बच्चों और किशोरों में सीज़ोफ़्रेनिया

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३ | संशोधित जून २०२३

सीज़ोफ़्रेनिया एक पुराना विकार है जिसमें असमान्य विचार, अनुभूतियां, तथा ऐसा सामाजिक विकार निहित होता है जिससे रिश्तों और कार्यकरण के साथ काफी अधिक समस्याएं होती हैं। पिछले 6 महीनों या अधिक में।

  • सीज़ोफ़्रेनिया संभवतः मस्तिष्क में रसायनिक असंतुलन के कारण तथा मस्तिष्क के विकास में समस्याओं के कारण होता है।

  • किशोर समाज से अलग हो जाते हैं, उनको असामान्य विचार आने लगते हैं, और आमतौर पर उनको विभ्रम, मतिभ्रम या पैरानोइया हो जाता है।

  • अन्य संभावित कारणों की संभावनाओं को दूर करने के लिए डॉक्टर जांच करते हैं।

  • लक्षणों को नियंत्रित करने में एंटीसाइकोटिक दवाएँ मददगार साबित हो सकती हैं, और परामर्श से किशोरों और परिवार के सदस्यों द्वारा यह सीखा जा सकता है कि विकार का प्रबंधन कैसे करना है।

किशोरावस्था से पहले, बालावस्था में सीज़ोफ़्रेनिया बहुत कम मामलों में होता है। खास तौर पर इसकी शुरुआत किशोरावस्था के मध्य से लेकर व्यक्ति की 30 से 40 वर्ष की आयु के दौरान होती है, और अक्सर इसकी शुरूआत 20 से 30 साल के आसपास होती है। (वयस्कों में सीज़ोफ़्रेनिया भी देखें।)

संभवतः सीज़ोफ़्रेनिया मस्तिष्क में रसायनिक असंतुलनों के कारण तथा मस्तिष्क के विकास की ऐसी समस्याओं के कारण होता है, जो कि गर्भावस्था और प्रारम्भिक बाल्यावस्था में होती हैं। डॉक्टरों को सही-सही यह जानकारी नहीं है कि इन अनियमितताओं के क्या कारण होते हैं।

हालांकि, विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि लोग आनुवंशिक रूप से सीज़ोफ़्रेनिया का विकास करने की प्रवृति को प्राप्त कर सकते हैं और यह माता-पिता द्वारा पालन-पोषण की कमी के कारण या बाल अवस्था मे कठिनाईयों के कारण नहीं होती है।

हाल के शोध यह भी दर्शाते हैं कि कुछ खास साइकोटिक विकारों (नामतः बाईपोलर विकार तथा सीज़ोफ़्रेनिया) को विकसित करने का अधिक जोखिम उन युवा किशोरों में अधिक होता है जो भांग उत्पादों का प्रयोग करते हैं। इस संवर्धित जोखिम को आनुवंशिक कारकों द्वारा स्पष्ट नहीं किया गया है। एक समस्या यह है कि हाल ही में भांग को कानूनी रूप से मान्य माने जाने के बाद किशोरों (तथा उनके माता-पिता को) के मध्य इसे दवा के रूप में इस्तेमाल करने की सुरक्षा की झूठी भावना को बल मिल सकता है।

लक्षण

सीज़ोफ़्रेनिया से पीड़ित वयस्कों की तरह, बच्चे और किशोर जो सीज़ोफ़्रेनिया से पीड़ित हैं, उनको

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

  • मतिभ्रम

  • मतिभ्रम (झूठा भरोसा जिसमें धारणाओं या अनुभवों की गलत व्याख्या शामिल होते हैं)

  • पैरानोइया, अक्सर यह डर की दूसरे उनको नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हैं या उनके विचारों को नियंत्रित कर रहे हैं, आदि हो सकते हैं

बच्चों में, लक्षण अधिक धीरे-धीरे शुरु होते हैं, तथा किशोरों तथा वयस्कों की तुलना में अधिक गंभीर हो जाते हैं। साथ ही, सोचने की प्रक्रिया भी अधिक विकृत हो सकती है।

किशोर समाज से अलग हो सकते हैं, असामान्य भावनाएँ पैदा हो सकती हैं, और/या विभ्रम, मतिभ्रम या पैरानोइया हो सकते हैं।

निदान

  • समय के साथ लक्षणों का मूल्यांकन

  • इन विकारों की संभावनाओँ को दूर करने के लिए जांच

सीज़ोफ़्रेनिया की कोई विशिष्ट नैदानिक जांच नहीं होती है। डॉक्टर समय के साथ-साथ लक्षणों के गहन मूल्यांकन के आधार पर निदान करते हैं।

डॉक्टर दूसरी दशाओं की भी जांच करते हैं जिनके कारण ऐसे ही लक्षण हो सकते हैं। इस प्रकार की दशाओं में मस्तिष्क में संक्रमण, चोट, ट्यूमर, ऑटोइम्यून विकार, तथा कुछ खास दवाओं का इस्तेमाल (जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड तथा अनेक अवैध दवाएँ) शामिल हैं।

क्या आप जानते हैं...

  • सीज़ोफ़्रेनिया के लिए माता-पिता द्वारा खराब पालन-पोषण या बचपन में कठिनाईयां कारण नहीं होती हैं।

उपचार

  • एंटीसाइकोटिक दवाएँ

  • सामाजिक कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक पुनर्वास, तथा मनोवैज्ञानिक तथा शैक्षणिक सहायता

सीज़ोफ़्रेनिया का उपचार नहीं किया जा सकता है, हालाँकि मतिभ्रम और भ्रम को एंटीसाइकोटिक दवाओं, जैसे हैलोपेरिडोल, ओलेंज़ापिन, क्वेटायपिन और रिस्पेरिडोन से नियंत्रित किया जा सकता है। बच्चों को विशेष रूप से एंटीसाइकोटिक्स दवाओं के दुष्प्रभाव की संभावना रहती है। दुष्प्रभावों में कंपकपी, धीमी गतिविधि, गतिविधि विकार, तथा चयापचय सिंड्रोम (जिसमें मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, तथा रक्त में वसा के असामान्य स्तर शामिल हो सकते हैं)।

बच्चे के लिए सामाजिक कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक पुनर्वास, तथा मनोवैज्ञानिक तथा शैक्षणिक सहायता तथा परिवार के सदस्यों का परामर्श इस विकार और इसके परिणामों का सामना करने के लिए हर किसी की सहायता के लिए अनिवार्य है। लगभग हमेशा ही डॉक्टर बच्चों को ऐसे साइकियाट्रिस्ट के पास भेजते हैं जो बच्चों के उपचार में विशेषज्ञता रखते हैं।

जब लक्षण बदतर हो जाते हैं, तो बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है, ताकि दवा की खुराकों को समायोजित किया जा सके और बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके।