मानव शरीर उन अनन्य कोशिकाओं से बनी एक जटिल, उच्च रूप से व्यवस्थित संरचना है जो जीवन को बनाए रखने हेतु आवश्यक विशिष्ट क्रियाओं को पूरा करने के लिए एक साथ कार्य करती हैं।
मानव शरीर के जीवविज्ञान में निम्नलिखित शामिल हैं
शरीर क्रिया विज्ञान (शरीर कैसे क्रिया करता है)
शरीर रचना विज्ञान (शरीर की संरचना कैसी होती है)
शरीर रचना विज्ञान को कई स्तरों में व्यवस्थित किया गया है, कोशिका के सबसे छोटे घटकों से लेकर ऊतकों और अंगों तथा अंगतंत्रों तक।
स्थूल शरीर रचना विज्ञान शरीर के उन अंगों का अध्ययन है, जो दृष्टिक निरीक्षण के दौरान, शरीर को परीक्षण के लिए काट कर खोले जाने पर (विच्छेदन), नग्न आँखों से दिखता है।
कोशिकीय शरीर रचना विज्ञान कोशिकाओं और उनके घटकों का अध्ययन है, जिनका अवलोकन केवल विशेष तकनीकों और सूक्ष्मदर्शी जैसे विशेष उपकरणों का उपयोग करके ही किया जा सकता है।
आणविक शरीर रचना विज्ञान (जिसे अक्सर आणविक जीवविज्ञान कहा जाता है) जैवरासायनिक स्तर पर कोशिकाओं के सबसे छोटे घटकों का अध्ययन है।
निषेचन और जन्म के बीच शरीर रचना विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान में उल्लेखनीय रूप से परिवर्तन आता है। जन्म के बाद, शारीरिक और फ़िज़ियोलॉजिक बदलावों की दर धीमी हो जाती है, लेकिन बचपन अभी भी उल्लेखनीय वृद्धि और विकास का समय होता है (देखें शिशुओं और बच्चों का शारीरिक विकास)। कुछ शारीरिक बदलाव वयस्कता के बाद आते हैं, लेकिन शरीर की कोशिकाओं और अंगों में फ़िज़ियोलॉजिक बदलाव, उस प्रक्रिया में सबसे अधिक योगदान करने वाले बदलाव हैं, जिन्हें हम उम्र बढ़ने के रूप में अनुभव करते हैं (देखें पेज उम्र बढ़ने के साथ शरीर में बदलाव)।