कंजेस्टिव हैपेटोपैथी, लिवर में रक्त का संचयन होना है, जो हृदय की विफलता के कारण होता है।
(लिवर में रक्त वाहिका विकार का विवरण भी देखें।)
हृदय की गंभीर विफलता के परिणामस्वरूप रक्त हृदय से इनफेरियर वेना कावा (वह बड़ी शिरा जो शरीर के निचले हिस्सों से रक्त को हृदय तक ले जाती है) में आ कर संचित हो जाता है। इस प्रकार के कंजेस्शन से इंफेरियर वेना कावा और अन्य शिराओं में प्रेशर बढ़ जाता है जो इसमें रक्त को ले जाती हैं, जिसमें हैपेटिक शिराएं भी शामिल हैं (जो लिवर से रक्त को बाहर ले जाती हैं)। यदि प्रेशर पर्याप्त उच्च है, तो लिवर रक्त से भर (कंजेस्टेड) जाता है और दुष्क्रिया करता है।
अधिकांश लोगों को हृदय की विफलता के अलावा कोई अन्य लक्षण नहीं होते हैं। अन्य लोगों में, कंजेस्टेड लिवर के कारण पेट में असुविधा होती है, जो आमतौर पर हलकी होती है। लिवर (पेट का ऊपरी दायां हिस्सा) कोमल तथा संवर्धित होता है। गंभीर मामलों में, लिवर की खराबी के कारण त्वचा तथा आंख का सफेद हिस्सा पीला हो जाता है—एक विकार जिसे पीलिया कहा जाता है। पेट में तरल संचित हो सकता है—एक विकार जिसे एसाइटिस कहा जाता है। स्प्लीन के भी संवर्धित होने की संभावना होती है। यदि कंजेस्शन गंभीर तथा क्रोनिक है, लिवर को क्षति या यहां तक कि गंभीर स्कारिंग (सिरोसिस) विकसित हो सकती है।
डॉक्टर ऐसे लोगों में इस विकार की संभावना मानते हैं जिनमें हृदय की विफलता के खास लक्षण दिखाई देते हैं। डॉक्टर व्यक्ति की जांच करते हैं और यह तय करने के लिए रक्त परीक्षण करते हैं कि लिवर कितनी अच्छी तरह से काम कर रहा है और क्या यह क्षतिग्रस्त हो गया है (लिवर परीक्षण) तथा ये परीक्षण रक्त-क्लॉटिंग का मूल्यांकन करने के लिए किए जाते हैं। निदान, लक्षणों और जांच आदि तथा रक्त परीक्षण के नतीजे पर आधारित होता है। कंजेस्टिव हैपेटोपैथी की पहचान करना महत्वपूर्ण होता है, मुख्य रूप से क्योंकि इससे यह पता लगता है कि हृदय की विफलता कितनी गंभीर है।
प्रबंधन में हृदय की विफलता के उपचार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इस प्रकार के उपचार से सामान्य लिवर कार्य को फिर से आरम्भ किया जा सकता है।