सनबर्न

इनके द्वाराJulia Benedetti, MD, Harvard Medical School
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया अक्तू॰ २०२३ | संशोधित नव॰ २०२३

सनबर्न अल्ट्रावॉयलेट (UV) प्रकाश से बहुत कम समय के (तीक्ष्ण) अतिसंपर्क से होता है।

  • अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश के अतिसंपर्क से सनबर्न होता है।

  • सनबर्न से त्वचा में दर्द होता है, वह लाल पड़ जाती है और कभी-कभी उस पर फफोले हो जाते हैं, व्यक्ति को बुखार और कंपकंपी हो जाती है।

  • लोग धूप के अधिक संपर्क से बचकर और सनस्क्रीन का इस्तेमाल करके सनबर्न की रोकथाम कर सकते हैं।

  • ठंडे पानी से सिंकाई, मॉइस्चराइजर और बिना स्टेरॉइड वाली एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएँ तब तक दर्द कम करती हैं, जब तक सनबर्न ठीक नहीं हो जाता।

(धूप और त्वचा को नुकसान का संक्षिप्त विवरण भी देखे।)

सनबर्न उत्पन्न करने के लिए धूप के संपर्क में आने की मात्रा, त्वचा में मौजूद मेलेनिन की मात्रा (आम तौर पर इसे पिगमेंटेशन के रूप में देखा जा सकता है) पर, अधिक मेलेनिन बना सकने की क्षमता पर और जिस दिन आप धूप में रहे हों, उन दिन धूप में मौजूद UV प्रकाश की मात्रा पर निर्भर करती है।

सनबर्न के कारण त्वचा में दर्द होता है और वह लाल पड़ जाती है। गंभीर सनबर्न से सूजन और फफोले हो सकते हैं। लक्षण संपर्क के 1 घंटे बाद जितना जल्दी शुरू हो सकते हैं और आम तौर पर 3 दिनों के भीतर (आम तौर पर 12 घंटों और 24 घंटों के बीच) बहुत ज़्यादा बढ़ जाते हैं। गंभीर सनबर्न से ग्रस्त कुछ लोगों में बुखार, कंपकंपी और कमज़ोरी हो जाती है और दुर्लभ मामलों में वे शॉक में भी जा सकते हैं (जिसमें ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है, व्यक्ति बेहोश हो जाता है और बहुत कमज़ोरी आ जाती है)।

हल्का सनबर्न
विवरण छुपाओ
इस फोटो में हल्के सनबर्न से ग्रस्त एक व्यक्ति की पीठ और बांहों पर लाल हुई त्वचा देखी जा सकती है।
सिनक्लेयर स्टैमर्स/SCIENCE PHOTO LIBRARY

प्राकृतिक रूप से गोरी त्वचा वाले लोगों के मामले में सनबर्न के कई दिनों बाद झुलसे हुए स्थान की त्वचा उतरने लगती है, जिसके साथ खुजली भी होती है। त्वचा उतरने के ये स्थान कई सप्ताह तक सनबर्न के प्रति और भी अधिक संवेदनशील बने रहते हैं। धूप से झुलसी त्वचा पर, विशेष रूप से धूप से झुलसने के बाद उतर चुकी त्वचा के स्थान पर, संक्रमण होने की संभावना होती है। स्थायी कत्थई धब्बे बन सकते हैं जिन्हें लेंटिजिनीज़ कहा जाता है। छोटी आयु में गंभीर सनबर्न से ग्रस्त रह चुके लोगों में बाद के वर्षों में त्वचा कैंसर का, विशेष रूप से मेलेनोमा का, अधिक जोखिम होता है, तब भी अगर वे उसके बाद धूप के अधिक संपर्क में न रहे हों।

क्या आप जानते हैं...

  • लोगों की त्वचा बादलों वाले दिन भी धूप से झुलस सकती है, क्योंकि हल्के बादल अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश को छानते नहीं हैं।

  • पानी से बेअसर रहने वाली सनस्क्रीन को भी तैरने या पसीना आने के बाद दोबारा लगाने की ज़रूरत होती है।

सनबर्न का इलाज

  • ठंडी सिंकाइयां और त्वचा को राहत व ठंडक देने वाले अन्य उपाय

  • नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs)

  • कभी-कभी एंटीबायोटिक बर्न क्रीम

शरीर के खुले और गर्म हिस्सों में ठंडे पानी की पट्टियों, एलोवेरा या त्वचा में नमी बनाए रखने वाले बिना पर्चे वाले ऐसे मॉइस्चराइज़र से राहत मिल सकती है; जिनमें एनेस्थेटिक्स या परफ़्यूम नहीं होता है (ये चीज़ें त्वचा को उत्तेजित या संवेदनशील बना सकती हैं, जिससे एलर्जिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं)। मुंह से लिए जाने वाले NSAID दर्द और सूजन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। सनबर्न के गंभीर मामलों में पेट्रोलेटम-आधारित उत्पादों जैसे पेट्रोलियम जैली आदि से बचना चाहिए। त्वचा पर लगाए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड ठंडी सिकाई से ज़्यादा प्रभावी नहीं लगते।

एनेस्थेटिक युक्त ऑइंटमेंट या लोशन (जैसे बेंज़ोकैन और डाइफ़ेनिलहाइड्रामिन) कुछ समय के लिए दर्द से राहत दे सकते हैं पर उनसे बचना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी उनसे एलर्जिक प्रतिक्रिया हो जाती है।

विशेष एंटीबायोटिक बर्न क्रीम केवल गंभीर फफोलों के लिए ज़रूरी होती हैं। सनबर्न के अधिकतर फफोले अपने-आप फूट जाते हैं और उन्हें फोड़ने व उनमें से मवाद निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। सनबर्न की शिकार त्वचा दुर्लभ मामलों में ही संक्रमित होती है, लेकिन अगर कोई संक्रमण हो जाए, तो ठीक होने में समय लग सकता है। एक डॉक्टर संक्रमण की गंभीरता को निर्धारित कर सकता है और अगर आवश्यक हो, तो एंटीबायोटिक्स लिख सकता है।

सनबर्न से झुलसी त्वचा कुछ दिनों के भीतर खुद ही ठीक होने लगती है, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में कई सप्ताह लग सकते हैं। झुलस चुकी त्वचा के उतर जाने के बाद दिखने वाली नई परतें पतली होती हैं और शुरुआत में धूप के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं, इसलिए उन्हें कई सप्ताह तक बचाना ज़रूरी होता है।

सनबर्न की रोकथाम

  • धूप के अधिक संपर्क से बचें

  • धूप से बचाने वाले कपड़े पहनें

  • सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें

परहेज़

धूप से होने वाले नुकसान से बचने का सर्वोत्तम—और सबसे स्पष्ट—तरीका यही है कि तेज़ व सीधी धूप से बचा जाए। भरी दोपहर की तेज़ धूप के संपर्क से बचना चाहिए, गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को भी। UV किरणें सुबह 10 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद इतनी शक्तिशाली नहीं होती हैं। अगर धूप के संपर्क से न बचा जा सकता हो, तो व्यक्ति को जल्द-से-जल्द छाया में चले जाना चाहिए, खुद को UV से बचाने वाले कपड़ों से ढक लेना चाहिए और सनस्क्रीन लगानी चाहिए, चौड़े किनारे वाली टोपी पहननी चाहिए और UV से बचाने वाला धूप का चश्मा लगाना चाहिए।

कई पदार्थ UV विकिरण को छान या अवरुद्ध कर सकते हैं, लेकिन कई पदार्थ ऐसा नहीं कर पाते हैं। कपड़े, खिड़कियों का साधारण कांच, धुएं और स्मॉग बहुत सी हानिकारक किरणों को छानकर रोक देते हैं। हालांकि, पानी एक अच्छा फिल्टर नहीं है। UVA और UVB प्रकाश एक फ़ुट (लगभग 30 सेंटीमीटर) साफ़ पानी को भेद सकता है। बादल और कोहरा भी UV प्रकाश के अच्छे फ़िल्टर नहीं हैं—व्यक्ति की त्वचा बादलों या कोहरे वाले दिन भी धूप से झुलस सकती है।

बर्फ़, पानी और रेत धूप का परावर्तन करते हैं, जिससे त्वचा तक पहुंचने वाले UV प्रकाश की मात्रा और बढ़ जाती है। लोग ऊंचे अक्षांशों पर भी अधिक तेज़ी से सनबर्न का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि वहां की हवा पतली होती है जिससे अधिक UV प्रकाश त्वचा तक पहुंच पाता है; साथ ही लोग निचले अक्षांशों (जैसे विषुवत रेखा) पर भी तेज़ी से सनबर्न का शिकार हो जाते हैं।

वैसे तो धूप में रहना विटामिन D बनाने में सहायक होता है, लेकिन विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि विटामिन D का पर्याप्त स्तर बनाए रखने के लिए जानबूझकर धूप में बहुत अधिक समय तक रहने की बजाय इसके सप्लीमेंट लेना बेहतर होता है (सप्ताह में कुछ दिन बाँहों पर 5 से 15 मिनट तक धूप लेना विटामिन D का सही स्तर बनाए रखने के लिए संभवतः पर्याप्त होता है)।

कपड़े

धूप से बचाने वाले कपड़े जैसे टोपी, शर्ट, पैंट और धूप के चश्मे पहनकर धूप के नुकसानदायक प्रभावों को और भी कम किया जा सकता है। कसी बुनाई वाले कपड़े धूप को ढीली बुनाई वाले कपड़ों से बेहतर रोकते हैं। धूप से अधिक सुरक्षा देने वाले विशेष कपड़े भी बाज़ार में उपलब्ध हैं। इस प्रकार के कपड़ों पर अल्ट्रावॉयलेट प्रोटेक्शन फैक्टर (UPF) और फिर एक नंबर लिखा होता है जो सुरक्षा का स्तर बताता है (सनस्क्रीन के लेबल के समान)। चौड़ी किनारी वाली टोपियों से चेहरे, कानों और गर्दन को बचाने में मदद मिलती है, लेकिन लोगों को इन स्थानों पर सनस्क्रीन फिर भी लगानी चाहिए। लोगों को UV से बचाने वाले और आंखों को सटकर कवर करने वाले चश्मे नियमित रूप से पहनने चाहिए ताकि, आंखों और पलकों की रक्षा हो सके।

सनस्क्रीन

तेज़ व सीधी धूप के संपर्क में आने से पहले, व्यक्ति को सनस्क्रीन लगानी चाहिए; यह एक क्रीम या लोशन होती है जिसमें UV प्रकाश को छानकर त्वचा की रक्षा करने वाले रसायन होते हैं। पुरानी सनस्क्रीन केवल UVB प्रकाश छानती हैं, लेकिन अधिकतर नई सनस्क्रीन UVA प्रकाश को भी प्रभावी ढंग से छानती हैं।

सनस्क्रीन कई रूपों में उपलब्ध हैं, जैसे क्रीम, लोशन, जैल, फोम, स्प्रे, पाउडर और स्टिक। सेल्फ़-टैनिंग उत्पाद UV के संपर्क के विरुद्ध अधिक सुरक्षा नहीं देते हैं।

रासायनिक सनस्क्रीन में UV विकिरण को सोखने वाले कई पदार्थ होते हैं। UVB विकिरण को सोखने वाले घटकों में सिनामेट वर्ग के यौगिक, सैलिसिलेट वर्ग के यौगिक और पैरा-अमीनोबेंज़ोइक एसिड (PABA) से बनाए गए यौगिक शामिल हैं। बेंज़ोफेनॉन वर्ग के यौगिक UVA और UVB प्रकाश को रोकते हैं। एवोबेंज़ोन और ईकैमसूल UVA की रेंज में छनाई करते हैं और अतिरिक्त UVA सुरक्षा देने के लिए इन्हें शामिल किया जा सकता है।

बैरियर या मिनरल सनस्क्रीन में ज़िंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे पदार्थ होते हैं, जो UVB और UVA, दोनों ही किरणों को परावर्तित कर देते हैं (और इस प्रकार उन्हें त्वचा तक पहुंचने से रोक देते हैं)। ये ऑइंटमेंट कभी मोटे और सफ़ेद हुआ करते थे, लेकिन इनके फ़ॉर्म्युला में सुधार करके इन्हें अधिक पारदर्शी बना दिया गया है पर ये अभी-भी लगभग सारी-की-सारी धूप को त्वचा तक पहुंचने से रोक देते हैं। इन नई सनस्क्रीन की मोटाई और रंग अधिक सुखद हैं, यानी वे अन्य पारंपरिक केमिकल ब्लॉकर के साथ-साथ इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जिससे उस ब्लॉकर की धूप से सुरक्षा देने की क्षमता और बढ़ जाती है। कुछ कॉस्मेटिक उत्पादों में भी ज़िंक ऑक्साइड या टाइटेनियम डाइऑक्साइड होता है।

माना जाता है कि रासायनिक सनस्क्रीन के सभी घटक किसी-न-किसी मात्रा में शरीर द्वारा सोख लिए जाते हैं। हालांकि, अधिकतर घटक बहुत कम दुष्प्रभाव करते हैं, लेकिन कुछ के संभावित जोखिम अवश्य हैं और कुछ पर वर्तमान में अध्ययन चल रहे हैं। पारंपरिक बैरियर सनस्क्रीन में थोड़े बड़े खनिज कण होते हैं जिन्हें शरीर सोखता नहीं है और फ़िलहाल इन्हें सुरक्षित माना जाता है। मिनरल सनस्क्रीन के नए फ़ॉर्म्युला बहुत ही नन्हे कणों (नैनोकणों) से बनाए जाते हैं जिन्हें शरीर सोख सकता है। हालांकि इन नैनोकणों को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन उन पर अभी-भी अध्ययन चल रहे हैं। सोख लिए जाने वाले नैनोकणों के प्रभावों से चिंतित लोग तथाकथित "नॉन-नैनो" मिनरल सनस्क्रीन चुन सकते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका में फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) सनस्क्रीन के सन प्रोटेक्शन फैक्टर (SPF) नंबर के आधार पर उन्हें रेटिंग देता है—SPF नंबर जितना अधिक होगा, सुरक्षा उतनी ही अधिक होगी। 2 से 14 तक की रेटिंग वाली सनस्क्रीन बहुत कम सुरक्षा देती हैं, 15 से 29 तक की रेटिंग वाली सनस्क्रीन अच्छी सुरक्षा देती हैं और 30 व इससे ऊपर की रेटिंग वाली सनस्क्रीन अधिकतम सुरक्षा देती हैं। सनबर्न व फ़ोटोएजिंग से सुरक्षा देने वाले और साथ ही त्वचा कैंसर का जोखिम भी घटाने वाले उत्पादों के लेबल पर ब्रॉड स्पेक्ट्रम लिखा होता है और उनका SPF 15 (या अधिक) होता है। हालांकि, SPF केवल UVB प्रकाश से संपर्क के विरुद्ध सुरक्षा को मापता है। UVA प्रकाश के विरुद्ध सुरक्षा का कोई पैमाना नहीं है।

सर्वोत्तम सुरक्षा के लिए, लोगों को 30 या इससे अधिक SPF रेटिंग वाली ब्रॉड-स्पेक्ट्रम और जलरोधी सनस्क्रीन इस्तेमाल करनी चाहिए। औसत आकार के व्यक्ति के पूरे शरीर को कवर करने के लिए एक आउंस (लगभग 30 मिलीलीटर) सनस्क्रीन का उपयोग किया जाना चाहिए।

अगर पर्याप्त सनस्क्रीन न लगाई जाए, अगर उसे बहुत देरी से लगाया जाए (सनस्क्रीन को धूप के संपर्क से 30 मिनट पहले लगाना सबसे अच्छा है) और अगर तैरने या पसीना आने के बाद उसे दोबारा न लगाया जाए (अगर उस पर जलरोधी लिखा हो, तो भी) या धूप से संपर्क के दौरान हर 2 घंटों पर दोबारा न लगाया जाए तो वे विफल हो सकती हैं। अधिकतर लोग सनस्क्रीन की सुझाई गई मात्रा की आधी से भी कम मात्रा लगाते हैं।

कभी-कभी सनस्क्रीन से एलर्जिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। लोगों का शरीर सनस्क्रीन लगाने के बाद या उसे लगाकर धूप में जाने के बाद इस पर प्रतिक्रिया दे सकता है (दूसरे मामले में इसे फोटोएलर्जिक प्रतिक्रिया कहते हैं)। अगर प्रतिक्रिया का कारण स्पष्ट न हो, तो कुछ डर्मेटोलॉजिस्ट इन फोटोसेंसिटिविटी प्रतिक्रियाओं के डाइग्नोसिस के लिए टैस्ट कर सकते हैं।

क्या आप जानते हैं...

  • पूरे शरीर को कवर करने के लिए आम तौर पर एक आउंस सनस्क्रीन (लगभग 30 मिलीलीटर या एक स्टैंडर्ड शॉट ग्लास को भरने के बराबर मात्रा) की ज़रूरत होती है। अधिकतर लोग इसकी आधी से भी कम मात्रा लगाते हैं।

क्या टैन स्वस्थ होते हैं?

एक शब्द में उत्तर—नहीं। हालांकि सनटैन को अक्सर अच्छे स्वास्थ्य का और सक्रिय व बलवान जीवन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन केवल टैनिंग की खातिर टैनिंग करने से स्वास्थ्य को कोई लाभ नहीं है, बल्कि असल में यह स्वास्थ्य के लिए एक खतरा है। अल्ट्रावॉयलेट A या B (UVA या UVB) प्रकाश का कोई भी संपर्क त्वचा में बदलाव कर सकता है या उसे नुकसान पहुंच सकता है। लंबे समय तक धूप के संपर्क से त्वचा को नुकसान होता है और त्वचा कैंसर का जोखिम बढ़ता है। टैनिंग सलॉन में इस्तेमाल होने वाली नकली धूप का संपर्क भी हानिकारक है। इन दुकानों में इस्तेमाल होने वाली UVA लाइटों के वही दीर्घकालिक प्रभाव होते हैं जो UVB प्रकाश के होते हैं, जैसे झुर्रियां पड़ना, अनियमित पिगमेंटेशन यानी जहां-तहां चित्तियां (फोटोएजिंग) और त्वचा कैंसर। सौ बात की एक बात, सुरक्षित टैन जैसी कोई चीज़ नहीं होती है।

सेल्फ़-टैनिंग या सनलैस, लोशन त्वचा को सच में टैन नहीं करते बल्कि उसे रंगते हैं। इस प्रकार वे अल्ट्रावॉयलेट किरणों के खतरनाक जोखिम के बिना ही टैन लुक हासिल करने का एक सुरक्षित तरीका हैं। हालांकि, चूंकि सेल्फ़-टैनिंग लोशन मेलेनिन उत्पादन नहीं बढ़ाते हैं, इसलिए वे धूप से सुरक्षा नहीं देते हैं। इसलिए, धूप से संपर्क के दौरान सनस्क्रीन का इस्तेमाल तब भी ज़रूरी होता है। सेल्फ़-टैनिंग लोशन के इस्तेमाल के परिणाम अलग-अलग हो सकते हैं, जो व्यक्ति की त्वचा के प्रकार पर, इस्तेमाल किए गए फ़ॉर्म्युला पर और लोशन लगाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।

सप्लीमेंट

पॉलीपोडियम ल्यूकोटोमोस (एक प्राकृतिक उष्णकटिबंधीय फ़र्न का सत्व) और निकोटिनामाइड (विटामिन B3 का एक रूप) मुंह से लिए जाने वाले ऐसे सप्लीमेंट हैं जो धूप के नुकसानदायक प्रभावों के विरुद्ध थोड़ी सुरक्षा देते हैं। हालांकि, वे धूप से सुरक्षा की अन्य विधियों का स्थान नहीं ले सकते हैं।