बच्चों में वायरल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का संक्रमण होता है

इनके द्वाराBrenda L. Tesini, MD, University of Rochester School of Medicine and Dentistry
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया जून २०२३

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड से बना हुआ है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के संक्रमण अत्यधिक गंभीर हो सकते हैं। मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के आसपास की झिल्लियों को प्रभावित करता है। एन्सेफ़ेलाइटिस मस्तिष्क को ही प्रभावित करता है।

  • वायरस के कारण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) में होने वाला संक्रमण मेनिनजाइटिस और एन्सेफ़ेलाइटिस का कारण बन सकता है।

  • आमतौर पर, बुखार से लक्षण शुरू होते हैं और चिड़चिड़ापन, भूख न लगने की समस्या, सिरदर्द, गर्दन में दर्द और कभी-कभी सीज़र्स भी हो सकता है।

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के वायरल संक्रमण की जांच स्पाइनल टैप पर आधारित होता है।

  • एंटीवायरल दवाएँ आमतौर पर, ज़्यादातर ऐसे वायरस जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में होने वाले संक्रमण का कारण बनती हैं, उनके लिए प्रभावी नहीं होती हैं, इसलिए बच्चों को सहायक उपायों (जैसे बुखार और दर्द को नियंत्रित करने के लिए तरल पदार्थ और दवाएँ) की ज़रूरत होती है।

  • बहुत सारे संक्रमण हल्के-फुल्के होते हैं, लेकिन अन्य गंभीर होते हैं और मृत्यु का कारण बन सकते हैं।

ऐसे वायरस जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड) को संक्रमित करते हैं, उनमें हर्पीज़ वायरस (हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस संक्रमण भी देखें), अर्बोवायरस, कॉक्ससैकीविरस, इकोवायरस और एंटेरो-वायरस शामिल हैं।

इनमें से कुछ संक्रमण मुख्य रूप से मेनिन्जेस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढेकने वाले ऊतक) को प्रभावित करते हैं और मेनिनजाइटिस पैदा करते हैं। वायरल मेनिनजाइटिस को कभी-कभी एसेप्टिक मेनिनजाइटिस कहा जाता है। बैक्टीरिया के कारण भी मेनिनजाइटिस हो सकता है (एक्यूट बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस देखें)।

दूसरे किस्म के वायरल संक्रमण खास तौर पर दिमाग को प्रभावित करते हैं और एन्सेफ़ेलाइटिस कहलाते हैं। मेनिंजेस और दिमाग, दोनों को प्रभावित करने वाले संक्रमण मेनिन्जोएन्सेफ़ेलाइटिस कहलाते हैं।

एन्सेफ़ेलाइटिस की तुलना में, मेनिनजाइटिस बच्चों में कहीं ज़्यादा आम है।

केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को वायरस दो तरह से प्रभावित करते हैं:

  • वे दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में कोशिकाओं को सीधे संक्रमित और नष्ट कर सकते हैं।

  • कुछ वायरल संक्रमण शरीर में कहीं और प्रतिरक्षा प्रणाली की तंत्रिकाओं के आसपास की कोशिकाओं को प्रभावित करने और नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकते हैं।

बच्चों को अगल-अलग तरह से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संबंधी वायरल संक्रमण हो सकते हैं। नवजात शिशु को जन्म देने वाले मार्ग (नवजात शिशुओं में हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस (HSV) संक्रमण देखें) में संक्रमित रिसाव के संपर्क में आने की वजह से हर्पीज़ वायरस संक्रमण हो सकते हैं। अन्य वायरल संक्रमण किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा सांस छोड़ते समय या छींक आने पर निकलने वाली वायरस युक्त सूक्ष्म बूंदों से हुए दूषित हवा में सांस लेने की वजह से हो सकते हैं। संक्रमित कीड़ों के काटने से आर्बोवायरस का संक्रमण होता है।

कभी-कभी किसी वायरल संक्रमण के बाद, बच्चों में दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में तंत्रिकों की सूजन विकसित हो जाती है, जिसे पोस्टइन्फ़ेक्शस एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस या एक्यूट डिसेमिनेटेड एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस कहा जाता है। इस विकार के कारण आमतौर पर बच्चों के शुरुआती वायरल संक्रमण से ठीक हो जाने के कुछ सप्ताह बाद बुखार, सिरदर्द, मितली, और उल्टी जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

वायरल CNS संक्रमण के लक्षण

बड़े बच्चों और किशोरों में वायरल मेनिनजाइटिस और एन्सेफ़ेलाइटिस के लक्षण वयस्कों के समान ही होते हैं: बुखार, खांसी, मांसपेशियों का दर्द, उल्टी आना, भूख न लगना, और सिरदर्द, जिसके बाद मेनिनजाइटिस के लक्षण (सिरदर्द, बुखार, और गर्दन की जकड़न) या एन्सेफ़ेलाइटिस के लक्षण (बुखार, सिरदर्द, व्यक्तित्व के बदलाव या भ्रम, सीज़र्स, लकवा या सुन्नपन और उनींदापन)।

नवजात शिशु हमें सीधे तौर पर बता नहीं पता, इसलिए उनके लक्षणों को समझना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र संक्रमण वाले शिशुओं में पाए जाने वाले आम लक्षण नीचे दिए गए हैं।

नवजात शिशुओं और शिशुओं में वायरल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के संक्रमण आमतौर पर बुखार से शुरू होते हैं। नवजात शिशुओं में हो सकता है कि कोई अन्य लक्षण ना हों और दूसरी तरह से कहा जाए, तो हो सकता है कि शुरू में बीमार ना दिखें। एक महीने से ज़्यादा उम्र के शिशु आमतौर पर चिड़चिड़े हो जाते हैं और नखरे दिखाने लगते हैं तथा खाना खाने से इनकार करते हैं। उल्टी करना आम बात है। कभी-कभी नवजात शिशु के सिर का ऊपरी नरम स्थान (फोंटेनेल) तब उभर आता है, जब नवजात शिशु सीधा होता है, इस वजह से दिमाग पर दबाव बढ़ सकता है। चूंकि मेनिंजेस के कारण हिलने-डुलने से चिड़चिड़ाहट और भी बदतर हो जाती है, इसलिए मेनिनजाइटिस से पीड़ित शिशु को उठाने और हिलाने-डुलाने पर, हो सकता है कि वह शांत होने के बजाय और ज़्यादा रोना शुरू कर दे। कुछ शिशु अजीब तरह से ज़ोर-ज़ोर से रोना शुरू कर देते हैं।

एन्सेफ़ेलाइटिस वाले शिशुओं में अक्सर सीज़र्स होता है या वे अन्य असामान्य हरकत करते हैं। हो सकता है कि गंभीर एन्सेफ़ेलाइटिस वाले शिशु सुस्त और मूर्छित हो जाएं और फिर उनकी मौत भी हो सकती है।

हर्पीज़ सिम्पलेक्स वायरस से संक्रमण, जो अक्सर दिमाग के केवल एक हिस्से में होता है, इससे हो सकता है कि शरीर के केवल एक हिस्से में सीज़र्स या कमजोरी हो। हो सकता है कि हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस एन्सेफ़ेलाइटिस वाले एक शिशु की त्वचा पर, आँखों में या मुंह में भी लाल चकत्ते हो जाएं। चकत्ते में द्रव से भरे फफोले के साथ लाल धब्बे होते हैं, जो ठीक (नवजात शिशुओं में हर्पीज़ सिम्पलेक्स वायरस (HSV) संक्रमण देखें) होने से पहले सूख कर उतरने वाले छाल या पपड़ीदार हो जाते हैं।

संक्रमण के बाद होने वाला एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस, दिमाग के उस हिस्से के आधार पर कई न्यूरोलॉजिक समस्याओं का कारण बन सकता है जो प्रभावित हो जाता है। हो सकता है कि बच्चों के एक हाथ या पैर की कमजोरी हो, दिखाई या सुनाई ना दे, चलने में दिक्कत हो, व्यवहार में बदलाव, बौद्धिक अक्षमता हो या सीज़र्स हो। इनमें से कुछ लक्षण तुरंत नज़र आने लगते हैं। हो सकता है कि अन्य लक्षणों पर बाद में तब तक ध्यान ना जाए, जब तक उदाहरण के लिए जब बच्चे के सुनने, देखने और/या बुद्धि की नियमित जांच नहीं होती है। अक्सर लक्षण समय के साथ ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी वे स्थायी होते हैं।

बच्चों में वायरल CNS संक्रमण का निदान

  • स्पाईनल टैप (लम्बर पंचर)

डॉक्टर प्रत्येक नवजात शिशु के साथ-साथ बड़े शिशु और बच्चे जिन्हें बुखार है और वे चिड़चिड़े हैं या सामान्य नहीं हैं; उनमें मेनिनजाइटिस या एन्सेफ़ेलाइटिस की संभावना को लेकर चिंतित होते हैं।

मेनिनजाइटिस या एन्सेफ़ेलाइटिस की जांच करने के लिए, डॉक्टर प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड (CSF, मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को घेरने वाला तरल) प्राप्त करने के लिए स्पाइनल टैप (कमर में पंचर) करते हैं। CSF में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कोई बैक्टीरिया नहीं देखाई देता है। CSF में हर्पीज़ वायरस और एंटेरो-वायरस की ज़्यादा तेज़ी से पहचान करने के लिए, पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) तकनीक उपलब्ध हैं।

CSF के नमूनों में वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज का पता लगाने वाले खून के परीक्षण किए जा सकते हैं, लेकिन इन परीक्षणों को पूरा होने में आमतौर पर कुछ दिन लग जाते हैं।

दिमागी तरंगों का परीक्षण (इलेक्ट्रोएन्सेफ़ेलोग्राफ़ी), हर्पीज़ वायरस के कारण होने वाले एन्सेफ़ेलाइटिस की जांच में मदद के लिए किया जा सकता है।

मैग्नेटिक रीसोनेंस इमेजिंग (MRI) और कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (CT) से जांच की पुष्टि करने में मदद मिल सकती है, विशेष रूप से संक्रामण के बाद एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस के मामलों में।

क्या आप जानते हैं...

  • एंटीबायोटिक्स का उपयोग वायरल संक्रमण के इलाज के लिए नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ वायरल संक्रमणों के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।

बच्चों में वायरल CNS संक्रमण का इलाज

  • शिशु को सहज बनाए रखना

  • बुखार या सीज़र्स के लिए दवाएँ

  • संक्रमण के बाद एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस, कॉर्टिकोस्टेरॉइड या अन्य उपचार

ज़्यादातर बच्चों को महज़ सहायक देखभाल की ज़रूरत होती है। यानी, उन्हें गर्म रखने के साथ किसी भी तरह के बुखार या सीज़र्स के इलाज के लिए, बहुत सारे तरल पदार्थ और दवाएँ देनी होंगी।

ज़्यादातर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़े संक्रमणों के मामलों में एंटीवायरल दवाएँ प्रभावी नहीं होती हैं। हालांकि, हर्पीज़ सिम्प्लेक्स वायरस के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज शिरा द्वारा दिए गए एसाइक्लोविर से किया जा सकता है।

पोस्ट इंफ़ेक्शस एन्सेफ़ेलोमाइलाइटिस का इलाज शिरा से दिए जाने वाले कॉर्टिकोस्टेरॉइड से और प्लाज़्मा एक्सचेंज या इम्यून ग्लोबुलिन से किया जा सकता है। इम्यून ग्लोबुलिन शिरा से दिया जाता है और इसमें सामान्य इम्यून सिस्टम वाले लोगों के ब्लड से ली गई एंटीबॉडीज होती हैं।

बच्चों में वायरल CNS संक्रमण के लिए रोग का पूर्वानुमान

रोग का पूर्वानुमान संक्रमण के प्रकार के साथ बहुत भिन्न होता है। कई प्रकार के वायरल मेनिनजाइटिस और एन्सेफ़ेलाइटिस हल्के होते हैं और बच्चा जल्दी और पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अन्य प्रकार गंभीर हैं।

मस्तिष्क में होने वाला हर्पीज़ सिम्पलेक्स वायरस का संक्रमण विशेष रूप से गंभीर होता है। इलाज के बिना, करीब हर्पीज़ सिंप्लेक्स वायरस की वजह से होने वाले एन्सेफ़ेलाइटिस से करीब 50% नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। इससे बचने वाले बच्चों में आधे से भी ज़्यादा को गंभीर न्यूरोलॉजिक समस्याएं हो जाती हैं। अगर इलाज नहीं किए गए हर्पीज़ इंफेक्शन में शरीर के दूसरे हिस्से भी शामिल हों, तो मौत की यह दर 85% तक पहुंच जाती है। एसाइक्लोविर से इलाज करने पर मौत की दर घट जाती है और सामान्य रूप से विकसित होने वाले बच्चों का प्रतिशत बढ़ता है।