कम विटामिन A वाला आहार लेने से या कम अवशोषण से या लिवर विकार की वजह से विटामिन A की डेफ़िशिएंसी हो सकती है।
रतौंधी एक शुरुआती लक्षण है।
और आखिर में नेत्रहीनता हो सकती है।
आंखें, त्वचा और अन्य ऊतक सूख जाते हैं और क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, और संक्रमण ज़्यादा बार होते हैं।
इसका निदान लक्षणों और रक्त की जांच के आधार पर किया जाता है।
कई दिनों तक विटामिन A की ज़्यादा खुराक लेने से इसकी कमी ठीक हो जाती है।
विटामिन A (रेटिनॉल) आँख के रेटिना में प्रकाश-संवेदी तंत्रिका कोशिकाओं (फ़ोटोरिसेप्टर) के कामकाज के लिए आवश्यक है और रात की नज़र बनाए रखने में मदद करता है। यह त्वचा और फेफड़ों, आंत और मूत्र-मार्ग की अंदरूनी सतह को ढकने वाली परत को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है और संक्रमण से बचाता है। विटामिन A के अच्छे स्रोतों में फ़िश लिवर ऑइल, लिवर, अंडे की जर्दी, मक्खन, क्रीम और फ़ोर्टिफ़ाइड दूध शामिल हैं। (विटामिन्स का अवलोकन भी देखें।)
कैरोटिनॉय्ड, जैसेकि बीटा-कैरोटीन, फलों और सब्जियों के पिगमेंट होते हैं जिनके कारण उन्हें अपना पीला, नारंगी या लाल रंग मिलता है। कैरोटीनॉइड का सेवन करने के बाद, ये धीरे-धीरे शरीर में विटामिन A में बदल जाते हैं। अगर पकी या होमोजेनाइज़ की गई सब्जियों को थोड़े फैट या तेल के साथ परोसा जाए, तो कैरोटिनॉय्ड का अवशोषण सबसे बेहतर ढंग से हो पाता है। कैरोटिनॉय्ड के अच्छे स्रोत हैं गहरी हरी, पीली और नारंगी सब्जियां और पीले और नारंगी फल।
विटामिन A (रेटिनोइड) से संबंधित दवाइयों का उपयोग, मुँहासों की गंभीर समस्या और सोरियसिस के इलाज के लिए किया जाता है। विटामिन A, बीटा-कैरोटीन या रेटिनोइड लेने से कुछ प्रकार के त्वचा कैंसर के जोख़िम को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन कैंसर या हृदय रोग की रोकथाम के लिए वर्तमान में बीटा-कैरोटीन और रेटिनोइड की सिफ़ारिश नहीं की जाती। हालांकि, बीटा-कैरोटीन सप्लीमेंट लेने से कुछ खास तरह के कैंसर (जैसे कि फेफड़ों का कैंसर) होने का जोख़िम बढ़ सकता है।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होने की वजहें
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी आमतौर पर इन कारणों से होती है
लंबे समय तक ऐसा आहार लेना, जिसमें विटामिन A की कमी है
यह डेफ़िशिएंसी दुनिया के उन हिस्सों में आम है, जहां लोग भरपूर मात्रा में विटामिन A के अच्छे स्रोत वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं, जैसे कि
पशु का और फिश का लिवर
नारंगी, पीली और गहरे हरे रंग की सब्जियां और पीले और नारंगी फल
अंडे
फोर्टिफाइड मिल्क प्रोडक्ट्स
उदाहरण के लिए, विटामिन A की डेफ़िशिएंसी दक्षिणी और पूर्वी एशिया में होती है, जहाँ आमतौर पर चावल, जिसमें विटामिन A नहीं होता है, प्रमुख भोजन है। गोल्डन राइस में बीटा कैरोटीन की मात्रा ज़्यादा होती है, और यह विटामिन A की डेफ़िशिएंसी की रोकथाम कर सकता है।
जिन विकारों से आंत में फ़ैट के अवशोषण में रुकावट आती है, उनकी वजह से फ़ैट-सॉल्युबल विटामिन A का अवशोषण कम हो सकता है और विटामिन A की डेफ़िशिएंसी का जोख़िम बढ़ सकता है। इस तरह के विकारों में शामिल हैं बरसों पुरानी दस्त की समस्या, सीलिएक रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, पैंक्रियास के कुछ विकार, और पित्त नलिकाओं की रुकावट। आंत या पैंक्रियाज़ की सर्जरी करने पर भी ऐसा ही प्रभाव हो सकता है।
लिवर के विकारों से विटामिन A के स्टोरेज में रुकावट आ सकती है। (शरीर का ज़्यादातर विटामिन A लिवर में जमा होता है।)
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी उन लोगों में आम है, जिनमें लंबे समय से प्रोटीन और कैलोरी की गंभीर डेफ़िशिएंसी (प्रोटीन-ऊर्जा अल्प-पोषण) रही है। इस तरह के विकार वाले लोग विटामिन A का पर्याप्त सेवन नहीं करते हैं, और उनमें विटामिन A का स्टोरेज और इस्तेमाल बाधित होता है।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी के लक्षण
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होने का एक प्रारंभिक लक्षण रतौंधी यानी नाईट ब्लाइंडनेस है, जो रेटिना के विकार के कारण होता है। इसके तुरंत बाद, आंखों के सफेद भाग (कनजंक्टिवा) और कॉर्निया सूख सकते हैं और मोटे हो सकते हैं—एक ऐसी स्थिति जिसे ज़ेरोफथैल्मिया कहा जाता है। ज़ेरोफ़्थैल्मिया आमतौर पर उन बच्चों में होता है, जिनमें विटामिन A की डेफ़िशिएंसी के साथ-साथ कैलोरी और प्रोटीन की गंभीर डेफ़िशिएंसी हो। आँखों के सफ़ेद भाग में झागदार जमाव (बिटोट स्पॉट) दिखाई दे सकता है। कॉर्निया सूखने पर नरम होकर खराब हो सकता है, और अंधापन हो सकता है। खाद्य असुरक्षा की उच्च दर वाले देशों में विटामिन A की डेफ़िशिएंसी, दृष्टिहीनता का एक सामान्य कारण है।
त्वचा शुष्क और पपड़ीदार हो जाती है, और फेफड़े, आंत और मूत्र मार्ग की अंदरूनी सतह को ढकने वाली परत मोटी और सख्त हो जाती है।
इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है, ऐसा होने पर संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है, खासकर शिशुओं और बच्चों में। विटामिन A की डेफ़िशिएंसी, खसरे की जटिलताओं के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
बच्चों का बढ़ना और विकास धीमा हो सकता है। विटामिन A की गंभीर डेफ़िशिएंसी वाले आधे से ज़्यादा बच्चों की मृत्यु हो सकती है।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी का निदान
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
रक्त की जाँच
विटामिन A सप्लीमेंट्स लेने पर लक्षणों से राहत मिलती है
डॉक्टरों को रतौंधी जैसे लक्षणों के आधार पर विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होने का संदेह हो सकता है।
डॉक्टर, रक्त में विटामिन A का स्तर मापते हैं। हालांकि, विटामिन A की गंभीर रूप से डेफ़िशिएंसी होने तक, इस विटामिन का स्तर कम नहीं होता, क्योंकि शरीर, विटामिन A की काफ़ी मात्रा स्टोर करके रखता है।
अगर लोगों को अंधेरे में देखने में समस्या होती है, तो विटामिन A की डेफ़िशिएंसी के कारण ऐसा होने की पुष्टि करने के लिए आँखों की जाँचें, जैसे कि इलेक्ट्रोरेटिनोग्राफ़ी, की जा सकती हैं।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर, लोगों को विटामिन A सप्लीमेंट दे सकते हैं, यह देखने के लिए कि क्या इन्हें लेने से लक्षणों से राहत मिलती है।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी का उपचार
विटामिन A सप्लीमेंट्स
जिन लोगों में विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होती है, उन्हें कई दिनों तक, आमतौर पर मुँह के द्वारा विटामिन A की ज़्यादा खुराक दी जाती है, इसके बाद नज़र और त्वचा बेहतर हो जाने पर खुराक कम की जाती है। शिशुओं को बार-बार ज़्यादा खुराक नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसी खुराक ज़हरीली हो सकती है।
जिन लोगों को खसरा और विटामिन A की डेफ़िशिएंसी के लक्षण हैं, उन्हें विटामिन A की उच्च खुराक दी जाती है, भले ही उनमें विटामिन A की डेफ़िशिएंसी के लक्षण न हों। जिन लोगों में विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होती है, उनमें गंभीर बीमारी और खसरे की जटिलताओं का अधिक जोख़िम होता है।
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी की रोकथाम
विटामिन A की डेफ़िशिएंसी को रोकने के लिए, लोगों को गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले और नारंगी फल (जैसे पपीता और संतरे), गाजर, और पीली सब्जियां (जैसे कुकुरबिटा और कद्दू) खानी चाहिए। अन्य खाद्य स्रोत हैं विटामिन A से फ़ोर्टिफ़ाइड दूध और अनाज, लिवर, अंडे की जर्दी और फ़िश लिवर ऑइल। पकाई गई या होमोजेनाइज़ की गई सब्जियों को थोड़े फ़ैट या तेल के साथ परोसे जाने पर, कैरोटीनॉइड, जिनकी वजह से फलों और सब्जियों को उनका पीला, नारंगी या लाल रंग मिलता है और जो शरीर में विटामिन A में परिवर्तित हो जाते हैं, का अवशोषण सबसे अच्छे तरीके से होता है।
जो बच्चे खाद्य असुरक्षा की उच्च दर वाले देशों में रहते हैं और जिन्हें विटामिन A की डेफ़िशिएंसी होने का जोख़िम है, उन्हें विटामिन A के सप्लीमेंट लेने चाहिए।