इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस

(ब्लैडर पेन सिंड्रोम)

इनके द्वाराPatrick J. Shenot, MD, Thomas Jefferson University Hospital
समीक्षा की गई/बदलाव किया गया नव॰ २०२३

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस गैर-संक्रामक मूत्राशय की सूजन है।

  • इंटरस्टिशियल सिस्टाइटिस, मूत्राशय के ऊपर, पेल्विस में या पेट के निचले हिस्से में दर्द का कारण बनता है और बार-बार व तुरंत मूत्रत्याग की इच्छा होती है और कभी-कभी ऐसा इनकॉन्टिनेन्स के साथ होता है।

  • डॉक्टर एक लचीली ट्यूब (सिस्टोस्कोपी) से मूत्राशय के अंदर देखते हैं और कभी-कभी मूत्राशय की बायोप्सी करते हैं।

  • इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन खान-पान और मूत्रत्याग की आदतों में बदलाव लाकर तथा दर्द निवारक दवाएँ और पेंटोसन लेने से इसके लक्षणों में राहत मिल सकती है।

(पेशाब पर नियंत्रण भी देखें।)

कभी इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस को बहुत कम मामलों में पाया जाने वाला माना जाता था। हालांकि, अब डॉक्टरों का मानना है कि पहले की तुलना में, यह अब कहीं ज़्यादा आम है और हो सकता है कि यह क्रोनिक पेल्विक दर्द जैसी दूसरी समस्याओं के लिए भी ज़िम्मेदार हो। हालांकि, पुरुष और बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं, इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस के लगभग 90% मामले महिलाओं में पाए जाते हैं।

कारण अज्ञात है। हालांकि, डॉक्टरों का मानना है कि मूत्राशय की अंदरूनी परत की कोशिकाओं में ख़राबी आने से पेशाब में मौजूद पदार्थ मूत्राशय में जलन पैदा कर सकते हैं। आमतौर पर, एलर्जिक प्रतिक्रियाएं से प्रभावित कोशिकाएं (मास्ट सेल) हो सकता है कि मूत्राशय में बदलाव में शामिल हो जाएं, लेकिन इसमें उनकी उपयुक्त भूमिका स्पष्ट नहीं है।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस के लक्षण

शुरुआत में, इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस से पीड़ित लोगों में हो सकता है कि कोई लक्षण ना हो। आमतौर पर, इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं और सालों के दौरान मूत्राशय की दीवार नुकसान की वजह से ख़राब हो जाती हैं। लोगों को मूत्राशय या पेल्विक या पेट के निचले हिस्से में दर्द या दबाव महसूस होता है। लोगों को अक्सर और तुरंत पेशाब करने में तलब होती है, अक्सर प्रति घंटे कई-कई बार ऐसा होता है। जैसे-जैसे मूत्राशय भरता है, पेशाब करते समय खाली होने से लक्षण बदतर होता जाता है। बहुत गंभीर मामलों में, हो सकता है कि लोग टॉयलेट में घंटों बैठे, पेशाब लगातार करते रहें।

हो सकता है कि ओव्यूलेशन या मासिक धर्म के दौरान, मौसमी एलर्जी, शारीरिक या भावनात्मक तनाव या यौन संबंध के दौरान लक्षण और बदतर हो जाएं। ज़्यादा मात्रा में पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ (उदाहरण के लिए, खट्टे फल, चॉकलेट, कैफ़ीन के साथ ड्रिंक और टमाटर), मसालेदार खाना, तंबाकू और अल्कोहल से लक्षणों में और ख़राबी आ सकती है।

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस का निदान

  • एक डॉक्टर का मूल्यांकन

  • संभावित बायोप्सी के साथ सिस्टोस्कोपी

लक्षणों के आधार पर इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस का निदान सुझाया जाता है। डॉक्टर पुख्ता तौर पर जांच करते हैं, जिसमें अक्सर महिलाओं में एक पेल्विक और एक डिजिटल रेक्टल जांच शामिल होती है। यह तय करने के लिए टेस्ट ज़रूरी होता है कि लक्षणों का कारण कोई दूसरी स्थिति तो नहीं है। मिसाल के तौर पर, यूरिनरी ट्रैक इंफ़ेक्शन का पता लगाने के लिए डॉक्टर यूरिनेलिसिस और यूरिन कल्चर करते हैं।

डॉक्टर मूत्राशय की परत की जांच करने के मकसद से, मूत्राशय के भीतर देखने के लिए एक लचीली ट्यूब (सिस्टोस्कोपी) का इस्तेमाल करते हैं। इसी के साथ कैंसर का पता लगाने के लिए कभी-कभी डॉक्टर मूत्राशय की बायोप्सी करते हैं।

कभी-कभी डॉक्टर यह तय करने के लिए मूत्राशय में सीधे पोटेशियम वाले सॉल्यूशन डालते हैं कि मूत्राशय की परत पोटेशियम और अन्य संभावित उत्तेजक के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है।

प्रयोगशाला परीक्षण

इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस का इलाज

  • खान-पान में बदलाव

  • तनाव में कमी और पेल्विक की मांसपेशियों के लिए एक्सरसाइज़

  • मूत्राशय प्रशिक्षण

  • दवाएँ

  • कभी-कभी सर्जरी अगर अन्य उपचार अप्रभावी होते हैं

डॉक्टर इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस से पीड़ित 90% लोगों की मदद कर सकते हैं, लेकिन लक्षणों को पूरी तरह से खत्म करना नामुमकिन होता है। डॉक्टर लोगों को ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में जागरूक रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिससे इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस के लक्षण उभर सकते हैं।

इलाज का पहला कदम खानपान में बदलाव है। लोग मसालेदार और पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थों से बचते हैं, क्योंकि ये भोजन मूत्राशय में और ज़्यादा जलन पैदा कर सकते हैं। तंबाकू और अल्कोहल के सेवन से बचना चाहिए।

हो सकता है कि बायोफ़ीडबैक से तनाव कम करने और पेल्विक की मांसपेशियों के एक्सरसाइज़ (मिसाल के तौर पर, केगल एक्सरसाइज़) करने में मदद मिले।

पेशाब करने की आदतों में लोगों को बदलाव करना भी सिखाया जाता है। ब्लैडर ट्रेनिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें व्यक्ति को जागते समय पेशाब करने के लिए एक निश्चित शेड्यूल पर अमल करना शामिल है। इसके लिए डॉक्टर व्यक्ति के साथ काम करते हैं, जिसमें व्यक्ति हर 2 से 3 घंटे में पेशाब करने का समय तय कर लेता और इस दौरान पेशाब करने की तलब को दबाए (उदाहरण के लिए, रिलैक्स करके और गहरी सांस लेकर) रखता है। पेशाब करने की तलब को व्यक्ति जैसे-जैसे दबाने में सक्षम होता जाता है, वैसे-वैसे धीरे-धीरे अंतराल लंबा होता जाता है।

दवाएँ अक्सर ज़रूरी होती हैं। हो सकता है कि दर्द कम करने के लिए लोगों को एनाल्जेसिक लेने की ज़रूरत पड़ जाए। हो सकता है कि एंटीडिप्रेसेंट भी दर्द कम कर दे और मूत्राशय को आराम देने में मदद करे। तुरंत पेशाब करने की तलब को कम करने में एंटीहिस्टामाइन भी मदद कर सकती है। मूत्राशय के अस्तर को ठीक करने में मदद के लिए पेंटोसन मुंह से लिया जा सकता है। अगर ओरल पेंटोसन कारगर नहीं होता है, तो हो सकता है कि डॉक्टर पेंटोसन सॉल्यूशन सीधे मूत्राशय में डालने के लिए कैथेटर का इस्तेमाल करें। हो सकता है कि डॉक्टर मूत्राशय में डाइमिथाइल सल्फ़ोऑक्साइड का सॉल्यूशन भी डालें। 15 मिनट के लिए व्यक्ति मूत्राशय में सॉल्यूशन को रखे रहता है और फिर उसे निकालने के लिए पेशाब करता है। हो सकता है कि ये सॉल्यूशन कुछ समय के लिए दर्द और ज़रूरी तलब से राहत दें, लेकिन ऐसे इलाज को आमतौर पर दोहराना पड़ता है।

डॉक्टर कभी-कभी मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली स्पाइनल कॉर्ड से निकलने वाली तंत्रिका को उत्तेजित करके (जो तंत्रिका जड़ें कहलाती हैं), दर्द और ज़रूरी तलब को दूर करने की कोशिश करते हैं। मूत्राशय को फ़्लूड या गैस से फैला एक अन्य संभावित विकल्प उपलब्ध है। यह इलाज ब्लैडर हाइड्रोडिस्टेंसन कहलाता है, इससे भी लक्षणों से छुटकारा मिल सकता है।

डॉक्टर अक्सर ज़्यादा से ज़्यादा राहत देने के लिए, कई तरह के इलाज करते हैं। हालांकि, अगर संयुक्त इलाज कारगर नहीं होते, तो हो सकता है कि सर्जरी को आज़माया जाए।

अधिक जानकारी

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  1. Urology Care Foundation: पेशेंट मैगज़ीन (Urology Health extra®) और अनुसंधान अपडेट सहित, यूरोलॉजिक स्वास्थ्य संबंधी वर्तमान और व्यापक स्वास्थ्य जानकारी