रूट कैनाल

खाने के बाद, शर्करा और स्टार्च वाले खाद्य कण और तरल पदार्थ दांतों पर चिपके रह जाते हैं। मुंह में मौजूद बैक्टीरिया बचे हुए पदार्थों के साथ मिलकर एसिड बनाते हैं। और आखिर में यह एसिड दांतों को ढकने वाले सुरक्षात्मक इनेमल (साथ ही साथ डेंटिन लेयर जो इनेमल के नीचे होती है) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे छेद या कैविटीज़ बनती हैं, जिन्हें दाँतों की सड़न या डेंटल कैरीज़ कहा जाता है। दांतों की सड़न से संक्रमण हो सकता है, जिससे दर्द और सूजन हो सकती है। दांत के इनेमल और डेंटिन के नीचे डेंटल पल्प होता है, जोकि एक सॉफ्ट टिश्यू है जिसमें नसें, रक्त वाहिकाएं और कनेक्टिव टिशू होते हैं। दांत का पल्प दांत के क्राउन से जड़ (रूट) तक फैला होता है। अगर कैविटीज़ की सड़न दांत के पल्प तक पहुंच जाती है, तो रूट कैनाल करना पड़ता है। रूट कैनाल के दौरान, दांत और दांत के आसपास की जगह में एनेस्थेटिक किया जाता है। इसके बाद, दांत में ड्रिल करके एक छेद किया जाता है और दांत से पल्प टिशू को हटा दिया जाता है। यह सब करने वाले के बाद, कैनालों को साफ करके दवा से भर दिया जाता है। दांत के ऊपर एक परमानेंट सील या क्राउन लगा दिया जाता है। इस प्रकिया से जुड़ी हुई कई संभावित जटिलताएँ होती हैं, सर्जरी से पहले डॉक्टर से इनकी चर्चा कर लेनी चाहिए।

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