सिम्पेथेटिक ऑप्थैल्मिया

इनके द्वाराKara C. LaMattina, MD, Boston University School of Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया सित॰ २०२२

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया में ऊवियल ट्रैक्ट का शोथ (ऊवाइटिस) होता है जो एक आँख में चोट या सर्जरी के बाद दूसरी आँख में होता है।

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया एक दुर्लभ प्रकार की ऊवाइटिस है जिसके कारण कोशिकाओं के छोटे-छोटे असामान्य समूह (ग्रैन्युलोमा) बनते हैं। यह विकार एक आँख में किसी भेदने वाली चोट (जैसे कि पेंसिल, पेन, या छड़ी से) लगने या जख्मी आँख में सर्जरी के बाद चोट न खाई हुई आँख में होता है। अंततः, चोट न खाने वाली आँख के ऊवियल ट्रैक्ट में शोथ हो जाता है। लगभग 80% प्रभावित लोगों में चोट या सर्जरी के 2 से 12 सप्ताह के भीतर ऊवाइटिस प्रकट होती है। बहुत दुर्लभ रूप से, आरंभिक चोट या सर्जरी के बाद 1 सप्ताह के भीतर ही या 30 वर्ष जितने समय के बाद सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया होता है।

ऊवियल ट्रैक्ट का एक दृश्य

ऊवियल ट्रैक्ट में 3 संरचनाएँ होती हैं: आइरिस, सिलियरी बॉडी और कोरॉइड।

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया के कारण

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया का कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं है। कई डॉक्टरों को लगता है कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी के कारण होता है जिसकी वजह से शरीर अप्रभावित ऊवियल ट्रैक्ट पर हमला करता है।

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया के लक्षण

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया के लक्षणों में आम तौर से फ्लोटर और दृष्टि का कमजोर होना शामिल होता है।

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

डॉक्टर सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया का निदान आँख की जाँच और इस बात के इतिहास के आधार पर करते हैं कि क्या व्यक्ति की आँख में हाल में चोट लगी थी या सर्जरी हुई थी और क्या दोनों आँखों में शोथ है।

सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया का उपचार

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड और इम्यूनोसप्रेसेंट

  • कभी-कभी जख्मी आँख को निकालना

आम तौर से सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया के उपचार के लिए मुंह से लिए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स तथा एक और प्रकार की दवाई की जरूरत पड़ती है जो प्रतिरक्षा प्रणाली का दमन (इम्यूनोसप्रेसैंट) करती है और लंबे समय तक ली जाती है।

कभी-कभी डॉक्टर दृष्टि की हानि के 2 सप्ताह के भीतर गंभीर रूप से जख्मी आँख को निकाल देते हैं ताकि अप्रभावित आँख में सिम्पेथेटिक ऑफ्थैल्मिया के जोखिम को कम किया जा सके। हालांकि, निकालने की प्रक्रिया केवल तभी की जाती है जब जख्मी आँख की नज़र पूरा तरह से चली जाती है और नज़र के लौटने की कोई संभावना नहीं होती है।