न्यूमोथोरैक्स
सामान्य श्वसन के दौरान, फेफड़े छाती गुहा के भीतर फैलते और सिकुड़ते हैं। फेफड़े ऊतक की दो परतों से घिरे होते हैं, जो गुब्बारे में धँसी मुट्ठी के समान दिखाई देते हैं। इन परतों के बीच की जगह, जिसे प्लूरा गुहा कहा जाता है, चिकनी होती है ताकि फेफड़े छाती की दीवार पर आराम से स्लाइड कर सकें। अगर इस जगह में हवा भर जाती है, तो इस स्थिति को न्यूमोथोरैक्स कहा जाता है। एक प्रकार का न्यूमोथोरैक्स, जिसे ट्रॉमैटिक न्यूमोथोरैक्स कहा जाता है, छाती में चोट लगने के कारण हो सकता है। छाती में ब्लंट या नुकीली चोट लगने पर फेफड़े की सतह थोड़ी फट सकती है, जिससे हवा प्लूरल स्पेस में भरने लगती है और वहीं फँसकर रह जाती है। हवा फेफड़ों पर अत्यधिक दबाव पैदा करती है, जिससे यह फूल जाते है। स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स, फेफड़ों के रोगों जैसे अस्थमा, एम्फ़सिमा या COPD जैसे कुछ रोगों के परिणामस्वरूप, बिना चोट लगे होता है। फेफड़ों पर हवा से भरी छोटी थैलियाँ बन सकती हैं, जिन्हें ब्लेब्स कहा जाता है। यदि ब्लेब्स फट जाते हैं, तो वे प्लूरा गुहा में हवा छोड़ सकते हैं। फंसी हुई हवा के दबाव से फेफड़े दब जाते हैं। लेकिन, स्पॉन्टेनियस न्यूमोथोरैक्स ऐसे किसी व्यक्ति को भी हो सकता है, जिसे कोई स्वाभाविक जोखिम या बीमारी न हो—यह स्थिति धूम्रपान करने वाले लोगों और 20 से लेकर 40 की उम्र वाले पुरुषों में ज़्यादा होती है। टेंशन न्यूमोथोरैक्स एक गंभीर जटिलता होती है, जो किसी भी न्यूमोथोरैक्स के साथ उत्पन्न हो सकती है। अगर अंदर भरी हुई हवा बाहर नहीं निकल पा रही है और वह स्पेस गुब्बारे की तरह फूलता जा रहा है, तो प्लूरल स्पेस का बढ़ा हुआ दाब हृदय और प्रमुख रक्त वाहिकाओं को छाती के दूसरी ओर धकेल सकता है। जब यह बदलाव होता है, तो इसके कारण ब्लड प्रेशर काफ़ी कम हो जाता है। यह एक जानलेवा स्थिति होती है, जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।