क्रोमियम की कमी

इनके द्वाराLarry E. Johnson, MD, PhD, University of Arkansas for Medical Sciences
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जुल॰ २०२३ | संशोधित अग॰ २०२३

    क्रोमियम की कमी विकसित देशों में दुर्लभ है और लंबे समय तक इंट्रावीनस फ़ीडिंग (टोटल पैरेंट्रल आहार-पोषण) से हो सकती है।

    (यह भी देखें मिनरल्स का अवलोकन।)

    क्रोमियम, इंसुलिन (जो रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है) को काम करने के लिए सक्षम बनाता है और कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फ़ैट की प्रोसेसिंग (मेटाबोलिज़्म) और स्टोरेज में मदद करता है। हालांकि, यह स्‍पष्‍ट नहीं है कि क्रोमियम को एक अनिवार्य (आवश्यक) ट्रेस एलिमेंट माना जाए या नहीं। विशेषज्ञों ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि मधुमेह के रोगियों के लिए क्रोमियम सप्लीमेंट्स उपयोगी है या नहीं। डायबिटीज़ एक्सपर्ट की सलाह के बिना मधुमेह के रोगियों को क्रोमियम सप्लीमेंट्स नहीं लेने चाहिए।

    खाने में क्रोमियम की थोड़ी मात्रा ही अवशोषित होती है। क्रोमियम ऐसे खाने के साथ खाने पर बेहतर अवशोषित होता है जिनमें विटामिन C या नियासिन होता है।

    क्रोमियम सप्लीमेंट्स लेने से मांसपेशियों का आकार या ताकत नहीं बढ़ती।

    क्रोमियम की कमी के लक्षणों में वज़न कम होना, भ्रम, तालमेल बैठाने में दिक्कत आना और ब्लड में मौजूद शुगर (ग्लूकोज़) के लिए कम प्रतिक्रिया होना शामिल हो सकता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

    क्रोमियम की कमी के इलाज में क्रोमियम सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं।