बच्चों और किशोरों में घबराहट विकार

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३ | संशोधित सित॰ २०२३

घबराहट विकार की विशेषताओं में कम से कम सप्ताह में एक बार घबराहट के दौरे होना शामिल होता है। घबराहट का दौरा एक संक्षिप्त (लगभग 20 मिनट) प्रसंग होता है जिसमें गहन भय की अनुभूति होती और आमतौर पर जिसके साथ शारीरिक लक्षण जुड़े रहते हैं जैसे तेज-तेज सांस लेना, तेजी से धड़कता दिल, पसीना आना, सीने में दर्द और मतली।

  • घबराहट विकार का निदान उस समय किया जाता है जब बच्चों को बार-बार घबराहट के दौरे पड़ते हैं जिससे महत्वपूर्ण रूप से विकृति या पीड़ा होती है।

  • घबराहट संबंधी विकार का उपचार आमतौर पर दवाओं और व्यवहार से जुड़ी थेरेपी के संयोजन से किया जाता है।

( बच्चों और किशोरों में चिंता विकार का विवरण और वयस्कों में घबराहट के दौरे और घबराहट विकार को देखें।)

युवा बच्चों की तुलना में घबराहट विकार अधिक आम होता है। कभी-कभी बच्चों को बचपन में पृथकता चिंता या सामान्यकृत चिंता होती है और जब वे यौवनावस्था में पहुंचते हैं तो उनमें घबराहट विकार विकसित हो जाता है।

घबराहट के दौरे किसी भी चिंता विकार में हो सकता है, आमतौर पर उस विकार पर ध्यान केन्द्रित करने के कारण ऐसा होता है। उदाहरण के लिए, पृथकता चिंता से पीड़ित बच्चों को उस समय घबराहट का दौरा पड़ जाता है जब माता-पिता बाहर जाते हैं। ऐसे बच्चे जिनको ऐसी जगहों पर फंस जाने का डर होता है जहां से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता (एग्रोफ़ोबिया), उनको तब घबराहट का दौरा पड़ सकता है जब भीड़ भरे ऑडिटोरियम में वे बीच की पंक्ति में बैठे होते हैं। अनेक बच्चे जिनको घबराहट विकार होता है, उनको एग्रोफ़ोबिया भी होता है।

शारीरिक विकार जैसे दमा से भी घबराहट के दौरे हो सकते हैं और घबराहट के दौरों के कारण भी दमा हो सकता है।

लक्षण

घबराहट के दौरे के दौरान, बच्चों को बहुत अधिक चिंता महसूस होती है, जिसके कारण शारीरिक लक्षण पैदा हो जाते हैं। दिल तेजी से धड़कता है। बच्चों को बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उनकी सांस फूल सकती है। उनको सीने में दर्द या चक्कर आने जैसा महसूस हो सकता है, उनकी मतली महसूस हो सकती है या वे सुन्नपन महसूस कर सकते हैं। बच्चों को ऐसा लग सकता है कि वे मरने जा रहे हैं या पागल होने जा रहे हैं। उनको चीजें अवास्तविक नज़र आ सकती हैं। वयस्कों की तुलना में लक्षण अधिक नाटकीय (चिल्लाना, रोना, या हाइपरवेन्टिलेटिंग शामिल होते हैं) हो सकते हैं।

बच्चों को अन्य दौरों की भी चिंता हो सकती है। घबराहट के दौरे तथा संबंधित चिंताएं रिश्तों और स्कूल के कार्य में हस्तक्षेप करते हैं।

घबराहट विकार में, घबराहट के दौरे आमतौर पर अपने आप ही होते हैं, जिसके लिए कोई विशिष्ट उत्प्रेरक नहीं होता है। लेकिन समय के साथ-साथ, बच्चे ऐसी स्थितियों से बचने लगते हैं जिनको वे दौरों के साथ सम्बद्ध करते हैं। इस तरह से बचने के परिणामस्वरूप एग्रोफ़ोबिया हो सकता है, जिससे बच्चे स्कूल जाने, मॉल में जाने या अन्य विशिष्ट गतिविधियों को करने के अनिच्छुक हो सकते हैं।

बिना किसी स्पष्ट कारणों के घबराहट विकार अक्सर बदतर या कम हो जाता है। लक्षण अपने आप गायब हो सकते हैं और फिर वर्षों बाद अपने आप वापस आ सकते हैं। लेकिन, उपचार के साथ, अधिकांश बच्चों में घबराहट विकार में सुधार हो जाता है।

कभी-कभी, जब घबराहट विकार का उपचार नहीं किया जाता है, किशोर बीच में ही स्कूल जाना छोड़ देते हैं, समाज से अलग हो जाते हैं, तथा एकांतप्रिय और आत्मघाती प्रवृति के हो जाते हैं।

निदान

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

  • कभी-कभी लक्षणों के बारे में प्रश्नावलियाँ

डॉक्टर उस समय घबराहट विकारों का निदान करते हैं, जब बच्चों को

  • अनेक बार घबराहट के दौरे पड़ चुके होते हैं

  • दौरों को उत्प्रेरित करने वाली स्थितियों से बचने के लिए अपने व्यवहार में बदलाव करते हैं

  • संभावित भावी दौरों से बारे में चिंतित होते हैं

  • ऐसा कोई विकार न हो, जिसकी वजह से लक्षण पैदा होते हैं (ऐसे शारीरिक विकार जिनकी वजह से ऐसे लक्षण हों जिन्हें शारीरिक जांच के दौरान अनदेखा कर दिया गया हो)

डॉक्टर अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों की भी जांच करते हैं (जैसे ऑब्सेसिव-कम्प्लसिव विकार या सामाजिक चिंता विकार), जो कि घबराहट के दौरों का कारण हो सकते हैं।

उपचार

  • आमतौर पर दवाओं के साथ व्यवहार से जुड़ी थेरेपी

आमतौर पर, घबराहट वाले विकार के लिए दवाओं और व्यवहार से जुड़ी थेरेपी का संयोजन प्रभावी होता है। कुछ बच्चों में, व्यवहार से जुड़ी थेरेपी की शुरुआत करने से पहले, घबराहट के दौरों को नियंत्रित करने के लिए बार-बार दवाओं की ज़रूरत होती है।

बेंज़ोडायज़ेपाइन बहुत अधिक प्रभावी दवाएँ हैं, लेकिन ये एक तरह की एंटीडिप्रेसेंट हैं जिन्हें सेलेक्‍टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI) अक्सर पसंद की जाती हैं, क्योंकि बेंज़ोडायज़ेपाइन से निद्रालुता (सेडेशन) होती है, जिससे शिक्षण और स्मृति में रुकावट पैदा होती है और इसकी वजह से निर्भरता भी हो सकती है।