ईयर ट्यूब्स
जब ध्वनि तरंगे कान तक पहुंचती हैं, तो उनको कीप (फनेल) के आकार के बाहरी कान द्वारा एकत्रित किया जाता है, उसे मध्य कान में प्रेषित किया जाता है। मध्य कान की ओपनिंग पर, ध्वनि तरंगे टिम्पैनिक झिल्ली, या ईयर ड्रम से टकराती हैं। परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले कंपन मध्य कान और द्रव भरे आंतरिक कान तक जाते हैं जहां पर वे संकेतों में परिवर्तित हो जाते हैं जिन्हें मस्तिष्क में भेजा जाता है।
कभी-कभी, मध्य कान भी अवरूद्ध तथा संक्रमित हो सकता है। बच्चों में इस दशा के होने का विशेष रूप से संदेह बना रहता है, क्योंकि उनकी यूस्टेशियन ट्यूब छोटी, अधिक संकीर्ण होती हैं, वह ट्यूब जिसके जरिए मध्य कान ड्रेन कर पाता है। जब कान के अंदर द्रव और दबाव बढ़ता है, तो बच्चा दर्द और श्रवण विकार का अनुभव कर सकता है। जब संक्रमण काफी समय तक बने रहते हैं या बार-बार होते रहते हैं, तो बच्चे के लिए यह आवश्यक हो सकता है कि वह टिम्पेनोस्टॉमी करवा ले।
इस प्रक्रिया में, टिम्पैनिक झिल्ली में एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है और संचित हो चुके द्रव को बाहर निकाल लिया जाता है। इसके बाद उस चीरे में एक छोटी सी ट्यूब को अंदर डाला जाता है जिससे कुछ महीनों तक निरन्तर ड्रेनेज होता रहता है। अंततः चीरा ठीक होना शुरू हो जाता है और ट्यूब प्राकृतिक रूप से बाहर आ जाती है क्योंकि ईयरड्रम का छिद्र बंद हो जाता है।
इस प्रकिया से जुड़ी हुई कई संभावित जटिलताएँ होती हैं जिनकी चर्चा सर्जरी से पहले डॉक्टर से करनी चाहिए।