टाइरोसिनेमिया

इनके द्वाराMatt Demczko, MD, Mitochondrial Medicine, Children's Hospital of Philadelphia
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मार्च २०२४

टाइरोसिनेमिया अमीनो एसिड मेटाबोलिज़्म की एक बीमारी है, जो टाइयोसिन को मेटाबोलाइज़ करने के लिए ज़रूरी एंज़ाइम की कमी से होती है। इस बीमारी के सबसे आम प्रकार से लिवर और किडनियों पर असर पड़ता है। टाइरोसिनेमिया विकार तब होता है, जब माता-पिता से ऐसा दोषपूर्ण जीन बच्चों में जाता है, जिससे यह विकार होता है।

  • टाइरोसिनेमिया अमीनो एसिड मेटाबोलिज़्म मेटाबोलाइज़ करने के लिए ज़रूरी एंज़ाइम की कमी से होता है।

  • इसके लक्षणों में बुद्धिमता से जुड़ी विकलांगता, लिवर और किडनी की बीमारियां और शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों में से उबली हुई पत्तागोभी की तरह बदबू आना शामिल है।

  • इसका निदान ब्लड टेस्ट पर आधारित होता है।

  • खास डाइट और कभी-कभी दवाइयों से कुछ बच्चों को आराम मिल सकता है।

अमीनो एसिड प्रोटीन के बिल्डिंग ब्लॉक हैं और शरीर में कई काम करते हैं। हमारा शरीर ज़रूरत के मुताबिक, अमीनो एसिड तैयार करता है और बाकी उसे खाने की अन्य चीज़ों से मिलते हैं।

जिन बच्चों में टाइरोसिनेमिया की कमी होती है वे अमीनो एसिड टाइरोसिन को पूरी तरह तोड़ (मेटाबोलाइज़) नहीं पाते हैं। इस अमीनो एसिड के उप-उत्पादों का निर्माण होता है, जिससे कई प्रकार के लक्षण पैदा होते हैं। इन उप-उत्पादों के कारण शरीर के तरल पदार्थ, जैसे मूत्र और पसीना उबली हुई गोभी की तरह महकने लगते हैं।

आनुवंशिक बीमारियों के कई प्रकार होते हैं। टाइरोसिनेमिया में, पीड़ित बच्चे के माता-पिता दोनों के शरीर में असामान्य जीन की 1 प्रति होती है। क्योंकि इस विकार के विकसित होने के लिए, असामान्य (रिसेसिव) जीन की 2 प्रतियाँ ज़रूरी होती हैं, इसलिए आम तौर पर माता और पिता दोनों में से किसी को यह विकार नहीं होता है। (मेटाबोलिज़्म से जुड़े आनुवंशिक विकारों का विवरण भी देखें।)

अमेरिका के कुछ राज्यों में इस विकार का पता नवजात शिशु के स्क्रीनिंग परीक्षणों से चल जाता है।

मुख्य रूप से टाइरोसिनेमिया के 2 प्रकार होते हैं और एक तीसरा प्रकार बहुत ही कम देखने में आता है:

  • टाइप I

  • टाइप II

  • टाइप III (दुर्लभ)

टाइप I टाइरोसिनेमिया

फ़्रेंच-कनेडियन या स्केंडीनेवियन मूल के बच्चों में, टाइप I टाइरोसिनेमिया सबसे आम है।

नवजात बच्चों का लिवर फ़ेल हो सकता है। बड़े शिशुओं और बच्चों में लिवर, किडनी और नसों की असामान्यता होना, जिससे चिड़चिड़ापन, रिकेट्स या लिवर फ़ेल हो सकता है और मृत्यु हो सकती है।

यूनाइटेड स्टेट्स के हर स्टेट में ब्लड टेस्ट के साथ टाइप I टाइरोसिनेमिया के लिए हर नवजात की स्क्रीनिंग किया जाना ज़रूरी होता है। निदान की पुष्टि करने के लिए, आनुवंशिक टेस्ट या ब्लड और यूरिन के अन्य टेस्ट और लिवर की बायोप्सी की जाती है।

डाइट में अमीनो एसिड टाइरोसिन और फ़िनाइलएलैनिन पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है। टाइप I टाइरोसिनेमिया से पीड़ित बच्चों को निटीसिनॉन नाम की एक दवाई (जिसे NTBC भी कहा जाता है) से आराम मिल सकता है, जो शरीर में ज़हरीले मेटाबोलाइट का बनना रोकती है। अक्सर, जिन बच्चों में टाइप I टाइरोसिनेमिया होता है उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है।

टाइप II टाइरोसिनेमिया

टाइप II टाइरोसिनेमिया आम नहीं है। इससे पीड़ित बच्चों में कभी-कभी बुद्धिमता से जुड़ी विकलांगता हो सकती है और उनकी आँखों और त्वचा पर घाव हो जाते हैं।

टाइप II टाइरोसिनेमिया का पता रक्त परीक्षण और आनुवंशिक परीक्षण से लगाया जाता है। ब्लड और यूरिन के अन्य टेस्ट और लिवर की बायोप्सी की जा सकती है।

टाइप II टाइरोसिनेमिया का इलाज करने के लिए, अपनी डाइट में टाइरोसिन और फ़िनाइलएलैनिन की मात्रा कम करें।

टाइप III टाइरोसिनेमिया

टाइप III टाइरोसिनेमिया बहुत दुर्लभ है। बुद्धिमता से जुड़ी हल्की विकलांगता, सीज़र्स और कभी-कभी संतुलन और तालमेल खोना सबसे आम लक्षण हैं।

टाइप III टाइरोसिनेमिया का निदान करने के लिए नवजात स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। अगर स्क्रीनिंग का नतीजे से समझ न आए, तो यूरिन और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं।

टाइप III टाइरोसिनेमिया का इलाज करने के लिए, अपनी डाइट में टाइरोसिन और फ़िनाइलएलैनिन की मात्रा कम करें।

अधिक जानकारी

निम्नलिखित अंग्रेजी भाषा के संसाधन उपयोगी हो सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि इन संसाधनों की सामग्री के लिए मैन्युअल ज़िम्मेदार नहीं है।

  1. National Organization for Rare Disorders (NORD): इस संसाधन से माता-पिता और परिवार को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिसमें दुर्लभ बीमारियों की एक सूची, सहायता समूह और क्लिनिकल ट्रायल रिसोर्स शामिल हैं।

  2. जेनेटिक एंड रेयर डिजीज इंफ़ॉर्मेशन सेंटर (GARD): इस संसाधन से आनुवंशिक और दुर्लभ बीमारियों के बारे में आसानी से समझ आने वाली जानकारी मिलती है।