त्वचा पर बढ़ती आयु के प्रभाव

इनके द्वाराJulia Benedetti, MD, Harvard Medical School
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जन॰ २०२४

    आयु बढ़ने के साथ-साथ डर्मिस और एपिडर्मिस पतली होती जाती हैं। नीचे मौजूद वसा की परत भी ख़त्म हो सकती है। त्वचा की तीनों परतों की मोटाई में और उनकी संपूर्ण प्रभावशीलता में होने वाली कमी से कई बदलाव आते हैं। त्वचा अपनी इलास्टिसिटी थोड़ी खो देती है। काम में रुकावट बनने की गड़बड़ी से और सीबम जैसे आवश्यक तेलों के उत्पादन में कमी के कारण यह सूख जाती है। त्वचा में मौजूद तंत्रिकाओं के सिरों की संख्या घटने लगती है, जिससे संवेदना भी घट जाती है। पसीना पैदा करने वाली ग्रंथियों और रक्त वाहिकाओं की संख्या भी घटती है, जिससे त्वचा की गर्मी के संपर्क पर प्रतिक्रिया देने की योग्यता घट जाती है। मेलेनोसाइट की संख्या आयु बढ़ने के साथ-साथ घट जाया करती है, यानि अब त्वचा के पास अल्ट्रावॉयलेट विकिरण के विरुद्ध कम सुरक्षा होती है। ये सारे बदलाव त्वचा को नुक़सान के प्रति अधिक असुरक्षित बना देते हैं और त्वचा की ठीक होने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।

    सूरज से होने वाली क्षति के कारण त्वचा में ज़्यादातर बदलाव होते हैं जिन्हें लोग आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ते हैं (धूप और त्वचा की क्षति का विवरण देखें)। धूप में मौजूद अल्ट्रावॉयलेट विकिरण से लंबे समय तक संपर्क से महीन और मोटी झुर्रियाँ, अनियमित पिगमेंटेशन, कत्थई और लाल धब्बे, और धूप के संपर्क में आने वाली त्वचा का रूखा हो जाना जैसे बदलाव होते हैं। इससे त्वचा के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।

    क्या आप जानते हैं...

    • धूप से नुक़सान के कारण त्वचा के वे अधिकतर बदलाव होते हैं जिन्हें लोग आम तौर पर बढ़ती आयु के कारण हुआ मानते हैं।

    (त्वचा की संरचना और उसकी गतिविधियाँ भी देखें।)