पृथकता चिंता विकार

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३

अलग हो जाने से जुड़ी चिंता के विकार में घर से दूर रहने या उन लोगों, विशेष रूप से माता से अलग होने के बारे में लगातार, तीव्र चिंता शामिल होती है जिनसे बच्चा जुड़ा हुआ होता है।

  • अधिकांश बच्चे पृथक्करण चिंता को महसूस करते हैं लेकिन आमतौर पर वे इस पर काबू पा लेते हैं।

  • पृथक्करण चिंता विकार से पीड़ित बच्चे अक्सर रोते हैं और उनको छोड़ कर जाने वाले व्यक्ति से विनय करते हैं, और जब वह व्यक्ति चला जाता है, तो वे फिर से मिलने के ही बारे में सोचते हैं।

  • डॉक्टर लक्षणों तथा उनकी तीव्रता और अवधि के आधार पर निदान आधारित करते हैं।

  • आमतौर पर व्यवहारपरक थेरेपी प्रभावी साबित होती है, और व्यक्तिगत तथा परिवार मनोचिकित्सा से लाभ मिल सकता है।

  • उपचार का लक्ष्य जितनी जल्दी हो सके बच्चे को फिर से स्कूल भेजना शुरू करना होता है।

(बच्चों में चिंता विकार का विवरण भी देखें।)

पृथक्कता चिंता का किसी हद तक होना आम बात है और ऐसा लगभग सभी बच्चों में होता है, विशेष रूप से युवा बच्चों में ऐसा होता है। बच्चे इसे उस समय महसूस करते हैं जब उनके जुड़ा कोई व्यक्ति उनसे दूर चला जाता है। आमतौर पर ऐसा व्यक्ति मां होती है, लेकिन यह माता-पिता में से कोई एक या अन्य देखभाल करने वाला हो सकता है। विशिष्ट रूप से यह चिंता दूर हो जाती है जब बच्चों को यह पता लगता है कि वह व्यक्ति वापस आ जाएगा। पृथक्कता चिंता विकार में, चिंता तुलनात्मक रूप से अधिक तीव्र होती है और बच्चे की आयु तथा विकास स्तर की प्रत्याशा में कहीं अधिक होती है। पृथक्कता चिंता विकार आमतौर पर युवा बच्चों में होता है और यौवनावस्था के बाद ऐसा विरल रूप से ही होता है।

जिंदगी के कुछ तनाव, जैसे रिश्तेदार, मित्र, पालतू पशु की मृत्यु या भौगोलिक परिवर्तन या स्कूल में परिवर्तन के कारण पृथक्कता चिंता विकार पैदा हो जाते हैं। साथ ही, लोग चिंतित महसूस करने की प्रवृति को आनुवंशिक रूप से भी प्राप्त कर सकते हैं।

पृथक्कता चिंता विकार के लक्षण

पृथक्कता चिंता विकार से पीड़ित बच्चे घर से अलग हो जाने पर या ऐसे लोगों से जुदा हो जाने पर जिनके साथ वे सम्बद्ध रहते हैं, बहुत अधिक तनाव को महसूस करते हैं। आमतौर पर अलविदा होते समय नाटकीय दृश्य घटित होते हैं। माता-पिता और बच्चे दोनो के लिए अलविदा दृश्य पीड़ादायक होते हैं। अक्सर बच्चे रोने लगते हैं और इस तरह से अनुनय-विनय करते हैं कि माता-पिता उनसे बिछड़ नहीं सकते हैं, जिससे यह दृश्य और भी लंबा हो जाता है और पृथक्कता और भी अधिक कठिन हो जाती है। यदि माता-पिता भी चिंतित हैं, तो बच्चे और भी अधिक चिंतित हो जाते हैं, और इससे एक कुचक्र बन जाता है।

माता-पिता के चले जाने के बाद, बच्चों को फिर से मिलने की उम्मीद होती है। वे अक्सर यह जानना चाहते हैं कि माता-पिता कहां हैं तथा हर समय उनके मन में यह सोच बनी रहती है कि उनके या उनके माता-पिता के साथ कुछ भयानक हो जाएगा। कुछ बच्चों को निरन्तर, और भारी चिंताएं सताती रहती हैं कि वे अपहरण, बीमारी या मृत्यु के कारण अपने माता-पिता को खो देंगे।

ऐसे बच्चे अकेले यात्रा करने पर असहज महसूस करते हैं, और वे स्कूल जाने या कैम्प में भागीदारी करने या फिर मित्र के घर पर सोने जाने के लिए इंकार कर सकते हैं। कुछ बच्चे कमरे में अकेले नहीं रह सकते हैं, माता-पिता से ही चिपके रहते हैं या घर में माता-पिता के पीछे घूमते रहते हैं।

सोने के समय कठिनाई एक आम बात है। पृथक्कता चिंता विकार वाले बच्चे इस बात की जिद्द कर सकते हैं कि माता-पिता या देखभाल करने वाले, उनके सो जाने तक कमरे में ही रहें। भयावह सपनों से बच्चों के डर का प्रकटन हो सकता है, जैसे आग लगने के कारण परिवार का नष्ट होना या कोई दूसरी तबाही हो जाना।

फिर बच्चों में शारीरिक लक्षण विकसित हो जाते हैं, जैसे सिरदर्द या पेट में दर्द आदि।

जब माता-पिता मौजूद रहते हैं तो बच्चे आमतौर पर सामान्य नज़र आते हैं। परिणामस्वरूप, जितनी समस्या है, उससे कम दिखाई देती है।

जितना लंबा विकार बना रहता है, उतना ही यह अधिक गंभीर हो जाता है।

पृथक्कता चिंता विकार का निदान

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

डॉक्टर बच्चे के पिछले व्यवहार तथा कभी-कभी अलविदा दृश्यों के अवलोकन के आधार पर पृथक्कता चिंता विकार का निदान करते हैं। इस विकार का निदान केवल तभी किया जा सकता है जब लक्षण कम से कम एक महीने तक बने रहते हैं तथा उसके कारण बहुत अधिक परेशानी या कार्यकरण बहुत अधिक प्रभावित हो जाता है।

पृथक्कता चिंता विकार का उपचार

  • व्यवहार थैरेपी

पृथक्कता चिंता विकार का उपचार करने के लिए व्यवहारपरक थेरेपी इस्तेमाल की जाती है। इसमें माता-पिता और देखभालकर्ताओं को यह सिखाया जाता है कि अलविदा दृश्यों को जितना अधिक छोटा हो सके, उतना छोटा रखा जाना चाहिए तथा तथ्यपरक रूप से विरोध विषय पर प्रतिक्रिया करने की शिक्षा दी जाती है। व्यक्तिगत और पारिवारिक मनोचिकित्सा भी उपयोगी साबित होती है।

बच्चों को फिर से स्कूल जाने में सक्षम बनाना तत्काल लक्ष्य होता है। इसके लिए डॉक्टरों, माता-पिता और स्कूल कार्मिकों को एक टीम की तरह काम करना अपेक्षित होता है। स्कूल से पहले या स्कूल में किसी वयस्क के साथ सम्बद्धता स्थापित करने से भी बच्चों को सहायता मिल सकती है।

जब विकार गंभीर होता है, तो चिंता को कम करने वाली दवाएँ जैसे एंटीडिप्रेसेंट से सहायता मिल सकती है जिन्हें चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इन्हिबिटर (SSRI) कहा जाता है।

छुट्टियों के बाद, और ब्रेक लेने के बाद उनमें इस विकार की फिर से हो जाने की संभावना होती है। इसलिए, माता-पिता को अक्सर यह सलाह दी जाती है कि उन्हें इन अवधियों के दौरान नियमित रूप से पृथकता बनाई रखनी चाहिए ताकि बच्चे उनसे दूर रहने के आदी रहें।