प्लूरा में जलन या उसके एसबेस्टस के संपर्क में आने के कारण प्लूरा (फेफड़ों को ढँके रहने वाली पतली, पारदर्शी, दो परतों वाली झिल्ली) का मोटा और सख्त होना ही प्लूरल फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन कहलाता है।
एसबेस्टस के संपर्क में आने पर प्लूरा मोटी और सख्त हो सकती है।
हो सकता है कि पीड़ित लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हों या अगर प्लूरा का बड़ा हिस्सा प्रभावित है, तो उनको सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
इसका पता छाती के एक्स-रे और कभी-कभी कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी से लगाया जाता है।
कभी-कभी प्लूरा को निकालने के लिए सर्जरी ज़रूरी हो सकती है।
(प्लूरल और मीडियास्टीनल विकारों के विवरण भी देखें।)
आमतौर पर प्लूरा बहुत पतली और लचीली होती है, लेकिन कभी-कभी इन कारणों से वह मोटी (फ़ाइब्रोसिस) हो सकती है
सूजन
एसबेस्टस के संपर्क में आने पर (इसे एसबेस्टस से संबंधित प्लूरल रोग कहा जाता है)
कभी-कभी प्लूरा का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा प्रभावित होता है। जबकि कुछ मामलों में प्लूरा का एक बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है। फ़ाइब्रोटिक प्लूरा के कारण कैल्सिफ़िकेशन (ऊतक में कैल्शियम का जमाव) भी हो सकता है।
जलन के बाद होने वाला प्लूरल फ़ाइब्रोसिस
प्लूरा में जलन होने पर मोटा रेशेदार ऊतक, प्लूरा की पतली झिल्ली की जगह ले लेता है। ज़्यादातर मामलों में, जलन ठीक हो जाने के बाद प्लूरा की मोटाई लगभग पूरी तरह ठीक हो जाती है। कुछ लोगों में प्लूरा की मोटाई ज़्यादा नहीं बढ़ पाती है, जिससे आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है या फेफड़ों की क्षमता प्रभावित नहीं होती है। कभी-कभी, कोई एक फेफड़ा एक मोटी रेशेदार परत से ढँक जाता है, जिससे फेफड़े के फूलने और ऑक्सीजन लेने की क्षमता सीमित हो जाती है और फेफड़ों की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
कभी-कभी प्लूरा के फ़ाइब्रोसिस से प्रभावित कुछ हिस्सों में कैल्सिफ़िकेशन उत्पन्न हो सकता है।
एसबेस्टस से जुड़ी प्लूरल डिजीज
एसबेस्टस के संपर्क में आने पर व्यक्ति को प्लूरल फ़ाइब्रोसिस हो सकता है, जो सिर्फ़ एक छोटे हिस्से को प्रभावित करता है और इसमें अक्सर कैल्सिफ़िकेशन हो जाता है। फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन, एसबेस्टस के संपर्क में आने के 20 साल बाद भी हो सकता है।
प्लूरल फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन के लक्षण
जब फेफड़े का सिर्फ़ एक छोटा हिस्सा प्रभावित होता है, तब हो सकता है कि पीड़ित व्यक्ति में उसका कोई लक्षण न दिखाई दे। जब बड़ा क्षेत्र प्रभावित होता है, तब लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि फ़ाइब्रोसिस फेफड़ों को फैलने नहीं देता है।
प्लूरल फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन का पता लगाना
छाती का एक्स-रे
प्लूरल फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन का पता लगाने के लिए छाती का एक्स-रे किया जाता है। कभी-कभी, कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) की ज़रूरत होती है।
प्लूरल फ़ाइब्रोसिस और कैल्सिफ़िकेशन का उपचार
कभी-कभी प्लूरा को सर्जरी से निकालना पड़ता है
अगर विकार हल्का हो और प्लूरा के केवल छोटे हिस्से ही प्रभावित हों, तो हो सकता है कि उपचार ज़रूरी नहीं हो। जब फेफड़े के एक बड़े हिस्से में फ़ाइब्रोसिस फैल जाता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है, तब डॉक्टर्स को फ़ाइब्रोटिक प्लूरा निकालने के लिए सर्जरी करनी पड़ सकती है।