सर्कैडियन लय नींद की समस्या

इनके द्वाराRichard J. Schwab, MD, University of Pennsylvania, Division of Sleep Medicine
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२२ | संशोधित सित॰ २०२२

सर्कैडियन लय नींद की समस्या उस समय होती है, जब लोगों का आंतरिक सोने-जागने की समय सारणी (घड़ी), जमी के अंधेरे (रात) और प्रकाश (दिन) के चक्र से सुमेलित नहीं होती।

  • जेट लेग तथा शिफ्ट कार्य आमतौर पर, नींद और जागने की लय को बाधित करते हैं।

  • ऐसे लोग जिनको सर्कैडियन लय नींद की समस्या होती है वे सामान्य घंटों के दौरान जागते नहीं रह पाते हैं अथवा उनसे सोया नहीं जाता है।

  • डॉक्टर, लक्षणों के आधार पर निदान करते हैं और कभी-कभी वे स्लीप-लॉग और स्लीप प्रयोगशाला परीक्षण से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल करते हैं।

  • नींद की अच्छी आदतें और जागने के बाद शुरुआत में चमकदार रोशनी के संपर्क में आने से लोगों को अपने सोने-जागने के चक्र को फिर से समायोजित करने में सहायता मिल सकती है।

(नींद का विवरण भी देखें।)

सर्कैडियन का अर्थ है, दिन (डाई) के समय के आसपास (सर्का)। सर्कैडियन लय मानसिक तथा शारीरिक अवस्थाओं में नियमित बदलाव हैं, जो लगभग 24 घंटों की अवधि में होते हैं—किसी व्यक्ति की आंतरिक घड़ी। इन लयों को दिमाग के उस हिस्से द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो प्रकाश से प्रभावित होता है (जिसे सर्कैडियन पेसमेकर कहते हैं)। आँख में प्रवेश करने के बाद, प्रकाश आँख के पीछे (रेटिना) की कोशिकाओं को उत्प्रेरित करता है, ताकि इस हिस्से में तंत्रिका संवेदनाओं को भेजा सके। ये संवेदनाएं दिमाग को मेलेटोनिन, एक हार्मोन जो नींद को बढ़ावा देता है, बनाने से रोकने का संकेत करती हैं।

आमतौर पर लोग, लोगों की नींद और जागने का समय अलग-अलग होता है। कुछ लोग (मोर्निंग प्यूपल या लार्क) जल्दी सोना और जल्दी जागना पसंद करते हैं। अन्य लोग (नाइट प्यूपल या आउल) देरी से सोना और देरी से जागना पसंद करते हैं। इस प्रकार के विचलनों को बीमारी नहीं माना जाता है, जब तक कि लोग निम्नलिखित कर सकते हैं:

  • उस समय जाग जाना, जब उन्हें सुबह कुछ करना होता है या रात को समय से पहले सो जाना, ताकि उठने से पहले वे पर्याप्त नींद ल सकें

  • यदि वे चाहें, तो हर रोज़ एक ही समय पर सो जाएं और जाग जाएं

  • जब वे नया रूटीन शुरू करते हैं, तो सोने और जागने के नए समय को एडजस्ट कर लेते हैं

सर्कैडियन लय नींद विकार से पीड़ित लोग अनुचित समय पर सो जाते हैं और फिर वे जब उन्हें सोना या जागना चाहिए, या यदि वे सोना या जागना चाहते हैं, तो वे ऐसा नहीं कर सकते हैं। उनका नींद और जागने का चक्र बाधित हो गया है।

सर्कैडियन लय नींद की बीमारियों के कारण

सर्कैडियन लय नींद की बीमारियों के कारण आंतरिक या बाह्य हो सकते हैं।

आंतरिक कारणों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

बाह्य कारणों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  • जेट लेग (खास तौर पर जब पश्चिम से पूर्व की तरफ यात्रा कर रहे हों)

  • नियमित आधार पर अनियमित शिफ्ट में काम करना

  • बार-बार अलग-अलग समय पर सोना और जागना

  • लंबी समय तक बिस्तर पर रहना

  • अंधता या लंबे समय तक प्रकाश के संपर्क से वंचित रहना

  • कुछ दवाओं को लेना

सोना-जागना रिवर्सल्स उन लोगों में आम होता है जो अस्पताल में भर्ती होते हैं, क्योंकि अक्सर उनको रात को जगाया जाता है तथा ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि उनको दिन के समय में पर्याप्त समय के लिए सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं लाया जाता है।

सर्कैडियन लय नींद विकार कई प्रकार के होते हैं।

जेट लेग विकार दो टाइम ज़ोन के बीच में तीव्रता से यात्रा करने से होता है।

शिफ्ट कार्य संबंधी बीमारियां निम्नलिखित के आधार पर गंभीरता में अलग-अलग होती हैं

  • अक्सर कितनी बार शिफ्ट बदलती है

  • वे कितना बदलाव करते हैं

  • क्या वे सोने और जागने का समय पहले या बाद में कर देते हैं

  • कितनी लगातार रातों तक उन्होनें काम किया है

  • शिफ्ट कितनी देर तक चलती है

हमेशा नाइट या शाम की शिफ्ट में काम करते हैं और छुट्टियों के दिन में सोने के उसी समय को बनाए रखना पसंद किया जाता है। हालांकि, फिर भी, नींद में दिन के समय का शोर और प्रकाश रुकावट डाल सकता है। साथ ही, कामगार अक्सर अपने नींद के समय को कम कर देते हैं तथा छुट्टियों के दिन अलग-अलग समय पर सोते हैं, ताकि वे सामाजिक या पारिवारिक कार्यक्रमों में भाग ले सकें।

देरी से आने वाले नींद के चरण वाली बीमारी उस समय होती है, जब लोग लगातार सोए होते हैं और देरी से जागते हैं (उदाहरण के लिए सुबह 3 बजे नींद के लिए जाते हैं और सुबह 10 बजे या फिर दोपहर को 1 बजे जागते हैं)। यह सिंड्रोम किशोरों और युवा वयस्कों में अधिक आम होता है। देरी से आने वाली नींद के चरण में समस्या से प्रभावित लोग पहले नहीं सो सकते हैं, यहां तक कि वे प्रयास भी क्यों न करें।

उन्नत नींद चरण वाली बीमारी उस समय होती है, जब लोग निरन्तर सोने जाते हैं और समय से पहले जाग जाते हैं, लेकिन वे इस पैटर्न को नहीं बदल सकते। यह वृद्ध लोगों में आम होता है। उन्नत नींद चरण वाली बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बाद के समय तक जागते नहीं रह सकते हैं, यहां तक कि वे कोशिश भी क्यों न करें।

गैर-24-घंटे सोना-जागना सिंड्रोम उस समय होता है, जब हर रोज़ सोने-जागने का चक्र बदल जाता है। जागने-सोने के चक्र की लंबाई वही रहती है, लेकिन यह 24 घंटों से अधिक होती है। इस प्रकार, हर रोज़ सोने और जागने के समय में 1 से 2 घंटे की देरी होती है। यह सिंड्रोम बहुत कम होता है और अंधे लोगों में इसके होने की संभावना रहती है।

सर्कैडियन लय नींद की बीमारी के लक्षण

चूंकि लोग जब सोना चाहते हैं, और सो नहीं पाते हैं, तो उनको दिन के समय उनींदापन हो सकता है और उनको ध्यान केन्द्रित करने, स्पष्ट रूप से सोचने तथा अपनी आम गतिविधियों को करने में परेशानी हो सकती है। वे अल्कोहल का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं, और सोने या जागते रहने के लिए उनको प्रयास करना पड़ सकता है।

सर्कैडियन लय नींद से जुड़ी बीमारियों के लक्षण उस समय बदतर हो सकते है जब लोग अक्सर अपने नींद की समय सारणी को बदलते हैं, जैसे जब वे अक्सर अलग-अलग टाइम ज़ोन में यात्रा करते हैं या कार्य स्थल पर अपनी शिफ्ट को बदलते हैं। लक्षण उस समय भी बदतर हो जाते हैं, यदि बदलावों के कारण जागने और सोने का समय पहले हो जाता है (नींद चक्र को एडवांस करना), क्योंकि नींद में देरी करना, नींद जल्दी करने की तुलना में आसान होता है। नींद का चक्र उस समय एडवांस हो जाता है, जब लोग पूर्व की तरफ की उड़ान भरते हैं या जब शिफ्ट दिन से रात या शाम में बदल जाती है।

यदि कारण बाहरी है, तो अन्य सर्कैडियन शरीर लय, जिसमें तापमान और हार्मोन का रिसाव शामिल है, उसका समय प्रभावित होता है। इस प्रकार, आमतौर पर लोग अस्वस्थ, चिड़चिड़े, मतली आने जैसा तथा डिप्रेशन और ऊबासी महसूस करते हैं। दिल से जुड़ी तथा मेटाबोलिक समस्याओं का जोखिम भी बढ़ सकता है।

यदि बाधा के कारण को ठीक किया जा सकता है, लय के फिर से ठीक होने के कारण लक्षण कई दिनों में ठीक हो जाते हैं। वृद्ध लोगों में, ऐसा समाधान करने में कुछ हफ़्ते या महीने लग सकते हैं।

सर्कैडियन लय नींद से जुड़ी समस्याओं का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

डॉक्टर लक्षणों के आधार पर संभावित रूप से निदान करते हैं। लोगों को आमतौर कई हफ़्तों तक स्लीप-लॉग रखने और उनके सोने तथा जागने के समय का रिकार्ड रखने के लिए कहा जाता है। बहुत ही कम बार स्लीप प्रयोगशाला में परीक्षण की ज़रूरत पड़ती है।

सर्कैडियन लय नींद से जुड़ी समस्याओं का उपचार

  • व्यवहार में बदलाव

  • स्लीप एड्स तथा, जब जाग रहे हों, दिमाग को उत्प्रेरित करने के लिए कभी-कभी दवाएँ

नींद से संबंधित अच्छी आदतों का विकास करने से फ़ायदा हो सकता है।

टेबल

उचित समय पर आँखों को चमकदार रोशनी के संपर्क में लाना भी सबसे ज़्यादा उपयोगी तरीका हो सकता है। इस प्रकार के संपर्क से, आंतरिक घड़ी को फिर से सेट करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, जेट लेग को न्यूनतम करने के लिए, यात्रियों को सूरज की रोशनी में समय बिताना चाहिए, खास तौर पर सुबह जब वे अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच जाते हैं। शिफ्ट में काम करने वाले कामगारों को उस समय चमकदार रोशनी में समय बिताना चाहिए (सूरज की रोशनी या कृत्रिम प्रकाश) जब वे जाग रहे हों। रात को सोने के समय से पहले, घर लौटते समय सनग्लासेज़ पहनने से चमकदार रोशनी के संपर्क में कमी आती है तथा शिफ्ट कामगारों को घर पर पहुँचने के बाद, आसानी से नींद आने में सहायता मिल सकती है। शिफ्ट कामगार जब सोए होते हैं, तो उन्हें बेडरूम में जितना हो सके डार्क और शांत कर लेना चाहिए। स्लीप मास्क तथा व्हाइट-नॉयस डिवाइस का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे लोग जिनको देरी से नींद आने संबंधी समस्याएं हैं, उनको सुबह के समय चमकदार प्रकाश के संपर्क में आने से मदद मिल सकती है। ऐसे लोग जिनको एडवांस्ड स्लीव संबंधी समस्याएं हैं, उनको रात को चमकदार रोशनी से सहायता मिल सकती है।

दूसरी कार्यनीति यह है कि धीरे-धीरे सोने-जागने की समय-सारणी को वांछित समय-सारणी के हिसाब से शिफ्ट किया जाना चाहिए। यात्रियों को अपनी समय-सारणी को धीरे धीरे अपने गंतव्य की लगभग समय-सारणी के पास ले जाने से लाभ मिल सकता है, जिसमें वे यात्रा के समय से भली भांति शुरुआत कर सकते हैं।

दवाएं/ नशीली दवाएं

यदि लक्षण बने रहते हैं, तो कुछ समय तक बने रहने वाले स्लीप एड्स प्रभावों (शार्ट-एक्टिंग दवाएँ) से नींद न आने की बीमारी से पीड़ित लोगों को बेहतर ढंग से सोने में मदद मिल सकती है, और दिमाग को उत्प्रेरित करने वाली दवाओं (जैसे मोडेफ़िनिल) से लोग दिन के समय में अधिक सजगता महसूस कर सकते हैं या शिफ्ट वर्क से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित लोग, अपने जागने के समय के दौरान अधिक सजगता महसूस कर सकते हैं। हालांकि, इन दवाओं से शरीर को बेहतर ढंग से काम करने में मदद मिलती है।

मेलेटोनिन से जेट लेग के प्रभावों तथा वर्किंग शिफ्ट से संबंधित समस्याओं को कम करने में सहायता मिल सकती है।

टेसीमेल्टिऑन, मेलेटोनिन की तरह काम करती है। इससे उन लोगों को सहायता मिल सकती है जो पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं तथा जिनको गैर–24-घंटे स्लीप-वेक सिंड्रोम है, जिसमें वे रात के समय में नींद के समय में बढ़ोतरी हो सकती तथा दिन के समय में नींद के समय में कमी हो सकती है। इस दवा को रात को सोते समय लेना चाहिए, हर रात एक ही समय पर लिया जाता है। सबसे ज़्यादा आम बुरा असर सिरदर्द और असामान्य सपने या डरावने सपने हैं।