पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस

(चर्ग-स्ट्रॉस सिंड्रोम; एलर्जिक ग्रेनुलोमेटोसिस और एंजाइटिस)

इनके द्वाराAlexandra Villa-Forte, MD, MPH, Cleveland Clinic
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस छोटी- और मध्यम आकार की रक्त वाहिकाओं की जलन होती है जो अंगों को क्षति पहुँचाती है और आमतौर पर उन वयस्कों में होती है जिनका दमा, नेज़ल एलर्जी, नेज़ल पॉलीपोसिस, या इनके साथ में होने का इतिहास हो।

  • कारण अज्ञात है।

  • शुरुआत में, लोगों की नाक बह सकती है या महीनों या वर्षों के दमा या साइनस का दर्द हो सकता है, उसके बाद प्रभावित अंग के आधार पर विभिन्न लक्षण हो सकते हैं।

  • डॉक्टर लक्षणों और एक शारीरिक परीक्षण, खून के परीक्षण, इमेजिंग परीक्षण, और बायोप्सी के परिणामों के आधार पर निदान करते हैं।

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड के साथ किसी दूसरी दवा का उपयोग किया जा सकता है, जो इम्यून प्रणाली का शमन करती हो।

(वैस्कुलाइटिस का विवरण भी देखें।)

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस सभी आयु के लोगों में हो सकता है। निदान के समय पर औसत आयु 48 होती है। प्रभावित लोगों में दमा, नेज़ल एलर्जी, नेज़ल पॉलीपोसिस (जब नाक में कई पोलीप विकसित हो जाते हैं), या वयस्क आयु में ये साथ में विकसित हो सकते हैं। पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस का कारण अज्ञात है।

छोटी- और मध्यम-आकार की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करने वाली जलन (वैस्कुलाइटिस) किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। सबसे आमतौर पर बाहरी तंत्रिका तंत्र, साइनस, त्वचा, जोड़, फेफड़े, पाचन तंत्र, हृदय, और किडनियों पर प्रभाव पड़ता है। इम्यून कोशिकाओं का जमाव जिसके कारण जलन पैदा होती है (जिसे ग्रेन्युलोमा कहते हैं), प्रभावित ऊतकों में उठे हुए उभार (नॉड्यूल्स) बना सकता है। ग्रेन्युलोमा सामान्य ऊतकों को नष्ट कर सकता है और प्रकार्यों में व्यवधान पैदा कर सकते हैं। उनके कारण त्वचा के नीचे गाँठ भी बन सकती है। लोगों को उनके खून और शरीर के ऊतकों में बढ़ी हुई संख्या में इयोसिनोफिल (एक प्रकार की सफ़ेद रक्त कोशिका) भी हो सकते हैं। बढ़ी हुई संख्या में इयोसिनोफिल को इओसिनोफ़िलिया कहते हैं, और बढ़त से संकेत मिलता है कि कोई एलर्जिक प्रतिक्रिया विकार का हिस्सा हो सकती है।

लक्षण

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस वाले लोगों में, दमा, नेज़ल एलर्जी, नेज़ल पॉलीपोसिस, या इनका मिश्रण विकसित हो सकता है या कई वर्षों में और बिगड़ सकता है। लोगों को छींक आ सकती है और बहती नाक और आँखों में खुजली हो सकती है। साइनस की जलन के कारण चेहरे का दर्द हो सकता है।

बाद में, लोगों को सामान्य रूप से अस्वस्थता और थकान महसूस हो सकती है। उन्हें बुखार या रात में पसीना या भूख की कमी और वज़न की कमी हो सकती है। दूसरे लक्षण प्रभावित होने वाले अंगों पर निर्भर करते हैं और उनमें ये शामिल हो सकते हैं:

  • मांसपेशी और जोड़ का दर्द

  • सांस की कमी, दमा, और साइनुसाइटिस

  • सीने में दर्द

  • रैश

  • एब्डॉमिनल दर्द और डायरिया

  • मल में रक्त

  • असामान्य संवेदनाएँ, सुन्नपन, या किसी अंग में कमज़ोरी, अक्सर अचानक

  • भ्रम, दौरे, और कोमा

इन लक्षणों का किसी भी प्रकार का मिला-जुला रूप हो सकता है। लक्षण एक के बाद घटित हो सकते हैं। बाद की घटनाओं में, लोगों को पहली घटना या अन्य घटनाओं के समान लक्षण हो सकते हैं।

हो सकता है किडनियों की जलन तब तक लक्षण पैदा न करे जब तक कि किडनी के प्रकार्य में ख़राबी और किडनी की ख़राबी विकसित न हो। अन्य जटिलताओं में हृदयाघात, दिल का दौरा, पेरिकार्डाइटिस, और हार्ट वाल्व के विकार शामिल होते हैं।

निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • रक्त और मूत्र परीक्षण

  • इमेजिंग टेस्ट

  • बायोप्सी (त्वचा, मांसपेशियों, और कभी-कभी, फेफड़े के ऊतक की)

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस की शीघ्र जांच अंग की गंभीर क्षति को रोकने में मदद करती है।

कोई भी अकला परीक्षण निदान की पुष्टि नहीं कर सकता। पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस का निदान सामान्य लक्षणों के मिश्रण की पहचान करके और शारीरिक परीक्षण और अन्य परीक्षणों के परिणाम को पहचान कर किया जाता है।

खून के परीक्षण किए जाते हैं। डॉक्टर तय करते हैं कि खून में कितने इयोसिनोफिल हैं। इयोसिनोफिल एलर्जिक प्रतिक्रियाओं के दौरान निर्मित होते हैं, और उनकी संख्या तब बढ़ जाती है जब पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस मौजूद होता है। डॉक्टर कुछ एंटीबॉडीज़ (एंटीन्यूरोफिल साइटोप्लाज़्मिक एंटीबॉडीज़) की खोज भी करते हैं जो कि मौजूद हो सकते हैं। डॉक्टर मापते हैं कि लाल रक्त कोशिकाएँ (एरिथ्रोसाइट) कितनी जल्दी टेस्ट ट्यूब के तल पर गिर जाती है (एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट, या ESR)। तेज़ गति जलन का संकेत देती है। डॉक्टर C-रिएक्टिव प्रोटीन के स्तर को भी मापते हैं (जिसे लिवर पूरे शरीर की जलन की प्रतिक्रिया में निर्मित करता है)। C-रिएक्टिव प्रोटीन का ऊँचा स्तर जलन का संकेत भी देता है। किडनी पर प्रभाव पड़ा है या नहीं, इसे निर्धारित करने के लिए पेशाब के परीक्षण किए जाते हैं।

फेफड़े में जलन की खोज के लिए एक्स-रे किया जाता है। हृदयाघात के संकेतों के देखने के लिए डॉक्टर दिल की ईकोकार्डियोग्राफ़ी भी करते हैं।

जलन वाले ऊतक का एक सैंपल लिया जाता है और उसका परीक्षण माइक्रोस्कोप में (बायोप्सी) किया जाता है। बायोप्सी यह दिखा सकती है कि ऊतक में इयोसिनोफिल या ग्रेन्युलोमा हैं या नहीं। कभी-कभी फेफड़े के ऊतक की बायोप्सी आवश्यक होती है। उसके लिए अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता हो सकती है।

प्रॉग्नॉसिस

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस वाले उन लोगों में प्रॉग्नॉसिस कम होता है जिनके दिल, दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड, या तंत्रिकाओं पर प्रभाव पड़ा हो।

उपचार

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड और अन्य इम्यूनोसप्रेसेंट

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस का इलाज करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड (जैसे प्रेडनिसोन) दिए जाते हैं। ये दवाएँ जलन को कम कर सकती हैं। इम्यून प्रणाली का शमन करने वाली दूसरी दवा (इम्युनोसप्रेसेंट) का उपयोग भी किया जाता है। एज़ेथिओप्रीन, रिटक्सीमैब, या मीथोट्रेक्सेट का उपयोग किया जा सकता है। जब लक्षण गंभीर हों तो साइक्लोफ़ॉस्फ़ामाइड का उपयोग किया जाता है।

जब लक्षण चले जाते हैं, तो दवाओं की खुराक को धीरे-धीरे कम कर दिया जाता है, और, कुछ समय बाद, दवा को बंद किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो, तो उन्हें फिर से शुरू किया जा सकता है। इन दवाओं के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, विशेषकर जब लंबे समय तक ली जाती हैं।

पॉलीएंजाइटिस के साथ इओसिनोफ़िलिक ग्रेनुलोमेटोसिस वाले लोगों को उनके विकार के बारे में जानकारी लेना चाहिए। फिर वे किसी भी नए लक्षणों को पहचान सकते हैं और तुरंत डॉक्टर को उनकी सूचना दे सकते हैं।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी-भाषा संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इस संसाधन की विषयवस्तु के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. Vasculitis Foundation: रोगियों के लिए वैस्कुलाइटिस के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें डॉक्टर को ढूँढने, अनुसंधान अध्ययनों के बारे में जानने, और रोगी समर्थक समूहों से जुड़ने के तरीके शामिल होते हैं