पैपिलेडीमा एक अवस्था है जिसमें मस्तिष्क में या उसके चारों ओर दबाव में वृद्धि के कारण आँख के भीतर स्थित ऑप्टिक नाड़ी का एक हिस्सा सूज जाता है।
दृष्टि के लक्षणों में दृष्टि में तेजी से आती-जाती गड़बड़ी शामिल हो सकती है।
मस्तिष्क में या उसके चारों ओर दबाव में वृद्धि के अन्य लक्षणों में कानों में शोर होना, सिरदर्द, उल्टी, या इनका संयोजन शामिल है।
डॉक्टर आम तौर से ऑफ्थैल्मोस्कोप से व्यक्ति की आँख में देखकर निदान करते हैं।
मस्तिष्क में दबाव बढ़ाने वाले विकार का यथासंभव शीघ्रता से उपचार किया जाता है।
(ऑप्टिक नाड़ी के विकारों का अवलोकन भी देखें।)
पैपिलेडीमा के कारण
पैपिलेडीमा आम तौर से निम्नलिखित के कारण होता है:
इडियोपैथिक इंट्राक्रेनियल हाइपरटेशन (सबसे आम कारण)
मस्तिष्क में रक्तस्राव
मस्तिष्क (एन्सेफेलाइटिस) या उसके ऊतक आवरणों (मेनिंजाइटिस) का शोथ
अनियंत्रित, जीवन के लिए खतरनाक हाइपरटेंशन
मस्तिष्क के भीतर की कुछ बड़ी शिराओं में खून का थक्का (सेरेब्रल वीनस साइनस थ्रॉम्बोसिस)
इन अवस्थाओं के परिणामस्वरूप आम तौर से दोनों आँखों में पैपिलेडीमा होता है।
पैपिलेडीमा के लक्षण
शुरू में, पैपिलेडीमा दृष्टि को प्रभावित किए बिना उपस्थित हो सकता है। दृष्टि में तेजी से बदलते परिवर्तन–-धुंधला दिखना, दो-दो दिखना, दृष्टि की अस्थिरता, या दृष्टि की पूरी हानि–-जो आम तौर से कुछ ही पलों तक रहते हैं, पैपिलेडीमा की विशेषता हैं। अन्य लक्षण मस्तिष्क पर बढ़े हुए प्रभाव के कारण हो सकते हैं। कानों में स्पंदन के साथ शोर, सिरदर्द, मतली, उल्टी, या इनका संयोजन हो सकता है। इस विकार के कारण आँख में दर्द नहीं होता है।
पैपिलेडीमा का निदान
एक डॉक्टर का मूल्यांकन
इमेजिंग टेस्ट
लम्बर पंक्चर (स्पाइनल टैप)
पैपिलेडीमा का निदान करने के लिए, डॉक्टर ऑफ्थैल्मोस्कोप (एक आवर्धक लेंस के माध्यम से आँख के पिछले हिस्से में एक प्रकाश चमका कर उसे देखना) का उपयोग करते हैं। निदान की पुष्टि करने और कारण निर्धारित करने के लिए अक्सर नेत्र रोग विशेषज्ञ (एक मेडिकल डॉक्टर जो आँख के विकारों के मूल्यांकन और उपचार का विशेषज्ञ होता है) की जरूरत होती है।
कारण का पता लगाने और उपचार के प्रभाव की निगरानी के लिए मस्तिष्क और ऑर्बिट की मैग्नेटिक रेज़ोनैंस इमेजिंग (MRI) या कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CT) का उपयोग किया जा सकता है। सेरेब्रल वीनस साइनस थ्रॉम्बोसिस का संदेह होने पर सिर का MR वेनोग्राम या CT वेनोग्राम किया जा सकता है।
सेरेब्रेस्पाइनल फ्लुइड के दबाव को मापने के लिए लम्बर पंक्चर (स्पाइनल टैप) किया जाता है बशर्ते कि MRI या CT में ऐसी कोई चीज नहीं पाई जाती है जो संकेत देती है कि स्पाइनल टैप करना सुरक्षित नहीं है। मस्तिष्क के ट्यूमर या संक्रमण के प्रमाण के लिए सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड के नमूने की जाँच की जा सकती है।
कभी-कभी पैपिलेडीमा और ऑप्टिक नाड़ी में सूजन पैदा करने वाले अन्य विकारों के बीच अंतर करने के लिए आँख की अल्ट्रासोनोग्राफी की जाती है। ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) [OCT, Optical coherence tomography] एक विशेष तकनीक है जो आँख के पिछवाड़े और ऑप्टिक नाड़ी की अधिक विस्तृत छवि बनाने के लिए परावर्तित प्रकाश का उपयोग करती है।
पैपिलेडीमा का उपचार
कारण का इलाज
मस्तिष्क में दबाव बढ़ाने वाले विकार का यथासंभव शीघ्रता से उपचार किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि सेरेब्रोस्पाइनल फ्लुइड का दबाव मस्तिष्क के ट्यूमर के कारण बढ़ा है, तो कॉर्टिकोस्टेरॉयड दिए जा सकते हैं, लेकिन ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी या उसके आकार को कम करने के लिए रेडिएशन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
इडियोपैथिक इंट्राक्रेनियल हाइपरटेंशन के कारण होने वाले पैपिलेडीमा का उपचार वज़न कम करके और मूत्रवर्धक दवाई का उपयोग करके किया जा सकता है। असफल रहने पर, सर्जिकल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।
जीवाणु संक्रमणों का इलाज एंटीबायोटिक्स दवाओं से किया जा सकता है।
मस्तिष्क के फोड़े से मवाद निकाला जाता है, और एंटीबायोटिक दिए जाते हैं।