बच्चों और किशोरों में डिप्रेशन और मनोदशा डिस्रेगुलेशन विकार

इनके द्वाराJosephine Elia, MD, Sidney Kimmel Medical College of Thomas Jefferson University
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया मई २०२३

डिप्रेशन में उदासी की अनुभूति (या बच्चों या किशोरों में, चिड़चिड़ापन) और/या गतिविधियों में रूचि की कमी शामिल होती है। मेजर डिप्रेशन, में ये लक्षण 2 सप्ताह या अधिक समय के लिए बने रहते हैं, और कार्यों में बाधा पैदा करते हैं या बहुत अधिक परेशानी करते हैं। लक्षणों में हाल में हुई हानि या अन्य दुखदायी घटना शामिल हो सकती है, लेकिन उस घटना की तुलना में बहुत अधिक लक्षण होते हैं या एक उचित समय के बाद भी लक्षण बने रहते हैं। मूड डिस्रेगुलेशन विकार में निरन्तर चिड़चिड़ापन और निरन्तर ऐसे व्यवहार के प्रसंग शामिल होते हैं जो नियंत्रण से बहुत अधिक बाहर होते हैं।

  • शारीरिक विकार, जीवन के अनुभव, तथा आनुवंशिकता से डिप्रेशन में वृद्धि हो सकती है।

  • डिप्रेशन से पीड़ित बच्चे और किशोर बहुत उदास हो सकते हैं, अरूचि दिखाने वाले, और सुस्त या बहुत अधिक प्रतिक्रिया करने वाले, आक्रामक और चिड़चिड़े हो सकते हैं।

  • बाधक मनोदशा डिस्रेगुलेशन विकार से पीड़ित बच्चों में बार-बार, गंभीर आक्रोश का प्रकोप नज़र आता है और इन प्रकोपों के बीच में, वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं।

  • बच्चे, माता-पिता और अध्यापकों द्वारा सूचित जानकारी के आधार पर डॉक्टर लक्षणों का निदान करते हैं तथा दूसरे विकार जिनके कारण लक्षण पैदा हो रहे हो सकते हैं, उन्हें जानने के लिए जांच करते हैं।

  • डिप्रेशन से पीड़ित किशोरों में, आमतौर पर मनोचिकित्सा और एंटीडिप्रेसेंट का संयोजन बहुत अधिक प्रभावी साबित होता है, लेकिन छोटे बच्चों में, मनोचिकित्सा का ही पहले इस्तेमाल करके देखा जाता है।

(वयस्कों में डिप्रेशन को भी देखें।)

उदासी तथा निराशा आम मानव संवेदनाएं हैं, खास तौर पर परेशानी की स्थिति में ये आम होती हैं। बच्चों और किशोरों के लिए, इस प्रकार की स्थितियों में माता-पिता की मृत्यु, तलाक, किसी मित्र का दूर चले जाना, स्कूल में एडजस्ट करने में परेशानी तथा दोस्त बनाने में कठिनाई शामिल हो सकती हैं। लेकिन, किसी खास घटना के प्रति उदासी की अनुभूति तय स्तर से अधिक होती है या उम्मीद से परे समय तक बनी रहती है। इस प्रकार के मामलों में, खासतौर पर यदि इस अनुभव से दिन प्रति दिन के कार्यों में कठिनाईयां होती हैं, तो बच्चों को डिप्रेशन हो सकता है। वयस्कों की तरह, कुछ बच्चे भी बिना किसी अप्रिय घटना घटित हुए भी डिप्रेशन में आ जाते हैं। इस प्रकार के बच्चों की स्थिति में, संभवतः परिवार का कोई सदस्य मनोदशा विकार से पी‍ड़ित होता है (पारिवारिक इतिहास)।

2% बच्चों और 5% किशोरों में डिप्रेशन की समस्या होती है।

डिप्रेशन में अनेक विकार शामिल होते हैं:

  • प्रमुख अवसादी विकार

  • डिस्रप्टिव मूड डिस्रेगुलेशन विकार

  • पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव विकार (डिस्थायमिया)

क्या आप जानते हैं...

  • डिप्रेशन से पीड़ित कुछ बच्चे अतिसक्रिय तथा उदास होने की बजाए चिड़चिड़े होते हैं।

कारण

डॉक्टरों को ठीक तरह से यह ज्ञात नहीं है कि डिप्रेशन क्यों होता है, लेकिन मस्तिष्क में रसायनिक असमान्यताएं संभवतः शामिल रहती हैं। डिप्रेशन विकसित करने की कुछ प्रवृति आनुवंशिक होती है। कारकों के संयोजन जिसमें जीवन के अनुभव (जैसे प्रारम्भिक जीवन में हानि, शोषण, चोट, घरेलू हिंसा, या प्राकृतिक आपदा के बाद जीवित रहना) तथा आनुवंशिक प्रवृति (सुभेदता), ऐसा लगता है कि इन सभी का योगदान होता है।

कभी-कभी अन्य विकार, जैसे कम सक्रिय थायरॉइड ग्लैंड या नशीली दवा का विकार भी कारण का हिस्सा होते हैं। हाल ही में, कुछ पर्सिस्टेंट डिप्रेशन से पीड़ित कुछ किशोरों में उस फ़्लूड में फ़ोलेट (एक विटामिन) के निम्न स्तर देखे गए थे जो मस्तिष्क तथा स्पाइनल कॉर्ड के आस-पास पाया जाता है (सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड)।

कोविड-19 महामारी के दौरान, युवा लोगों में डिप्रेशन के लक्षण दुगुने हो गए थे, विशेषकर बड़ी आयु के किशोरों में ऐसा देखा गया था। डिप्रेशन के लिए मानसिक स्वास्थ्य की विज़िट्स भी बढ़ गई थीं। लिंग, आयु, और कोविड-पूर्व डिप्रेशन के लक्षणों के लिए नियंत्रण करने के बाद, बच्चों में कोविड-19 के डिप्रेशन संबंधी लक्षणों के निम्नलिखित अनुमान पाए गए थे:

  • देखभाल करने वाले के साथ जुड़ाव

  • स्क्रीन समय

लक्षण

वयस्कों की तरह, बच्चों में डिप्रेशन की गंभीरता में बहुत अधिक अंतर पाया जाता है।

प्रमुख अवसादी विकार

मेजर डिप्रेसिव विकार से पीड़ित बच्चों में डिप्रेशन का ऐसा प्रसंग होता है जो 2 सप्ताह या अधिक समय तक बना रहता है।

बच्चों में खास तौर पर बहुत अधिक उदासीनता या चिड़चिड़ेपन, मूल्यहीनता और अपराधबोध की भावनाएँ होती हैं। उनकी उन गतिविधियों में रूचि नहीं रहती जिनसे सामान्यतः उनको खुशी मिलती थी, जैसे खेलकूद, टेलीविज़न देखना, वीडियो गेम्स खेलना, या मित्रों के साथ खेलना। वे बहुत अधिक ऊब की स्थिति में हो सकते हैं। इनमें से अनेक बच्चे शारीरिक समस्याओं जैसे पेट में दर्द या सिरदर्द की शिकायत करते हैं।

भूख बढ़ या कम हो सकती है, अक्सर इसके परिणामस्वरूप वज़न में बहुत बदलाव हो जाता है। हो सकता है कि बढ़ते बच्चों में उम्मीद के मुताबिक वज़न न बढ़े।

आमतौर पर नींद बाधित हो जाती है। बच्चों को अनिद्रा हो सकती है, बहुत अधिक सोने लग सकते हैं, या अक्सर भयावह सपनों से परेशान हो सकते हैं।

डिप्रेशन से पीड़ित बच्चे ऊर्जावान या शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होते हैं। लेकिन, कुछ, खास तौर पर युवा बच्चे, में स्पष्ट रूप से विपरीत लक्षण हो सकते हैं, जैसे ज़रूरत से ज्यादा गतिविधि या आक्रामक व्यवहार। ये बच्चे उदास होने की बजाए अधिक चिड़चिड़े हो सकते हैं।

खास तौर पर लक्षण सोचने और ध्यान केंद्रित करने की योग्यता में व्यवधान उत्पन्न करते हैं, और आमतौर पर स्कूल कार्य में गड़बड़ होती है। वे अपने मित्रों को खो सकते हैं। बच्चों में आत्महत्या संबंधी विचार और कल्पनाएं होती हैं और वे आत्महत्या की कोशिश कर सकते हैं।

बिना उपचार के भी, मेज़र डिप्रेसिव विकार से पीड़ित बच्चे 6 से 12 महीनों में बेहतर हो सकते हैं। हालांकि, यह विकार फिर से हो जाता है, खास तौर पर यदि पहला एपिसोड गंभीर था या उस समय हुआ था जब बच्चे छोटे थे।

बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण

  • उदास और चिड़चिड़ा महसूस करना

  • पसंदीदा गतिविधियों में कोई रूचि न होना

  • मित्रों और सामाजिक स्थितियों से दूर हो जाना

  • कार्यों में आनन्द न ले पाना

  • अस्वीकृत और अप्रिय या बेकार महसूस करना

  • थका हुआ या ऊर्जा की कमी महसूस करना

  • अच्छी नींद न आना या डरावने सपने आना या बहुत अधिक नींद करना

  • खुद को दोषी ठहराना

  • अपनी भूख और वजन खो बैठना

  • सोचने, ध्यान केन्द्रित करने, और विकल्प चुनने में समस्याएं होना

  • मौत और/या आत्महत्या के बारे मे सोचना

  • मूल्यवान धारित वस्तुओं को दूसरों को दे देना

  • नए शारीरिक लक्षणों की शिकायत करना

  • स्कूल में कम अंक आना

डिस्रप्टिव मूड डिस्रेगुलेशन विकार

डिस्रप्टिव मूड डिस्रेगुलेशन विकार से पीड़ित बच्चे लंबे समय तक अधिकांश वक्त पर चिड़चिड़े बने रहते हैं और उनका व्यवहार बार-बार नियंत्रण के बाहर रहता है। उनको बार-बार, गंभीर गुस्से के प्रकोप होते हैं और वे बहुत तीव्र होते हैं तथा स्थिति की मांग की तुलना में अधिक लंबे समय तक बने रहते हैं। इन आवेगों के दौरान, वे सम्पत्ति को नष्ट कर सकते हैं या शारीरिक रूप से दूसरों को नुकसान कर सकते हैं। इन आवेगों के बीच में, बच्चे हर रोज़ अधिकांश समय पर चिड़चिड़े या गुस्से में रहते हैं। इस विकार की शुरूआत बच्चों की 6 वर्ष से 10 वर्ष की आयु के बीच में होती है।

इनमें से अनेक बच्चे अन्य विकारों से भी पीड़ित होते हैं जैसे

जब ये बच्चे वयस्क होते हैं, तो उनको डिप्रेशन या चिंता विकार हो सकता है।

क्योंकि कभी-कभी ये बच्चे नियंत्रण से बाहर नज़र आते हैं, डॉक्टर अक्सर उनका निदान बाईपोलर विकार से किया करते हैं। हालांकि, डॉक्टरों को अब यह समझ में आग गया है कि यह विकार बाईपोलर विकार नहीं है।

स्थायी अवसादी विकार

यह विकार, मेज़र डिप्रेसिव विकार की तरह नज़र आता है, लेकिन आमतौर पर लक्षण उतने अधिक तीव्र नहीं होते हैं और लक्षण एक वर्ष या अधिक समय तक बने रहते हैं।

निदान

  • डॉक्टर या व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मुलाकात

  • कभी-कभी लक्षणों के बारे में प्रश्नावलियाँ

डिप्रेशन का निदान करने के लिए, डॉक्टर जानकारी के अनेक स्रोतों पर निर्भर करते हैं, जिसमें बच्चे या किशोर के साथ साक्षात्कार तथा माता-पिता और अध्यापकों से जानकारी प्राप्त करना। कभी-कभी डॉक्टर संरचित प्रश्नावलियों का प्रयोग करते हैं ताकि डिप्रेशन और परेशानी वाली स्थिति से संबंधित सामान्य प्रतिक्रिया में अंतर करने में सहायता मिल सके।

डॉक्टर डिप्रेसिव विकार का निदान करते हैं जब बच्चों या किशोरों में निम्नलिखित में से एक या दोनों स्थितियां देखी जाती है:

  • उदासी या चिड़चिड़ेपन का अहसास

  • लगभग सभी गतिविधियों में रूचि या प्रसन्नता न रहना (अक्सर इसे ऊबना कहा जाता है)

साथ ही, बच्चों में उसी 2 सप्ताह की अवधि के दौरान लगभग हर रोज़ प्रतिदिन इनमें से अधिकांश लक्षण होने चाहिए, और उनमें डिप्रेशन के अन्य लक्षण भी होने चाहिए, जैसे भूख न लगना या वजन तथा नींद आदि से जुड़ी समस्याएं।

डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या पारिवारिक या सामाजिक तनाव के कारण तो डिप्रेशन को बढ़ावा नहीं मिला है। डॉक्टर खास तौर पर आत्महत्या संबंधी व्यवहार के बारे में पूछते हैं जिसमें आत्महत्या के विचार और बात शामिल होती है।

डॉक्टर इस बात के परीक्षण भी करते हैं कि कहीं लक्षणों का कारण असामान्य थायरॉइड ग्लैंड या नशीली दवाओं के इस्तेमाल का विकार तो नहीं हैं।

यदि किशोरों को निरन्तर बने रहने वाला डिप्रेशन है और यह सामान्य उपचारों से ठीक नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर स्पाइनल टैप कर सकते हैं ताकि यह जांच की जा सके कि सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड में फ़ोलेट की कमी तो नहीं है।

उपचार

  • अधिकांश किशोरों के लिए, मनोचिकित्सा और एंटीडिप्रेसेंट

  • आवश्यकता होने पर, युवा बच्चों के लिए, मनोचिकित्सा के बाद एंटीडिप्रेसेंट दी जाती है

  • परिवार के सदस्यों और स्कूल कर्मचारियों के लिए गाईडेंस

डिप्रेसिव विकार का उपचार लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। कोई भी बच्चा जिसे आत्महत्या के विचार आते हैं, उसकी समीपवर्ती निगरानी अनुभवी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा की जानी चाहिए। यदि आत्महत्या का जोखिम बहुत अधिक है, तो बच्चों को कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।

ज़्यादातर किशोरों के लिए, मनोचिकित्सा और दवाओं का संयोजन, इनमें से किसी एक का इस्तेमाल करने की तुलना में अधिक प्रभावी साबित होता है। लेकिन छोटे बच्चों के लिए, उपचार इतना अधिक स्पष्ट नहीं है। पहले केवल मनोचिकित्सा का ही इस्तेमाल करके देखना चाहिए, तथा अगर दवाओं की ज़रूरत है, तभी उनका इस्तेमाल किया जाता है। व्यक्तिगत मनोचिकित्सा, समूह थेरेपी, और पारिवारिक थेरेपी लाभदायक साबित हो सकती है। डॉक्टर परिवार के सदस्यों और स्कूल को यह भी सलाह देते हैं कि वे बच्चों को निरन्तर कार्य करने और सीखने में वे कैसे सहायता कर सकते हैं।

एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलती है। चयनात्मक सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (SSRI), जैसे फ़्लोक्सेटीन, सर्ट्रेलीन, और पैरोक्सेटीन ऐसी दवाएँ हैं जिनको डिप्रेशन से पीड़ित बच्चों और किशोरों में सबसे अधिक एंटीडिप्रेसेंट के तौर पर आमतौर पर प्रेस्क्राइब किया जाता है। कुछ अन्य एंटीडिप्रेसेंट, जिनमें ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट (जैसे कि इमीप्रामिन), संभवतः थोड़ी अधिक प्रभावी हो सकती है, लेकिन उनके दुष्प्रभाव अधिक होते हैं, इसलिए बच्चों में उनका प्रयोग बहुत कम बार किया जाता है।

यदि सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड में फ़ोलेट की कमी देखी जाती है, तो लेयूकोवोरिन (जिसे फोलिनिक एसिड भी कहा जाता है) से उपचार लाभदायक साबित हो सकता है।

वयस्कों की तरह, बच्चों में डिप्रेशन अक्सर होता रहता है। लक्षणों के चले जाने के बाद, बच्चों और किशोरों का उपचार कम से कम 1 वर्ष तक जारी रहना चाहिए। यदि बच्चों को मेजर डिप्रेशन के दो या अधिक प्रसंग सामने आए थे, तो उनका उपचार अनिश्चित काल तक जारी रखना चाहिए।

एंटीडिप्रेसेंट और आत्महत्या

इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की गई है कि एंटीडिप्रेसेंट के कारण बच्चों और किशोरों में आत्महत्या के विचारण और व्यवहार के जोखिम मे थोड़ी बढ़ोतरी हो जाती है। इसी चिंता के कारण बच्चों में एंटीडिप्रेसेंट के समग्र इस्तेमाल में कमी हुई है। हालांकि, एंटीडिप्रेसेंट के इस्तेमाल में यह कमी, आत्महत्या के कारण मृत्यु दर की बढ़ोतरी से सम्बद्ध रही है, शायद इसलिए कि उस समय कुछ बच्चों में डिप्रेशन का पर्याप्त रूप से इलाज नहीं किया जाता है।

इस मुद्दे का निपटान करने के लिए अध्ययन किए गए हैं। उन्होंने यह पाया कि आत्महत्या के विचार और प्रयासों में ऐसे बच्चों में थोड़ी बढ़ोतरी हुई जो एंटीडिप्रेसेंट ले रहे थे। हालांकि, अधिकांश डॉक्टर यह मानते हैं कि जोखिमों की तुलना में लाभ कहीं अधिक हैं तथा डिप्रेशन से पीड़ित बच्चों को तब तक दवा उपचार से लाभ मिलता है जब तक डॉक्टर और परिवार के सदस्य बदतर होते लक्षणों और आत्महत्या से संबंधित विचारों के प्रति सजग रहते हैं।

दवा का इस्तेमाल किया जाए अथवा न किया जाए, डिप्रेशन से पीड़ित बच्चे या किशोर मे आत्महत्या हमेशा एक चिंता का विषय रहती है। इन तरीकों से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है:

  • माता-पिता और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को इस मुद्दे पर गहराई से बात करनी चाहिए।

  • बच्चे या किशोर की उचित निगरानी की जानी चाहिए।

  • उपचार योजना में नियमित मनोचिकित्सा सत्रों को शामिल किया जाना चाहिए।

एंटीसाइकोटिक्स

गंभीर डिप्रेशन में, साइकोटिक लक्षण उभर सकते हैं, उदाहरण के तौर पर मतिभ्रम, विभ्रम तथा अव्यवस्थित विचारण और स्पीच। इनके लिए एंटीसाइकोटिक्स नाम की दवा की श्रेणी के ज़रिए, उपचार की आवश्यकता होती है।