आराम मिल सकता है। कई डॉक्टर लिडोकेन और/या डाइफेनहाइड्रामाइन (एक एंटीहिस्टामाइन) जैसे अन्य संघटकों को मिलाकर उपयोग के लिए देते हैं। इसका एक और विकल्प है एम्लेक्सानॉक्स पेस्ट। ये कोटिंग असुविधा से राहत दे सकती हैं लेकिन घावों के कारण का इलाज नहीं करते हैं। अल्कोहल (इथेनॉल) वाले माउथ रिन्ज़ से बचना चाहिए, क्योंकि वे मुंह के छालों को बदतर बना सकते हैं।

जब डॉक्टरों को यकीन हो जाता है कि छाले किसी संक्रमण के कारण नहीं है, तो वे हरेक छाले पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड रिन्ज़ या कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैल लगाने के लिए लिखकर दे सकते हैं।

मुंह के कुछ छालों का इलाज कम शक्ति वाले लेज़र से किया जा सकता है, जो दर्द से तुरंत राहत देता है और यह अक्सर छालों को फिर से बनने से रोकता है। सिल्वर नाइट्रेट की कोटिंग वाली एक छोटी स्टिक के साथ छाले को रासायनिक तौर से जलाने से दर्द से राहत मिल सकती है लेकिन यह तरीका लेज़र जितना असरदार नहीं है।

महत्वपूर्ण मुद्दे

  • अगर मुंह में छाले 10 दिनों से ज़्यादा बने रहते हैं, तो डॉक्टर या दांतों के डॉक्टर द्वारा उनकी जांच कराई जानी चाहिए।

  • जिन लोगों में प्रणालीगत (पूरे शरीर की) बीमारी का कोई अन्य लक्षण या जोखिम कारक न होने पर भी मुंह में छाले होते हैं, वे आमतौर पर एक वायरल संक्रमण या रिकरेंट एफ्थस स्टोमैटाइटिस के कारण होते हैं।

  • मुंह के बाहर लक्षण, ददोरे, या दोनों होने पर तुरंत जांच कराने की सलाह दी जाती है।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. MouthHealthy.org: पोषण के साथ-साथ मौखिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता है, साथ ही इससमें अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मंज़ूरी वाली सील लगे प्रॉडक्ट चुनने के बारे में भी मार्गदर्शन दिया गया है। इसके बारे में भी सलाह दी गई है कि दांतों के डॉक्टर कहाँ पर उपलब्ध हैं और उनसे कैसे और कब मिल सकते हैं।