ओकल्ट बैक्टीरेमिया

इनके द्वाराGeoffrey A. Weinberg, MD, Golisano Children’s Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया फ़र॰ २०२४

ओकल्ट (छिपा हुआ) बैक्टीरेमिया उस बच्चे के रक्तप्रवाह में बैक्टीरिया की उपस्थिति है जिसे बुखार है लेकिन स्वस्थ दिखता है और जिसमें संक्रमण का कोई स्पष्ट स्रोत नहीं है।

  • आमतौर पर, स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया बैक्टीरिया के कारण ओकल्ट बैक्टीरेमिया होता है।

  • सामान्यतः बच्चों में बुखार के अलावा कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।

  • निदान रक्त की जांच के आधार पर किया जाता है।

  • एंटीबायोटिक्स संक्रमण को खत्म कर सकते हैं।

  • टीकाकरण से स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया के संक्रमण को रोका जा सकता है।

(यह भी देखें: वयस्कों में बैक्टीरेमिया।)

3 महीने से लेकर 3 वर्ष की उम्र तक के बच्चों को आम तौर पर बुखार आ जाता है। बहुधा इनमें अन्य लक्षण होते हैं, जैसे कि खांसी और नाक बहना, जो डॉक्टरों को बुखार के कारण का पता लगाने में मदद करते हैं। हालाँकि, कभी-कभी बच्चों को बुखार होता है और कोई अन्य लक्षण नहीं होते हैं। अर्थात उन्हें किसी स्पष्ट स्रोत या कारण के बिना बुखार होता है। इनमें से अधिकांश बच्चों में बुखार एक वायरल संक्रमण के कारण होता है जो बिना उपचार के ठीक हो जाता है। कुछ बच्चों के मूत्र पथ में संक्रमण हो जाता है। कुछ बच्चों में बिना किसी स्पष्ट कारण के बुखार होता है, और यह बुखार उनके रक्तप्रवाह (बैक्टीरेमिया) में संचरित बैक्टीरिया के कारण होता है। ये परिसंचारी बैक्टीरिया लगभग कभी भी उन बड़े बच्चों या वयस्कों में बुखार का कारण नहीं होते हैं जिनमें कोई अन्य लक्षण नहीं होते हैं।

अमेरिका और यूरोप में शिशुओं का हीमोफ़ाइलस इन्फ़्लूएंज़ा टाइप b कॉन्जुगेट वैक्सीन और स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया कॉन्जुगेट वैक्सीन का टीकाकरण करने से वैक्सीन लगे बच्चों में इन बैक्टीरिया के कारण होने वाले ऑक्युल्ट बैक्टीरीमिया के मामले लगभग खत्म हो गए हैं। नीसेरिया मेनिनजाइटिडिस की वैक्सीन किशोरावस्था से पहले की उम्र के बच्चों और किशोरों को नियमित रूप से लगाए जाते हैं और ये टीके 36 महीने से कम उम्र के उन बच्चों को भी लगाए जा सकते हैं, जिन्हें संक्रमण का अधिक खतरा होता है। जिन बच्चों को अनुशंसित वैक्सीन लगाए गए हैं, उनमें ओकल्ट बैक्टीरेमिया विकसित होने की संभावना बहुत कम होती है। हालाँकि, ओकल्ट बैक्टीरेमिया अभी भी उन बच्चों में हो सकते हैं जिन्हें कोई वैक्सीन नहीं लगा है या पर्याप्त डोज़ नहीं दिया गया है, साथ ही जिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।

क्या आप जानते हैं...

  • जिन बच्चों को अनुशंसित वैक्सीन लगाए गए हैं, उनमें ओकल्ट बैक्टीरेमिया विकसित होने की संभावना बहुत कम होती है।

(यह भी देखें: बाल्यावस्था में बैक्टीरियल संक्रमण का विवरण।)

ओकल्ट बैक्टीरेमिया के लक्षण

ओकल्ट बैक्टीरेमिया का प्रमुख लक्षण निम्न है

  • 102.2° F (39° C) से अधिक या इसके बराबर बुखार

जिन बच्चों में अन्य लक्षण जैसे कि खांसी, सांस लेने में कठिनाई, किसी भी चीज में कम या कोई दिलचस्पी नहीं (सुस्ती), या त्वचा पर लाल या नीले धब्बे दिखाई देते हैं, उन्हें ओकल्ट बैक्टीरेमिया से पीड़ित नहीं माना जाता है। उन्हें एक खास जीवाणु संक्रमण होने की अधिक संभावना होती है और उनकी जांच तुरंत किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से करवानी चाहिए।

ओकल्ट बैक्टीरेमिया का निदान

  • ब्लड कल्चर

  • यूरिन कल्चर और यूरिनेलिसिस

  • कभी-कभी अन्य रक्त और मल परीक्षण तथा स्पाइनल टैप

क्योंकि डॉक्टर निश्चित रूप से यह नहीं बता सकते हैं कि बुखार से पीड़ित बच्चों में ओकल्ट बैक्टीरेमिया है, अतः डॉक्टरों के लिए आवश्यक है कि ब्लड कल्चर करके किसी भी बैक्टीरिया का पता लगाएँ। चूँकि बैक्टीरिया देखने में बहुत कम या बहुत छोटे होते हैं, अतः डॉक्टरों द्वारा रक्त के नमूने प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं ताकि बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए उनकी जांच की जा सके और उन्हें विकसित (कल्चर्ड) किया जा सके। अगर कल्चर के परिणाम पॉज़िटिव हैं, तो इसका मतलब है कि बैक्टीरिया का पता लगाया जा चुका है।

प्रयोगशाला परीक्षण

किसी भी उम्र के वे शिशु या बच्चे, जिन्हें बुखार हो और जो गंभीर रूप से बीमार दिखाई दे रहे हों, चाहे उनका टीकाकरण किया गया हो या नहीं, उनके रक्त, मूत्र और सेरेब्रोस्पाइनल फ़्लूड (मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के आस-पास भरा फ़्लूड) के नमूने लेकर परीक्षण किया जाना चाहिए। इस फ़्लूड को स्पाइनल टैप (लम्बर पंचर) के दौरान निकाला जाता है, जिसमें 2 वर्टीब्रा के बीच से एक छोटी सुई के ज़रिए फ़्लूड का नमूना निकाला जाता है। बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण देखने के लिए, सभी नमूनों को परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। ज़्यादातर मामलों में, शिशु या बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है, और उन्हे एंटीबायोटिक्स दी जाती है। जिन बच्चों को सांस लेने में कठिनाई होती है, उनके सीने का एक्स-रे कराना पड़ सकता है।

बच्चे की उम्र के आधार पर रक्त के अन्य परीक्षण भी किए जा सकते हैं।

कुछ बच्चों में कतिपय वायरस के लिए रैपिड डिटेक्शन टेस्ट भी किए जा सकते हैं। इन परीक्षणों के लिए, नाक या गले से नमूना लेने के लिए स्वाब का उपयोग किया जाता है। इनके परिणाम आमतौर पर कुछ घंटों के भीतर आ जाते हैं।

3 महीने से कम उम्र के शिशु

3 महीने से 3 वर्ष की उम्र के बच्चों के विपरीत, जब 3 महीने से कम उम्र के शिशुओं को बुखार होता है, तब डॉक्टर हमेशा उन्हें देखकर यह नहीं बता पाते कि उन्हें बैक्टीरीमिया हुआ है या नहीं। इन शिशुओं के लिए डॉक्टर सामान्यतः प्रयोगशाला परीक्षण (पूर्ण रक्त गणना, यूरिनेलिसिस और ब्लड कल्चर) करते हैं। यदि रक्त और मूत्र परीक्षण के परिणाम सामान्य दिखाई देते हैं, तो कुछ डॉक्टर, माता पिता या देखभाल करने वाले लोगों को शिशु की घर पर निगरानी करने और फिर 24 घंटे के भीतर उसे डॉक्टर के क्लीनिक पर आकर दिखाने को कहा जाता है, ताकि शिशु की फिर से जांच की जा सके और ब्लड कल्चर की जांच की जा सके। वे इस दौरान एंटीबायोटिक्स का सुझाव नहीं देते हैं। अन्य डॉक्टर इन शिशुओं को अस्पताल में भर्ती करा कर आगे उनके रक्त, मूत्र और स्पाइनल फ़्लूड का परीक्षण करते हैं।

अधिकांश डॉक्टर यह मानते हैं कि 30 दिन से कम उम्र के शिशुओं को बैक्टीरीमिया का खास तौर पर अधिक जोखिम होता है, जिसके कई कारण होते हैं। इस आयु वर्ग के शिशुओं को आम तौर पर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, और वहाँ रक्त, मूत्र और स्पाइनल फ़्लूड के परीक्षण किए जाते हैं। जब तक प्रयोगशाला के परीक्षणों का परिणाम नहीं आता, तब तक उनका उपचार आम तौर पर एंटीबायोटिक्स से किया जाता है।

3 महीने से 3 साल की उम्र के शिशु और बच्चे

टीकाकरण पूरा करवा चुके और स्वस्थ दिखने वाले इस उम्र के जिन शिशुओं और बच्चों को बुखार होता है, उनमें बैक्टीरीमिया का जोखिम बहुत कम होता है। इनमें कम जोखिम के कारण, डॉक्टर रक्त परीक्षण किए बिना बच्चों की निगरानी किए जाने का निर्णय ले सकते हैं। हालाँकि, बुखार के कारण के रूप में मूत्र पथ के संक्रमण का पता लगाने के लिए, सामान्यतः इनका यूरिनेलिसिस और यूरिन कल्चर किया जाता है। माता पिता या देखभाल करने वालों से बच्चों के लक्षणों पर नजर रखने तथा 24 से 48 घंटों में डॉक्टर से (मुलाकात या टेलीफ़ोन द्वारा) संपर्क करने के लिए कहा जाता है। जिन बच्चों की तबियत बिगड़ जाती है या जिनका बुखार दूर नहीं होता है, उनका रक्त परीक्षण करने के साथ संभवतः छाती का एक्स-रे या स्पाइनल टैप किया जाता है।

ओकल्ट बैक्टीरेमिया का उपचार

  • एंटीबायोटिक्स

कभी-कभी, कल्चर के परिणाम पता चलने से पहले, डॉक्टर उन बच्चों को एंटीबायोटिक देते हैं, जिन्हें बुखार होता है और जो गंभीर रूप से बीमार दिखाई देते हैं और जिन्हें बैक्टीरीमिया का खतरा अधिक होता है। सामान्यतः डॉक्टरों द्वारा सुई के जरिए एंटीबायोटिक जैसे कि सेफ़ट्रिआक्सोन दी जाती है।

जिन बच्चों के कल्चर का परिणाम पॉज़िटिव है और जो अत्यधिक बीमार नहीं दिखाई देते हैं, उन्हें घर पर ही सुई के जरिए एंटीबायोटिक या मुख मार्ग से एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। जिन बच्चों के कल्चर का परिणाम पॉज़िटिव है और जिनमें गंभीर बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती करा कर शिरा के जरिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है।

जिन बच्चों की देखभाल घर पर की जा रही होती है, उनकी जांच 24 घंटे में फिर से उन्हें डॉक्टर के क्लीनिक पर ले जाकर या कुछ बच्चों की उम्र या अन्य चिकित्सा स्थितियों के आधार पर उनकी जांच टेलीफ़ोन के ज़रिए की जाती है। जिन बच्चों को अभी भी बुखार है या जिनके ब्लड या यूरिन कल्चर का परिणाम पॉज़िटिव है और जिन्हें एंटीबायोटिक्स नहीं दी गई है, उनके और अधिक कल्चर किए जाते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता है। फिर, गंभीर बीमारी की दृष्टि से उनका मूल्यांकन किया जाता है और शिरा के माध्यम से एंटीबायोटिक्स दिया जाता है।

जब तक प्रयोगशाला परीक्षणों के परिणाम नहीं आते, तब तक 3 महीने से कम उम्र के बच्चों का उपचार, आम तौर पर सेफ़ट्रिआक्सोन, सेफ़ोटैक्साइम या सेफ़ेपाइम जैसे एंटीबायोटिक्स से किया जाता है।

3 महीने से 3 साल की उम्र के बच्चों को एसिटामिनोफेन जैसी दवाइयाँ दी जा सकती हैं, जिनसे बच्चों के शरीर का तापमान कम हो जाता है और वे बेहतर महसूस करते हैं।