रोकथाम के तीन स्तर

रोकथाम के तीन स्तर प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक हैं।

प्राथमिक रोकथाम में, विकार को वास्तव में विकसित होने से रोका जाता है।

प्राथमिक रोकथाम के प्रकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • टीकाकरण

  • उच्च जोखिम वाले व्यवहार बदलने के लिए परामर्श करना

  • कभी-कभी कीमोप्रिवेंशन

द्वितीयक रोकथाम में, रोग का पता लगाकर, अक्सर लक्षण उपस्थित होने से पहले, उसका जल्दी उपचार किया जाता है, जिससे गंभीर परिणाम कम हो जाते हैं।

द्वितीयक रोकथाम के प्रकारों में निम्न शामिल हैं:

  • स्क्रीनिंग प्रोग्राम, जैसे स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राफ़ी और ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाने के लिए ड्यूअल एक्स-रे अब्सॉर्पशियोमेट्री (DXA)।

  • इसमें रोग के प्रसार को कम करने के लिए लैंगिक संक्रमण का निदान किए गए व्यक्ति के यौन साथियों का पता लगाना (कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग) और, यदि आवश्यक हो तो, उनका उपचार करना।

तृतीयक रोकथाम में, एक मौजूदा, आमतौर पर क्रोनिक रोग से होने वाली जटिलताओं या आगे कोई क्षति होने से बचाव करने के लिए उस रोग का प्रबंधन किया जाता है।

तृतीयक रोकथाम के प्रकारों में निम्न शामिल हैं:

  • डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए: रक्त शर्करा के नियंत्रण, सर्वोत्तम त्वचा देखभाल, पैरों की थोड़े-थोड़े अंतराल पर जाँच तथा हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित विकारों से बचाव के लिए नित्य व्यायाम करना

  • ऐसे लोग के लिए जिन्हें पहले आघात हुआ हो: दूसरा आघात होने से बचने के लिए एस्पिरिन लेना

  • स्थिति खराब होने से रोकने और जीवनशैली की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए सहायक और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना, जैसे चोटों, हृदयघात, या आघात के बाद पुनर्वास

  • अक्षमताओं वाले लोगों में होने वाली जटिलताओं को रोकना, जैसे बिस्तर तक सीमित लोगों में दबाव पड़ने से होने वाले घावों को रोकना।

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