ट्राइकियासिस

इनके द्वाराJames Garrity, MD, Mayo Clinic College of Medicine and Science
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया फ़र॰ २०२४

ट्राइकियासिस में ऐसे किसी व्यक्ति जिसे एंट्रोपियॉन नहीं है, में बरौनियों की दुर्व्यवस्था होती है, जो नेत्र गोलक से रगड़ खाती हैं।

ट्राइकियासिस सबसे आम तौर से क्रॉनिक ब्लेफ़ेराइटिस (पलकों के सिरों का शोथ) या पलक या कंजंक्टाइवा की चोट या क्षति के कुछ समय बाद होती है। कुछ लोगों का जन्म पलक की त्वचा की अतिरिक्त तह के साथ होता है जिसके कारण बरौनियाँ सीधे आँख में बढ़ती हैं या बरौनियों की एक अतिरिक्त पंक्ति विकसित होती है (डिस्टिक्यासिस)।

ट्राइकियासिस और एंट्रोपियॉन (एक अवस्था जिसमें पलक अंदर की ओर मुड़ी होती है) के बीच यह अंतर होता है कि इसमें पलक की स्थिति सामान्य होती है।

ट्राइकियासिस के लक्षण

ट्राइकियासिस वाले लोगों में, आँख लाल और जलनयुक्त हो जाती है, ऐसा लगता है कि जैसे उसमें कोई चीज है (बाहरी वस्तु का एहसास), उससे पानी आने लगता है तथा प्रकाश के संपर्क में आने पर संवेदनशीलता और कभी-कभी दर्द होता है। यदि यह अवस्था बनी रहती है, तो कोर्निया पर निशान बन सकते हैं और दृष्टि प्रभावित हो सकती है।

ट्राइकियासिस का निदान

  • लक्षण और डॉक्टर द्वारा जाँच

डॉक्टर ट्राइकियासिस का निदान लक्षणों और परीक्षण में पाई गई जानकारियों के आधार पर करते हैं।

ट्राइकियासिस का उपचार

  • बरौनियों को निकालना

ट्राइकियासिस वाले लोगों में, आँख का डॉक्टर बरौनियों को चिमटे से निकाल सकता है। यदि बरौनियाँ पीछे की तरफ बढ़ जाती हैं, तो उन्हें निकालने के लिए अन्य तरीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि इलेक्ट्रोलाइसिस (केश पुटिका को नष्ट करने के लिए गर्मी और बिजली के करेंट का उपयोग करना) या क्रायोसर्जरी (केश पुटिका को नष्ट करने के लिए तीव्र शीतलता का उपयोग)।