प्लूरल एफ़्यूज़न यानी फुफ्फुस बहाव

पसलियों (रिबकेज) के अंदर, फेफड़े नमी, दोहरी परतों वाली झिल्ली से ढंके होते हैं, जिसे प्लूरा कहते हैं। सामान्य तौर पर, फ़्लूड की बहुत कम मात्रा ही प्लूरल झिल्लियों की सतहों को चिकना बनाए रखने के लिए पर्याप्त है। प्लूरल एफ़्यूज़न, झिल्लियों के बीच फ़्लूड का असामान्य रूप से इकट्ठा होना होता है। एफ़्यूज़न दो प्रकार के हो सकते हैं। ट्रांसुडेटिव एफ़्यूज़न किसी छिपी हुई बीमारी या विकार की वजह से होते हैं, जो फेफड़ों में सामान्य दबावों को रोक देते हैं, प्लूरल स्पेस में से फ़्लूड की अतिरिक्त मात्रा को निकालने के लिए छाती में रक्त वाहिकाओं की क्षमता को कम कर देते हैं। विकारों के प्रकार जिनसे ट्रांसुडेटिव एफ़्यूज़न हो सकता है, इनमें शामिल हैं- कंजेस्टिव हार्ट फ़ेल्योर, सिरोसिस और एटेलेक्टेसिस। यह कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं से भी संबंधित है, जैसे पेरिटोनियल डायलिसिस। एक्सुडेटिव एफ़्यूज़न फेफड़े की बीमारियों की वजह से होते हैं, जिनके कारण संक्रमण या बीमारी की वजह से प्लूरा में जलन होती है। प्लूरा में सूजन आने से और फ़्लूड के झिल्लियों से बाहर ना निकल पाने की वजह से एक्सुडेट्स होते हैं। वे विकार जिनकी वजह से एक्सुडेटिव एफ़्यूज़न होते हैं, उनमें शामिल हैं-कैंसर, लिम्फ़ोमा, पल्मोनरी एम्बोलिज़्म, ट्यूबरक्लोसिस, एसबेस्टस संबंधी बीमारियां और ट्रॉमा। प्लूरल एफ़्यूज़न के लक्षणों में शामिल हैं-सांस लेने में तकलीफ़, छाती में दर्द और खांसी आना। सांस की आवाज कम होने या प्लूरल फ़्रिक्शन रब—श्वसन प्रक्रिया के दौरान प्लूरा के आपस में घिसने की आवाज़, के संकेतों के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप से छाती में से आने वाली आवाज़ें सुनेंगे।